________________
चन्द्र
परंतु वह गर्भवती थी । बृहस्पति ने तारा को गर्भ का याग करने के लिये कहा । तब तारा ने एक वृक्ष पर उसे छोड़ दिया । वह गर्भ अत्यंत तेजस्वी था। यह देख कर पुनः बृहस्पति तथा चन्द्र लड़ने लगे । तब तारा ने कहा कि, 'गर्भ चन्द्र का है' । वह गर्भ चन्द्र को दिया गया । यह बुध हैं । यहीं से चन्द्रवंश प्रारंभ हुआ ( भा. ९. १४; ह. वं. १.२५; पद्म. पा. १२; ब्रह्म ९; मत्स्य. २३; दे. भा. १.११; वायु. ९०.२ - ९ ) ।
प्राचीन चरित्रकोश
सोमवंश का प्रथम राजा सोम ही था । इसकी पत्नी रोहिणी । इसकी राजधाधी प्रयाग थी । ( पद्म. उ. १५६; सोम तथा पुरूरवसू देखिये) । बदरिकाश्रम में तप कर के इसने ग्रहाधिपत्य प्राप्त किया ( स्कन्द . २.३.७ ) । इसने उमासहित सोम की आराधना की, इसलिये इसे सोम नाम प्राप्त हुआ (स्कन्द. ४.१.१४ ) ।
धर्म प्रजापति को वसु नामक स्त्री से उत्पन्न अष्टवसुओं में से एक का नाम सोम है ( म. आ. ६०.१७; लिंग. ६१ ) | यह वैवस्त म्रन्वन्तर का था । पीछे वर्णित सभी कथा इसीकी होनी चाहिये ।
सोमवंश -- भारत का प्राचीन इतिहास सोम एवं सूर्यवंश का ही इतिहास है । सोम चंद्र का ही नामांतर है । सोम़ तथा सूर्य इन दोनों वंशों का मूलपुरुष वैवस्वत मनु है। सूर्यवंश वैवस्वत मनु के पुत्र से शुरू होता है । सोमवंश उसकी कन्या इला से प्रारंभ होता है ।
वैवस्वत मनु की कन्या इला सोमपुत्र बुध से ब्याहीं थी। उसीसे पुरूरवस्-आयु-नहुष—ययाति तक का वंशविस्तार • हुआ । इसे ही पुरूरवस् वा ऐल वंश कहते है । पुरूरवस्पुत्र अमावसु से कान्यकुब्ज में अमावसुवंश शुरू हुआ।
आयुपुत्र वृद्धशर्मन् वा क्षत्रवृद्ध से काश्य वा काशिवंश का प्रारंभ हुआ। रजिवंश, अनेनस्वंश तथा रंभवंश ये भी आयुवंश की उपशाखाएं हैं। क्षत्रवृद्ध का द्वितीय पुत्र प्रतिक्षत्र था । उसीसे पुरूरवस् ( ऐल) वंश की एक अलग उपशाखा निर्माण हुई।
चंद्रगुप्त
(३) अनुवंश -- उशीनर ( केकय, मद्रक), तितिक्षु ( अंग, वंग, कलिंग, सुझ, पुंडू ) ।
नहुषपुत्र ययाति के अनु, पूरु, द्रुहयु, तुर्वसु एवं यदु नामक पाँच पुत्र थे । इन पाँच पुत्रों से पुरूरवस् वंश की पाँच उपशाखाएं निकली । ये उपशाखाएं इस प्रकार है( १ ) तुर्वसुवंश - - यह दुष्यन्त के समय पुरुवंश मे सम्मीलित हुवा 1
(२) पूरुवंश --अजमीढ, कुरु, चेदि, जह्नु, द्विमीढ, नील ।
(४) यदुवंश -- अनमित्र, अंधक, कुकुर, क्रोष्टु, ज्यामध, भजमान, रोमपाद, वसुदेव, विदर्भ, विदूरथ, विष्णु वृष्णि, सहस्रजित् सात्वत, हैहय ।
(५) दुधुवंश - - द्रुह्यु का वंश पुराणों में मिलता है। उसकी शाखाएँ नहीं हैं ।
सूर्यवंश की विस्तृत समीक्षा के लिये विवस्वत् देखिये । २. (स. इ.) भागवत मत में विश्वरंध्री का पुत्र ( इन्दु देखिये ) |
३. (सृ. इ. ) भानु राजा का पुत्र । इसे श्रुतायु नामक पुत्र था ।
४. दाशरथि राम के सूज्ञ नामक मंत्री के पुत्रों में से एक । अश्वमेध का अश्व वापस लाने के लिये हुए युद्ध में, कुश ने इसका वध किया ( वा. रा. उ. १ ) ।
५. कृष्ण तथा नानजिती के पुत्रों में से एक ( भा. १०.६१.१३) ।
६. कश्यप तथा दनु का पुत्र । चंद्रकला -- माधव ५. देखिये । चंद्रकांत -- एक गंधर्व । इसकी कन्या सुतारा । चंद्रकेतु -- हंसध्वज राजा का भ्राता । २. (सु. इ. ) वायुमत में लक्ष्मण पुत्र ।
३. भारतीय युद्ध में दुर्योधनपक्षीय राजा । यह कृपाचार्य का चक्ररक्षक था । अभिमन्यु ने किया ं (म. वि. ५२. ९२८ पंक्ति ६; द्रो. ४७. १५)।
चंद्रगिरि - ( सू. उ. ) मत्स्य तथा पद्म मत में तारापीड का पुत्र ( पद्म. सृ. ८ ) ।
चंद्रगुप्त - (मौर्य. भविष्य . ) एक राजा । नंदवंश नष्ट होने पर यह गद्दी पर बैठा । यह महापद्म नंद की मुरा नामक शूद्रा से उत्पन्न पुत्र था। इस कारण इसके वंश का नाम मौर्यवंश हुआ, ऐसा प्रवाद है । आचार्य चाणक्य ने सब नंदों का नाश कर के इसे सिंहासन पर बैठाया । इसने कुल चौबीस वर्ष राज्य किया । इसे वारिसार नामक पुत्र था (भा. १२.१.१३ ) । इसने पौरसाधिपति सुलून राजा की यवन कन्या के साथ विवाह किया । इसका पुत्र बिंदुसार (भवि. प्रति. १.७ ) ।
२. कार्तवीर्यार्जुन का मंत्री । इसने जमदग्नि ऋषि का शिरच्छेद किया (ब्रह्मांड. ३.३०.८ ) ।
२०३