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________________ सोम वंश प्राचीन चरित्रकोश सोम वंश (३) अनु शाखा--इन लोगों के एक शाखा का राज्य | गये राजवंश पूरुवंश (सो. पूरु.) सामुहिक नाम से - पंजाब देश में था, जिनमें सिंधु, सौवीर, कैकेय, मद्र, सुविख्यात हुए, जिनमें निम्नलिखित राजवंश प्रमुख थेःवाहीक, शिबि एवं अंबष्ठ प्रमुख थे। इन लोगों के दूसरी १. क्षत्रवृद्धवंश--(सो. क्षत्र), जो आयु राजा के पुत्र एक शाखा का राज्य पूर्व बिहार, बंगाल एवं ओरिसा में क्षत्रवृद्ध के द्वारा स्थापित किया गया था, एवं काशी देश में था, जहाँ इन लोगों के अंग, वंग, पुण्ड, सुह्म एवं कलिंग राज्य करता था; २. यदुवंश, (सो. यदु.) जो आयु राजा राज्य प्रमुख थे। | के पौत्र यदु के द्वारा स्थापित किया गया था; ३. तुर्वसुवंश (४) द्रुह्य शाखा--इन लोगों का राज्य गांधारदेश (सो. तुर्वसु.), जो आयुराजा के पौत्र तुर्वसु के द्वारा में था, एवं कई अभ्यासकों के अनुसार इनका विस्तार | स्थापित किया गया था; ४. वंश (सो. द्रा.), जो उत्तरी पश्चिमभारत की सीमाभाग पर स्थित म्लेच्छ आयुराजा के पौत्र द्रुह्यु राजा के द्वारा स्थापित किया गया लोगों तक फैला हुआ था। था, एवं गांधार देश में राज्य करता था; ५. अनुवंश (५) तुर्वसु शाखा--इन लोगों का उत्तरभारत में (सो. अनु.) जो आयु राजा के पौत्र अनुराजा के द्वारा स्थापित किया गया था; ६. पूरुवंश-(सो. पूरु.), स्थित राज्य तो नष्ट हुआ था। किन्तु कई अभ्यासकों के जो आयुराजा के पौत्र पूरुराजा के द्वारा स्थापित किया अनुसार, दक्षिण भारतवर्ष के पाण्ड्य, चोल एवं केरल गया था। राजवंश इन्हींसे उत्पन्न हुए थे। (६) काश्य शाखा----इन लोगों का राज्य का शिदेश (अ) यदुवंश की उपशाखाएँ -इस राजवंश की में था। इसी कारण ययाति से उत्पन्न पाँच वंशों का राज्य निम्नलिखित उपशाखाएँ प्रमुख थींः--१. सहस्रजित् सारी पृथ्वी पर था, ऐसा स्पष्ट निर्देश पौराणिक साहित्य में शाखा ( सो. सह.), जो वंश यदुपुत्र सहस्रजित् के द्वारा था (वायु. ९३.१०३.९९-४७२, ब्रह्मांड. ३.६८.१०५ स्थापित किया गया था, एवं जो 'हैहय' सामूहिक नाम से १०६)। पौराणिक साहित्य में प्राप्त इस निर्देश से यादव, सुविख्यात था; २. क्रोष्टु शाखा ( सो. क्रोष्ट.), जो वशं तुर्वसु, आनव, द्रुघु एवं पौरव इन पाँच उपशाखाओं क्रोष्टु के द्वारा स्थापित किया गया था, एवं 'यादव' को निर्देश अभिप्रेत है। | सामूहिक नाम से प्रसिद्ध था। • स्थापना-बुध का इला से उत्पन्न पुत्र पुरूरवसू. ऐल (आ) अनुवंश की उपशाखाएँ-इस वंश की निम्नसोमवंश का संस्थापक माना जाता है । यद्यपि इन लिखित उपशाखाएँ प्रमुख थीं:-१. उशीनर शाखा लोगों का राज्य प्रतिष्ठान (आधुनिक प्रयाग) प्रदेश में | (सो. उशी.), जो वंश अनुवंश में उत्पन्न उशीनर राजा था। फिर भी इन लोगों का मूलस्थान हिमालय प्रदेश में | के द्वारा स्थापित किया गया था, एवं जिसमें सौवीर, कहीं था, पुरूरवस् के द्वारा स्थापित किया गया राज्य केकय, मद्रक आदि उपशाखाएँ प्रमुख थी; २. तितिक्षु ऐल राज्य नाम से सुविख्यात था, जो सात द्वीपों शाखा (सो. तितिक्षु.), जो वंश अनुवंश में उत्पन्न में विभाजित था । यही राज्य आगे चल कर, पुरूरवस् | तितिक्षु राजा के द्वारा स्थापित किया गया था, एवं जिसमें के आयु, एवं अमावसु नामक दो पुत्रों के पुत्रपौत्रों में | अंग, वंग आदि अनेक उपशाखाएँ समाविष्ट थी। विभाजित हुआ। इन्हीं से आगेचल कर सोमवंश के (इ) पूरुवंश की उपशाखाएँ-इस वंश के लोग निम्नलिखित शाखाओं का निर्माण हुआः 'भरत' सामूहिक नाम से प्रसिद्ध थे, एवं उनकी निम्न(1) अमावसु शाखा (सो, अमा.)--पुरूरवस् राजा | लिखित शाखाएँ प्रमुख थीं :--१. अजमीढ शाखा (सो. के अमावसु नामक पुत्र के द्वारा यह स्थापित की गयी थी, | अज.), जो अजमीढ के द्वारा स्थापित की गयी थी, एवं एवं कान्यकुब्ज देश पर राज्य करती थी। जिसकी हस्तिनापुर के कुरु (सो.कुरु.), एवं उत्तर पांचाल (२) आयु शाखा (सो. पुरूरवस.)-पुरूरवस् के के नील (सो. नील.) ये दो शाखाएँ प्रमुख थीं; २. द्विमीढ ज्येष्ठ पुत्र आयु के अनेनस, नहष, क्षत्रवृद्ध, रम्भ एवं | शा -(सो. द्विमीढ.), जो भरतवंश में उत्पन्न द्विमीढ रजि नामक पाँच पुत्र थे। इनमें से अनेनस के द्वारा | राजा के द्वारा स्थापित की गयी थी। आयु नामक स्वतंत्र राजवंश (सो. आयु.) की स्थापना | सोमवंश के उपर्युक्त राजवंशों की एवं उनकी विभिन्न की गयी । आयु के बाकी पुत्रों के द्वारा स्थापित किये | शाखाओं की जानकारी अकारादि क्रम से नीचे दी गयी है: ११४३
SR No.016121
Book TitleBharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSiddheshwar Shastri Chitrav
PublisherBharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
Publication Year1964
Total Pages1228
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
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