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________________ द्रौपदी प्राचीन चरित्रकोश द्रौपदी के अंश होने के कारण, वस्तुतः द्रौपदी एक की ही | से अर्जुन ने उसे शांत किया। इस पर धृतराष्ट्रपुत्र विकर्ण पत्नी थी (मार्क.५)। सामने आया, तथा द्रौपदी के प्रश्न का उत्तर देने की __ द्यूत-विवाहोपरांत काफी वर्ष द्रौपदी ने बडे सुख में प्रार्थना उसने भीष्मादिकों से की । परंतु कोई उत्तर न दे बिताये। पांडवों का राजसूय यज्ञ भी उसी काल में संपन्न | सका । तब विकर्ण ने कहा, 'दाँव पर जीते गये धर्म ने हुआ। पांडवों से इसे प्रतिविंध्यादि पुत्र भी हुएँ । किंतु चकि द्रौपदी को दाँव पर लगाया, अतः सचमुच यह जीती पांडवों के बढ़ते ऐश्वर्य के कारण, दुर्योधन का मत्सर | ही नहीं गई। यह कहते ही सार | ही नहीं गई। यह कहते ही सारे सभाजन विकर्ण की दिन प्रतिदिन बढ़ता गया। उसने द्यत का षड्यंत्र रच | वाहवाह करने लगे। लिया, एवं द्यूत खेलने के लिये शकुनि को आगे कर, द्रौपदी का यह नैतिक विजय देख कर, कर्ण सामने युधिष्ठिर का सारा धन हड़प लिया। अन्त में द्रौपदी को आ कर बोला, 'संपूर्ण संपत्ति दाँव पर लगाने पर, द्रौपदी भी युधिष्ठिर ने दाँव पर लगा दिया। उस कमीने वर्तन अजित रह ही नहीं सकती। इसके अतिरिक्त द्रौपदी के लिये उपस्थित राजसभासदों ने युधिष्ठिर का धिक्कार अनेक पतिओं की पत्नी होने के कारण, धर्मशास्त्र के किया। विदुर को द्रौपदी को सभा में लाने का काम सौंपा अनुसार पत्नी न हो कर, दासी है। इसलिये पूरी संपत्ति गया। उसने दुर्योधन को अच्छी तरह से फटकारा, एवं | के साथ यह भी दासी बन गई है। पश्चात् द्रौपदी उस काम करने के लिये ना कह दिया। पश्चात् द्रौपदी की ओर निर्देश कर के उसने दुःशासन से कहाँ, 'द्रौपदी को सभा में लाने का कार्य प्रतिकामिन् पर सौंपा गया। के वस्त्र खींच लो। पांडवों के वस्त्र भी छीन लों'। वह भी हिचकिचाने लगा। __तब पांडवों ने एक वस्त्र छोड़, अन्य सभी वस्त्र उतार फिर यह काम दुःशासन पर सौंपा गया । दुःशासन डालें। द्रौपदी का वस्त्र खींचने दुःशासन बढा, एवं इसके का अन्तःपुर में प्रवेश होते ही द्रौपदी भयभीत हो कर वस्त्र खींचने लगा। उसपर यह आर्तभाव से भगवान् को स्त्रियों की ओर दौडने लगी। अंत में दौडनेवाली द्रौपदी के पुकारने लगी (म. स. ६१.५४२-५४३*)। भीम क्रोध 'केश पकड़ कर, दुःशासन खींचने लगा । उस समय द्रौपदी ने | से लाल हो गया । दुःशासन के रक्तप्राशन की प्रतिज्ञा कहा, 'मैं रजस्वला हूँ। मेरे शरीर पर एक ही वस्त्र है। उसने की। विदुर सामने आया । द्रौपदी के प्रश्न का : ऐसी स्थिति में मुझे सभा में ले जाना अयोग्य है'। उस उसने सभा को पुनः स्मरण दिला कर सुधन्वा की कथा पर दुःशासन ने कहा, 'तुम्हें चूत में जीत कर हमने बताई (सुधन्वन् देखिये)। द्रौपदी लगातार आक्रोश दासी बनाया हैं | अब किसी भी अवस्था में तुम्हारा कर रही थी, 'स्वयंवर के समय केवल एक बार मैं राजसभा में आना अयोग्य नहीं है। इतना कह कर लोगों के सामने आई । आज मैं पुनः सब को दृष्टिगत हो अस्ताव्यस्त केशयुक्त, जिसका पल्ला नीचे गिर पड़ा है, रही हूँ। इस शरीर को वायु भी स्पर्श न कर सका, ऐसी द्रौपदी को वह बलपूर्वक केश पकड कर, सभा में ले उसकी भरी सभा में आज अवहेलना चालू है। आया (म. स. ६०.२२-२८)। दुःशासन इसके वस्त्र खींच ही रहा था, किंतु इसकी द्रौपदी का प्रश्न-सभा में आते ही आक्रोश करते लज्जारक्षा के लिये श्रीकृष्ण स्वयं धीररूप हो गये, हुए द्रौपदी ने प्रश्न पूछा, “धर्म ने पहले अपने को दाँव एवं एक के बाद एक नये चीर उसने प्रकट किये पर लगाया, तथा हारने पर मुझे लगाया । तो क्या मैं (म. स. ६१. ४१)। द्रौपदी के शील की रक्षा हुई। दासी बन गई ?' इसके प्रश्न का उत्तर कोई भी न दे | अपने कृत्य के प्रति लज्जित हो कर, अधोमुख दुःशासन • सका (म. स. ६०.४३-४५)। अपने स्थान पर बैठ गया (म. स. ६१. ४८)। अन्त में भीष्म ने सुनी अनसुनी की। बाकी सभा स्तब्ध रही। धृतराष्ट्र ने दुर्योधन को कडी डॉट लगाई। द्रौपदी को यह लगातार प्रश्नों की बौछार कर रही थी। सुन कर भी | इच्छित वर दे कर, पतियों सहित उसने इसे दास्यमुक्त किसी के कान पर तक नहीं रेंगी। कर्ण, दुःशासनादि | किया (म. स. ६३. २८-३२)। द्रौपदी की 'दासी दासी' कह कर अवहेलना करने लगे। वनवास-युधिष्ठिर के द्युत के कारण, पांडवों के भीम अपना क्रोध न रोक सका। जिन् हाथों से धर्म ने साथ वन में जाने का प्रसंग द्रौपदी पर आया । वनवास में द्रौपदी को दाँव पर लगाया था, उन हाथों को जलाने के कौरवों के कारण, इसे अनेक तरह के कट उठाने लिये, अग्नि लाने को उसने सहदेव से कहा। बडी कठिनाई । पड़े। एक बार इसका सत्वहरण करने के लिये, परमकोपी ३११
SR No.016121
Book TitleBharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSiddheshwar Shastri Chitrav
PublisherBharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
Publication Year1964
Total Pages1228
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
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