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कालेय
प्राचीन चरित्रकोश
काश्यप
२. रसातल में रहनेवाले दैत्यों में से एक (भा. ५. काशिराज--अंबा, अंबिका तथा अंबालिका का २४)। यह कालकेय का भाई था। भाई की मृत्यु के | पिता | परंतु यह नाम काशी के किसी भी राजा को कारण, चित्ररथ पर इसने आक्रमण किया। परंतु इन्द्र पुत्र | लगाया जाता है (भा. ९.२२ प्रतर्दन देखिये)। जयंत ने बीच ही में इसका वध किया (पद्म. सृ.६६)। २. भारतीय युद्ध में दुर्योधनपक्षीय राजा (म. आ.
कावषेय-यह तुर का मातृक नाम है । यह तत्त्वज्ञान | ६१-६७)। का आचार्य था (ऐ. आ. ३.२.६; सां. आ. ८.२)। ३. भास्करसंहिता के 'चिकित्साकौमुदी' तंत्र का कर्ता यह तुर ऋषि को कवषा से उत्पन्न हुआ था (भा. ९.२२) | (ब्रह्मवै. २.१६)। काव्य--बर्हिषद पितरों में से एक, तथा स्वतंत्र पितृगण
| काश्य--(सो.क्षत्र.) भागवत मत में महोत्र का, एवं वायु (वायु. ५६.१३)। यह कविपुत्र है।
तथा विष्णु के मत में सुनहोत्र का पुत्र । ब्रह्मांड, भागवत
तथा वायु के मत में, काश्यवंश अमावसुपुत्र क्षत्रवृद्ध से २. वारुणि कवि का पुत्र । भार्गव तथा अंगिरस गोत्र
प्रारंभ हुआ। ब्रह्म तथा अग्नि पुराण के मत में वह पौरव के मंत्रकार तथा ऋषि । सामवेदी श्रुतर्षि ( उशनस् देखिये)
सुहोत्र से निकला । परंतु, ब्रह्म तथा अग्नि में सुहोत्र तथा ३. तामस मन्वन्तर के सप्तर्षियों में से एक.
सुनहोत्र नामसाम्य से गड़बड़ हो गई होगी । इस वंश को ४. उशनस् का पैतृक नाम (ऋ. १.५१.११; ८३.५
क्षत्रवृद्धवंश अथवा काश्यवंश कहते हैं (काशि देखिये)। १२१.१२, ६. २०.११; ८.२३.१७; अ. वे. ४.२९.६:
२. सांदीपनी का नामांतर । ते. सं. २.५.८.५)। इटत् , तथा उक्ष्णोरंध्र का भी यह
। ३. (सो. अज.) सेनजित राजा के चार पुत्रों में से पैतृक नाम है।
तीसरा । मत्स्य में काव्य नामांतर प्राप्त है। काश-काश्य देखिये।
४. भारतीय युद्ध में पांडवपक्षीय राजा । एकरथ होते काशकृत्स्न--एक व्याकरणकार। इसका तीन अध्यायों हुए भी, युद्ध के समय किसी वरप्रभाव से यह अष्टरथी * का व्याकरण है (काशिका. ५.१.५८)। एक तत्त्वज्ञानी | हो जाता था (म. उ. १६८.१२१)। (ब्र. सू. १.४.२२)।
५. काशिराज अर्थ से यह नाम अजातशत्रु के लिये काशि वा काश्य-इन लोगों का वैदिक वाङ्मय में • पर्याप्त उल्लेख आता है। काशी राजा के लिये इस शब्द काश्यप--किसी विस्तृत कुल का नाम । प्रजापति . का उपयोग किया गया होगा। शतानीक सात्राजित के के द्वारा उत्पन्न सभी प्रजायें काश्यप माने कश्यपकुलोत्पन्न
द्वारा काशी राजा धृतराष्ट्र का पराभव हुआ। तब पुनः | है (श. ब्रा. ७.५.१.५, कश्यप देखिये)। ब्राह्मणों के हाथों में सत्ता आने की अवधि तक के लिये, यह सर्वसाधारण पैतृक नाम है (ते. आ. २.१८; काश्य लोगों ने यज्ञ करना बंद कर दिया (श. बा. १३.५. १०.१.८)। अगत्स्य तथा परशुराम के समान, यह भी ४.१९)। दूसरा अजातरिपु भी काशी का राजा था। भद्र- दक्षिण का निवासी माना जाता है। अपने वंश अथवा उपसेन भी काशी का राजा था। काशी विदेह सामासिक नाम
निवेश का काश्यप से संबंध जोड़नेवाले तथा काश्यप प्राप्य है । काशी, कोसल एवं विदेह का एक ही पुरोहित | गोत्रीय माननेवाले लोग सभी जातियों में पाये जाते हैं। था (सां. श्री. १६.२९.५)। काशी तथा विदेह एक | शाकटायन के साथ व्याकरणज्ञ कह कर, इसका उल्लेख है दुसरे के बिल्कुल समीप थे (बौ. श्री. २१.१३)। काशी- (शु. प्रा; ४.५)। कौशल्य निर्देश भी पाया जाता है (गो. बा. १.९)। कश्यप गोत्र का मंत्रकार । यह ऋषि भी है (भृगु,
२. वारुणि कवि के आठ पुत्रों में से सातवाँ (कवि | कश्यप अवत्सार, ऋश्यशंग, देवतरस् , श्यावसायन, शूष देखिये)। .
| वाह्नेय, गौतम असित देवल, निध्रुवि, भूतांश, रेभ, रेभ३. (सो. क्षत्र.) भागवत मत में काश्यपुत्र । वायु | सूक्ति, विवि तथा हरित देखिये)। तथा विष्णु के मत में काश पुत्र । वायु में इसे काश्य कहा | २. एक मांत्रिक ब्राह्मण । सर्पदंश हुए परीक्षित को अपने है । विष्णु में इसे काशिराज कहा है । (काश्य देखिये)। मंत्रसामर्थ्य से जीवित कर के, धनप्राप्ति करने के लिये
काशिक-भारतीय युद्ध में पांडवपक्षीय राजा (म. यह जा रहा था। यह समाचार पाते ही, वृद्ध ब्राह्मण का उ. १६८.१४)।
| रूप ले कर, मार्ग में तक्षक ने काश्यप से भेंट की, तथा इससे