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गौतम
प्राचीन चरित्रकोश
गौश्रायणि
गौतम व्यास-यह वैवस्वत मन्वन्तर में हुआ | ३. एक राजा । इसने चिंतामणि मणि की सहायता से • (व्यास देखिये)।
| सुप्रतीकपुत्र दुर्जय को ससैन्य भोज दिया। इसका वैभव गौतमी--अश्वत्थामन् की माता (भा. १.७.४७)। | देख कर मोहित हुए दुर्जय ने, उस मणि की इससे २. एक वृद्ध ब्राह्मण स्त्री (अर्जुनक देखिये)। इसने | याचना की। गौरमुख के न देनेपर उसने इससे युद्ध अपने पुत्र को मारनेवाले सर्प को 'भूतदया' के कारण | किया। इसी कारण दुर्जय का संपूर्ण नाश हुआ (वराह. छोड़ दिया।
| ११-१५)। गौतमीपुत्र-भारद्वाजीपुत्र का शिष्य । कात्यायनी- गौरवाहन--पांडवों का समकालीन एक राजा (म. पुत्र तथा आत्रेयीपुत्र इसके शिष्य थे (बृ. उ. ६.५.१-२ | स. ३१.१५)। काण्व.)।
गौरवीति-अंगिराकुल का गोत्रकार तथा प्रवर । २. वात्सीपुत्र का शिष्य । इसका शिष्य आत्रेयीपुत्र | गौरवीति शाक्त्य--सूक्तद्रष्टा (ऋ५.२९, ९.१०८. (बृ. उ. ६.४.३१. माध्यं.)।
१;२; १०.७३; ७४; ऐ. ब्रा. ३.१९८.२)। गौतमीपुत्र आंध्र--(आंध्र. भविष्य.) मत्स्यमता- विभिंदुकी के किये गये सत्र में यह प्रस्तोतृ था (जै. नुसार शिवस्वाति का पुत्र ।
ब्रा. २.२३३) । यह शक्ति का पुत्र था, ऐसा कहा गया है । गौपवन--गोपवन का वंशज । यह पौतिमाष्य एवं | इससे पता चलता है कि, यह तथा पराशर एक ही व्यक्ति कौशिक का शिष्य था (बृ. उ. २.६.१, ४.६.१)। रहे होंगे। गौरिवीति शाक्त्य का एक साम गौरिवित नाम गौपायन--वसिष्ठकुल का गोत्रकार । पाठभेद-गोपायन
से प्रसिद्ध है (तां. बा. ११.५.१३-१५)। ऋषभ याज्ञतुर २. सुबंधु आदि भाई गौपायन के वंश के थे ।
का यह पुरोहित था (श. ब्रा. १२.८.३.७)। ऋषभ याज्ञतुर असमाति ऐक्ष्वार्क के ये पुरोहित थे। इन्हें छोड़ कर राजा
की गाथा गौरीवीति शाक्त्य ने की होगी (श. ब्रा. १३. ने दूसरे पुरोहित बुलाये, तब ये राजा पर मंत्रतंत्र छोड़ने
५.४-१५)। इसका गौरीविति ऐसा भी पाठ है (ता. लगे । इसीसे क्रुद्ध हो कर आये हुए पुरोहितों ने इनका
ब्रा. ११.५, १२.१३, २५.७; श. ब्रा. १२.८.३.७)। वध किया (ऋ. सायणभाष्य. १०.५७; बृहद्दे. ७.८३;
गौरशिरस्--एक ऋषि (म. स. ७.९)। · पं. बा..१३.१२.५; जै. ब्रा. ३.१६७)।
___गौराश्व-एक क्षत्रिय । यमसभा में उपस्थित (म. गौपालायन-शुचिवृक्ष का पैतृक नाम (औपोदिति देखिये)।
गौरिक-(सू . इ.) वायुमतानुसार युवनाश्वपुत्र ।
मांधातृ का मूल नाम। गौपालेय-उपोदिति का पैतृक नाम ।
गौरी-मत्स्यमतानुसार अंतिनार की कन्या। मांधातृ गौर-शुक एवं पीवरी का पुत्र ।
की माता (युवनाश्व तथा प्रसेनजित् देखिये)। २. विकुंठ देवों में से एक।
२. (सुदेव ९. देखिये)। गौरग्रीव-अत्रिकुल का गोत्रकार।
गौरीविति शाक्त्य-गौरवीति देखिये। गौरजिन-अत्रिकुल का गोत्रकार।
गौरुडि-एक ऋषि । उपाकर्मागतर्पण में इसका संग्रह गौरपराशर-एक ऋषि । इसके कुल में कांडूषप, | है (जैमिनि देखिये। वाहनप, जैझप, भौमतापन तथा गोपालि ये प्रसिद्ध ऋषि | गौलवि-एक ऋषि । उपाकर्मागतर्पण में इसका हुए।
| संग्रह है (जैमिनि देखिये )। गौरपृष्ठ-एक क्षत्रिय । यम की सभा में इसकी | गौल्गुलवीपुत्र गौभिल--एक ऋषि । इसका पिता उपस्थिति का उल्लेख मिलता है (म. स. ८.१९)। । बृहद्वसु । पिता के पास इसने सामवेद का अध्ययन किया गौरप्रभ-शुक एवं पीवरी का पुत्र । .
(वं. बा.३)। गौरमुख--उग्रसेन का उपाध्याय । सांब से, इसका गौश्र-गुश्री का वंशज । इसे मधुक नामक एक ऋषि सूर्यविषयक संवाद हुआ था (भवि. ब्राह्म. १३९)। ने 'सोमवल्ली की देवता कौन हैं ? ' ऐसा प्रश्न पूछा था
२. शमीक ऋषि का शिष्य। इसने गुरु की आज्ञा | (सां. ब्रा. १६.९:२३.५)। पा कर परीक्षित् राजा को उसकी मृत्यु निवेदित की (म. | गौश्रायणि--एक आचार्य । चित्र का पैतृक नाम । आ. ३८.१४-१९)।
जाबालसत्र में यह पुरोहित था (सां. ब्रा. २३.५)।
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स.८.१७)
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