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ऋषियों की तालिका
प्राचीन चरित्रकोश
कालगणनापद्धति
समकालीन राजा (इक्ष्वाकुवंश)
भार्गव
वासिष्ठ
आंगिरस
अन्य ऋषि
सुदर्शन
अग्निवर्ण
जैगीषव्य शंख एवं लिखित, कण्डरीक, बाभ्रव्य पांचाल
मरु
प्रसुश्रुत
सगर पराशर-सागर जातुकर्ण्य
| सुसंधि
भरद्वाज
असित-काश्यप, विष्वक्सेन (जातुकर्ण्य) अग्निवेश
अमर्ष एवं सहस्वन्त | विश्रुतवंत
कृष्ण द्वैपायनव्यास शुक
कृप, द्रोण, .
असित-देवल, धौम्य एवं याज, काश्यपवंशीय
ऋषि
९४. बृहद्बल
वैशंपायन
भूरिश्रवस् आदि अश्वत्थामन् , पैल । लोमश, जैमिनि, सुमन्तु अन्य ऋषि
परिशिष्ट ७
कालनिर्णयकोश
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१ प्राचीन कालगणनापद्धति पौराणिक साहित्य में तीन प्रमुख कालगणनापद्धतियाँ __ कृतयुग- ..
१७,२८,००० वर्ष उपलब्ध हैं:- 1. युगगणनापद्धति, जो सत्य, त्रेता, त्रेतायुग
१२,९६,००० वर्ष द्वापर, कलि आदि युगों की कल्पना पर अधिष्ठित है; द्वापरयुग
८,६४,००१ वर्ष २. मन्वन्तर कालगणनापद्धति-जो स्वायंभुव, स्वारोचिष कलियुग--
४,३२,००० वर्ष आदि चौदह मन्वन्तरों की कल्पना पर अधिष्ठित है। ३.
- ४३,२०,००१ वर्ष सप्तर्षियुग की कल्पना-जो आकाश में स्थित सप्तर्षि ग्रहों .:. ब्रह्मा का एक दिन-- ४३,२०,००१४१,००० के स्थिति के मापन पर आधारित है, एवं इस प्रकार
= ४,३२,००,००,००१ वर्ष खगोलशास्त्र से संबधित है।
(विष्णु. ३.२.४८) युगगणनापद्धति-पौराणिक साहित्य में प्राप्त युग- एक उपपत्ति -- सुप्रसिद्ध इतिहासकार जयचंद्र गणना पद्धति के अनुसार, ब्रह्मा का एक दिन एक हजार | विद्यालंकार के अनुसार, यद्यपि पौराणिक साहित्य में निर्दिष्ट पर्यायों में विभाजित किया गया है, जिनमें से हर एक युगों की कल्पना शास्त्रीय एवं ऐतिहासिक है, फिर भी पर्याय निम्नलिखित चार युगों से बनता है:-
वहाँ दी गयी हर युग की कालमर्यादा अतिशयोक्तिपूर्ण है। प्रा. च. १४७ ]