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धन्वन्तरि
प्राचीन चरित्रकोश
धरुण
धन्वन्तरि के ग्रंथ-धन्वन्तरि के नाम पर निम्नलिखित | ब्रह्मवैवर्तपुराण में इसे शंकर का उपशिष्य कहा है ग्रंथ प्रसिद्ध हैं-१. चिकित्सातत्त्व विज्ञान, २. चिकित्सा- | (ब्रह्मवै. ३.५१)। दर्शन, ३. चिकित्साकौमुदी, ४. अजीर्णामृतमंजरी, ५.रोग- अन्य कई स्थानों में, इसे कृष्णचैतन्य का शिष्य कहा निदान, ६. वैद्यचिंतामणि, ७. वैद्य प्रकाश चिकित्सा, है। एक बार यह कृष्णचैतन्य के पास गया। प्रकृति ८. विद्याप्रकाशचिकित्सा, ९. धन्वन्तरीय निघंटु, | श्रेष्ठ या पुरुष श्रेष्ठ, इसके बारे में, इसका एवं कृष्णचैतन्य १०. चिकित्सासारसंग्रह, ११.भास्करसंहिता का चिकित्सा- | का विवाद हुआ। इसका कहना था, 'प्रकृति से पुरुष तत्त्व विज्ञानतंत्र, १२. धातुकल्प, १३. वैद्यक स्वरोदय | श्रेष्ठ है। किन्तु कृष्ण चैतन्य ने कहा, 'दोनों भी (ब्रह्मवै. २.१६ )। इनके सिवा, इसने वृक्षायुर्वेद, अश्वायु- श्रेष्ठ है । कृष्णजी का कहना इसे मान्य हुआ एवं यह वेद तथा गजायुर्वेद का भी निर्माण किया था (अग्नि. | उसका शिष्य बन गया। कृष्णचैतन्य के शिव्यत्त्व की २८२)।
यह कहानी धन्वन्तरि 'दिवोदास' की ही है, या किसी धन्वन्तरि 'अमृताचार्य'--एक आयुर्वेदशास्त्रज्ञ। अन्य धन्वन्तरि की, यह निश्चित रूप से कहना मुष्किल है। यह अंबष्ठ ज्ञाति में पैदा हुआ था। आद्य धन्वन्तरि से
धन्विन्--तामस मनु का एक पुत्र । इसका निश्चित क्या संबंध है, यह कह नही सकते । इसके । धमति--अंगिराकुल का एक ऋषि । धूनति पाठभेद जन्म के बारे में निम्नलिखित कथा उपलब्ध है :-- एक | है। बार गालव ऋषि दर्भ एवं काष्ठ लाने के लिये अरण्य में धमनी-ह्लाद नामक असुर की पत्नी । इसके पुत्र गया था। अधिक घूमने के कारण, वह तृषार्त हो गया । | इल्वल तथा वातापि (भा. ६.१८.१५)। उतने में पानी ले जानेवाली एक लड़की को इसने देखा। धमिल्ला-अनुशाल्व राजा की पत्नी (जै. अ.६१)। उसने इसे पानी पिलाया । तब गालव ने उसे वर दिया, धमधमा- स्कन्द की अनुचरी मातृका (म. श. ४५. •'तुम्हे अच्छा पुत्र पैदा होगा। किंतु उस लड़की ने कहा, | १९)। 'अभी मेरा विवाह भी नहीं हुआ है।
धर-धर्म तथा धूम्रा का पुत्र । इसकी पत्नी पश्चात् गालव ने दर्भ की एक पुरुषाकृति बना कर, | मनोहरा । इसके पुत्र द्रविण, हुतहव्यवह, शिशिर, प्राण उस वीरभद्रा नामक वैश्यकन्या को दी। उस पुरुषा- | रमण (विष्णु. १.१५) तथा रज (ब्रह्मांड ३.३.२१कृति से पुत्र निर्माण करने को उसे कह दिया । वीरभद्रा | २९)। महाभारत के मत में, इसे द्रविण तथा हुतहव्यको उस दर्भपुरुष से एक सुंदर पुत्र हुआ। ब्राह्मण पिता से | वह ये केवल दो ही पुत्र थे (म. आ. ६०.२०)। वैश्य स्त्री को वह पुत्र उत्पन्न हुआ, इस कारण वह अंवष्ठ | २. सोम का पुत्र। ज्ञाति का बना । उसका नाम अमृताचार्य रखा गया । वही | ३. एक पांडवपक्षीय राजा (म. द्रो. १३३-३७)। धन्वन्तरि है (अम्बष्ठाचारचंद्रिका)।
यह युधिष्ठिर का संबंधी एवं सहायक था। धन्वन्तरि दिवोदास'-(सी. काश्य.) काशी के धरापाल-विदिशा नगरी का राजा । एक बार देवी धन्वन्तरि राजा का पौत्र एवं आयुर्वेदशास्त्र का एक प्रमुख
ने अपने एक गण को शाप दिया, 'तुम सियार बनोगे'। आचार्य । बाल्यकाल से ही यह विरक्त था । बड़े प्रयत्न
सियार का स्वरूप प्राप्त हुए उस, गण ने वेतसी तथा से इसे काशी का राजा बनाया गया (भवि. १.१)। ।
वेत्रवती नदी के संगम पर प्राणत्याग किया। पश्चात् विश्वामित्र का पुत्र सुधृत एवं वृद्ध नामक ब्राह्मण इसके| उसे ले जाने के लिये यम ने विमान भेज दिया। प्रमुख शिष्य थे (भवि.प्रति. ४.२०; अग्नि. २६९.१)।
यह देख कर धरापाल ने वहाँ एक विष्णुमंदिर इसने 'काल्पवेद' (काल्प-रोगों से क्षीण हुआ देह) की बाँधा। एक पुराणज्ञ व्यक्ति को पुराणकथन के लिये रचना की। काल्पवेद के दर्शन से रोग नष्ट हो जाते थे। नियुक्त किया। उस पुण्यसंचय के कारण, इसकी मृत्यु सुश्रुत ने उसका पठन कर, सौ अध्यायों का 'अश्रत तंत्र के बाद इसे ले जाने के लिये, यम ने विमान भेजा, तथा का निर्माण किया (भवि. प्रति. ४.९.१६-२३)।
इसे स्वर्ग में पहुंचा दिया (पन. उ. २८)। कई प्राचीन ग्रंथों में, इसे कल्लदत्त ब्राह्मण का पुत्र धरिणी-अग्निष्वाचादि पितरों की मानसकन्या । कहा गया है । विष्णु ने गरुड को आयुर्वेद सिखाया, एवं | इसे वयुना नामक एक बहन थी। इसने वह गरुड से सीख लिया (गरुड. १.१९७.५५)। | धरुण आंगिरस-सूक्तद्रष्टा (३ ५.१५)।
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