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________________ कृतवार्य प्राचीन चरित्रकोश कृप पर कनक पाठ है । संकष्टीचतुर्थी व्रत के प्रभाव के कारण, कृतौजस-(सो. सह.) मत्स्य मत में कनकपुत्र । इसे कार्तवीर्यार्जुन जैसा पराक्रमी पुत्र हुआ (गणेश | भागवत तथा विष्णु मत में धनकपुत्र । कृत्तिका-प्राचेतस दक्ष ने सोम को दी सत्ताइस कृताग्नि-(सो. सह.) राजा धनक के चार पुत्रों | कन्याओं में से एक। में से दूसरा। २. अग्नि नामक वसु की पत्नी । इसका पुत्र स्कंद (भा. कृताश्व--(सू. इ.) संहताश्व राजा के दो पुत्रों में | ६.६; मत्स्य. ५. २७)। से ज्येष्ठ । कृशाश्व नामांतर है । इसका पुत्र श्येनजित् वा कृत्नु भार्गव-सूक्तद्रष्टा (ऋ. ८. ७९)। प्रसन्न था। कृत्वी-कृष्णद्वैपायन पुत्र शुक की कन्या। इसका कृताहार--पुलह तथा श्वेता का पुत्र । | दूसरा नाम कीर्तिमती है। अजमीढ़ कुल में उत्पन नीप कृति-(सो. आयु.) नहुष के छः पुत्रों में से कनिष्ठ । | वा अणुह राजा की यह पत्नी थी। इसका पुत्र ब्रह्मादत्त । २. (सू. निमि.) बहुलाश्व जनक का पुत्र। इसका पुत्र कृप-रुशम एवं श्यावक के साथ इंद्र के सहायक महावशिन् । विष्णु एवं वायु मत में, इस के समय निर्मि | के रूप में आया है (ऋ. ८. ३.१२, ४.२)। वा विदेह वंश समाप्त हुआ। कृतरात-देखिये। २. (सो. अज.) उत्तर पांचाल देश के राजकुल में ३. (सो. कोष्टु.) रोमपादपुत्र बभ्रु का पुत्र । इसका | गौतम नामक मुनि का पौत्र । पांचाल देश, आज का पुत्र राजा उशिक (भा. ९.२४.)। रुहेलखंड है। गौतम का शरबत् नामक महान् तपस्वी ४. ( सो. द्विमीढ.) सन्नतिमान् राजा का पुत्र । इसने पुत्र था। सत्यधृति का पुत्र शरद्वत् , ऐसा भी कहीं कहीं हिरण्यनाम से प्रांच्यसामों की छः संहिताएँ संपादित की उल्लेख मिलता है। इसकी तपस्या भंग करने के लिये इंद्र थी। इसका पुत्र नीप। | ने जालपदी नामक अप्सरा भेजी थी (म. आ. १२०. ५. (सो. कुरु.) भागवत मत में च्यवनपुत्र। इस | ६)। कुछ स्थानों पर इस अप्सर को उर्वशी कहा गया उपरिचर वसु नामक पुत्र था । कृत पाठभेद है। है (भा. ९. २१. ३५, मत्स्य. ५०. १-१४)। कुछ ६. भारतीय युद्ध में दुर्योधनपक्षीय राजा । इसका पुत्र स्थानों पर तो, सत्यधृति का तपोभंग करने के हेतु उर्वशी रुचिपर्वन् (म. द्रो. २५.४८)। को भेजा गया, यों उल्लेख है । उस अप्सरा को देखते ही . . ७. संहाद की पत्नी । इसका पुत्र पंचजन ( भा. ६. इसका वीर्यस्खलन हुआ। यह वीर्य, शर नामक घास के .१८)। द्वीप पर गिरा, जिससे एक पुत्र एवं एक कन्या उत्पन्न हुई। ८. वसुपुत्र विश्वकर्मन् की पत्नी । इसे चाक्षुष नामक | कालोपरांत उसी वन में राजा शंतनु शिकार खेलने आया। छठवा मनु हुआ। (भा. ६.६)। वह इन्हें उठा कर ले गया, तथा उसने इनका पालन .. ९. सावर्णि मन्वंतर में एक मनुपुत्र । कृपापूर्वक किया। इसलिये कुप तथा कुपी उनका नामकरण .१०. रुद्रसावर्णि मन्वंतर के सप्तर्षियों में से एक। हुआ (म. आ. १२०)। इनमें से कृपी अश्वत्थामा की ११. रैवतमनुपुत्र । माता तथा गुरु द्रोणाचार्य की पत्नी थी (म. आ. १२. विष्णुमत में व्यास की सामशिष्यपरंपरा के | १२१. ११; विष्णु. ४. २०; अग्नि. २७७. गरुड. पौष्यंजि का शिष्य । १४०)। शंतनु पुत्र तथा पुत्री को वन से उठा कर ले गये, कृतिमत्-(सो. द्विमीढ.) भागवत मत में यवीनर- | यह बात तपःसामर्थ्य से गौतम ने जान ली। राजा के पुत्र । इसे सयधृति भी कहते थे। पास जा कर उसने अपने पुत्र को गोत्र आदि की कृतिरथ-(स. निमि.) प्रदीपकपुत्र । वायु मत में | जानकारी दी। उसे चारों प्रकार के धनुर्वेद तथा सब कीर्तिरथ। प्रकार की अस्त्रविद्या सिखायी (म.आ. १२०.१९-२०)। कृतिरात--(सू. निमि.) विष्णु तथा भागवत मत में इसके बाद राजा धृतराष्ट्र ने, वेदशास्त्रों में निपुण महाधृतिपुत्र। इसका नाम वायु मत में कीर्तिराज तथा | कृपाचार्य के पास, अपने सब पुत्रों को अध्ययन के लिये भागवत मत में कृति है। भेजा। कोरवों ने द्रोणाचार्य के पहले कृपाचार्य के पास , कृतेयु---(सो. पूरु.) भागवत तथा वायु मत में | धनुर्वेद सीखा था (म. आ. परि. १. क्र. ७३; पंक्ति रौद्राश्व को घृताची से उत्पन्न पुत्र । १३४)। १५७
SR No.016121
Book TitleBharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSiddheshwar Shastri Chitrav
PublisherBharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
Publication Year1964
Total Pages1228
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
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