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________________ प्राचीन चरित्रकोश कालकंज चित्रा नामक ईंट का मन में स्मरण रखा। अनुष्ठान समाप्त होने के पश्चात् चयन पर आरोहण कर असुर स्वर्ग जाने लगे । इतने में चयन में से इंद्र ने अपनी ईंट धीरे से निकाल ली। जिससे चयनरूपी श्येनपक्षी ध्वस्त हो कर नीचे गिरा, तथा असुरों का स्वर्ग जाना रुक गया। कुछ लोग स्वर्ग की आधी राह में थे। चयनध्वंस की घटना के कारण वे मकोड़ा नामक छैः पैरों के कीडे बने । दो अमुर श्रद्धातिशय के कारण स्वर्ग जा पहुँचे, परंतु चयनभ्रष्टता के पाप से दोनों देवलोक में श्वान बने (तै. बा. १.१.२ कालकेय देखिये) । कालकवृक्षीय- एक ऋषि इसके पास भूत भविष्य तथा वर्तमान जाननेवाला एक पक्षी था। एक बार यह कोसल देशाधिपति क्षेमदर्शी राजा के यहाँ गया । राजाने पक्षी का गुण जान कर प्रश्न पूछा, 'मेरे मंत्री मेरे संबंध में कैसे हैं ?' इस पर पक्षी ने एक मंत्री के जो दुर्गुण थे, वे बताये। दूसरे दिन अन्यों के दुर्गुण बताना तय किया। तब रात्रि में अन्य मंत्रियों ने उस पक्षी की हत्या की। इससे राजा समझ गया कि, ये सारे मंत्री अनिष्टचिंतन करनेवाले हैं। इस ऋषि की सहायता से राजा ने सबको सजा दी ( म. शां. १०१; स. ७.१६ ) । एक बार क्षेमदर्शी निर्बल हो कर इस मुनि के पास आया उसने मुनि से पूछा "अब क्या करें ?" मुनि । ने उसकी सब तरह से परीक्षा लेकर क्षेमशी राजा को अपना प्रधान नियुक्त करने का विदेहपति को आदेश दिया। विदेहपति ने यह मान्य किया। दोनों ने मुनि का आदरपूर्वक पूजन किया ( म. शां. १०५-१०७; क्षेमदर्शिन् देखिये) । कालका -- वैश्वानर दानव की कन्या तथा कश्यप प्रजापति की स्त्री (भा. ६.६ ) । कुछ लोगों का दावा है कि, यह मारीच राक्षस की स्त्री है। उपरोक्त विधान ठीक नहीं है। कश्यर को मारीच भी कहते है, अतः वह कश्यप ही की पत्नी है। इसके कालकेय ऊर्फ कालकंज नामक असंख्य पुत्र हुए ( कश्यप तथा कालकंज देखिये; म. व. १७० ) । कालनेमि कालकामुक कार्मुकपर राक्षस के बारह अमात्यों में से एक ( खर देखिये) । कालकाम- विश्वेदेवों में से एक संप्रति परशुराम क्षेत्र में परशुराम के पास रहते है । वहाँ के लोग संकल्प में भी इसका उच्चार करते हैं, परंतु इस विषय में प्रमाण अप्राप्य है। कालकाक्ष -- गरुड़ के द्वारा मारा गया एक राक्षस । कालकीर्ति -- एक क्षत्रिय ( म. आ. ६१.३४ ) । कालकूट - - त्रिपुरासुर का आश्रित दैत्य ( गणेश. १. ४३ ) । . कालकेतु एक असुर एकवीर नामक हैहय राजा ने इसका वध किया । कालकेय ( कालेय) हिरण्यपुर में रहनेवाले असुर । इन्हें अर्जुन ने मारा ( म. व. ९८. १७० ) । मारीच की कालका नामक स्त्री थी । उसके पुत्र कालकेय । इनके लिये कासवंग भी नामांतर है ( म. स. ९.१२ ) । इनके साथ रावण का युद्ध हुआ था। तब रावण की भगिनी शूर्पणखा का पति विद्युज्जिह्न अनजाने रावण द्वारा मारा गया। कालकेय १४ सहस थे ( वा. रा. उ. २४.२८ ) । कालखंज -- कालकंज, कालका, कालकेय देखिये । कालघट - - जनमेजय राजा के सर्पसत्र का एक सदस्य म. आ. ४८.८ ) । ( कालजित् -- लक्ष्मण का सेनापति ( कुशीलव देखिये) । कालजित एक रुद्रगण । । । कालनर - ( सो, अनु.) भागवतमतानुसार समानर का पुत्र इसके पुत्र संजय इसे कालानल भी कहते हैं। कालनाभ -- हिरण्यकशिपु की सभा का एक दैत्य तथा स्पाभानु का पुत्र (भा. ७.२ ) । २. कश्यप तथा दनु का पुत्र ( . ६ १.२.१००) | ३. विप्रचित्ति तथा सिंहिका का पुत्र । इसे परशुराम ने मारा (ब्रह्माण्ड. ३.६.१८-२२ ) । ४. कृष्णपुत्र सांब के द्वारा मारा गया दैत्य । कालनेमि - लंका का एक राक्षस । लक्ष्मण युद्ध में मूर्च्छित हुआ। उसे औषधि लाने के लिये हनुमान द्रोणाचल कि ओर जा रहा था। रावण को यह समाचार मिला । मार्ग में रोड़ा अटकाने के लिए उसने कालनेमि की योजना की । यह ऋषि के वेष में हनुमान् के, मार्ग में जा बैठा । पानी के लिये हनुमान् वहाँ रुका। इसका कपट जल्दी ही समझ गया, इसलिये इसे मार कर वह अविलंब आगे बढ़ा ( अध्या. रा. यु. ७) । सौ मुखोंवाला एक दैत्य (मत्स्य. १७७ ) । १३८
SR No.016121
Book TitleBharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSiddheshwar Shastri Chitrav
PublisherBharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
Publication Year1964
Total Pages1228
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
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