SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 1136
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ प्राचीन चरित्रकोश ह्रीमत् २. (सू. शर्याति. ) शर्याति वंश में उत्पन्न एक राजा, जो हैहय वंश का आद्य संस्थापक माना जाता है। यह वत्स राजा का पुत्र था, एवं इसे वीतहव्य नामान्तर प्राप्त था ( म. अनु. ३०.७-८; वीतहव्य देखिये) । आगे चल कर, यह भृगु ऋषि का शिष्य बन कर ब्राह्मण हुआ ( म. अनु. ३०.५४ - ५७ ) । होड -- एक ऋषि, जिसने बकुलासंगम पर तप किया था ( पद्म. उ. १३८ ) । होतृ-- पारावत देवों में से एक । होत्रक - - (सो. अमा. ) एक राजा, जो भागवत के अनुसार कांचन राजा का पुत्र, एवं जह्नु राजा का पिता था ( भा. ९.१५.३ ) । वायु में इसे सुहोत्र कहा गया है, एवं इसके पिता का नाम कांचनप्रभ दिया गया है। होत्रवाहन - - संजय नामक राजर्षि का पैतृक नाम । होम - - सुख देवों में से एक । ह्रदोदर -- एक राक्षस, जो स्कंद के द्वारा मारा गया ( म. श. ४५.६६ ) । हस्वकर्ण - - रावणपक्ष का एक राक्षस ( वा. रा. सुं. ६. ) । हस्वरोमन - - (सू. निमि. ) एक राजा, जो भागवत एवं वायु के अनुसार स्वर्णरोमन् राजा का पुत्र, एवं हैरण्यनाभ - पर आटनार नामक आचार्य का पैतृक सीरध्वज एवं कुशध्वज जनक राजाओं का पिता था (भा. नाम (श. बा. १३.५.४.४ ) । ६.१८.१३ ) । विष्णु में इसे सुवर्णरोमन् राजा का पुत्र कहा गया है । 1. हैहय -- क्षत्रियों का एक कुल, जिसका संहार परशुराम ने किया था। इस वंश में उत्पन्न निम्नलिखित राजाओं का निर्देश महाभारत में प्राप्त है: - १. कार्तवीर्य अर्जुन, जो परशुराम के द्वारा मारा गया ( म. स. परि. १.२१. ४३० - ४९० ); २. परपुरंजय, जिसने हैहय वंश की प्रतिष्ठा कतिपय बढ़ायी थी (म. व. १८२.३ - ५ ); ३. उदावर्त, जो एक कुलांगार नरेश था (म. उ. ७२.१३ ); ४. अर्जुन कार्तवीर्य, जो कृतवीर्य राजा का पुत्र था (म. शां. ४९.३०.४३ ); ५. सुमित्र ( म. शां. १२५.९ ) । हाद -- एक नाग, जो बलराम के परंधाम गमन के समय स्वागत के लिए उपस्थित था ( म. मौ. ५.१५ ) । २. हिरण्यकशिपु एवं कयाधु का एक पुत्र । ह्री--ब्रह्मा की सभा में उपस्थित एक देवी, जो स्कंद अभिषेक के समय उपस्थित थी ( म. स. १३२*; श. ४४.१२ ) । अर्जुन के इंद्रलोक जाते समय, उसकी मंगलकामना के लिए द्रौपदी ने इस देवी का स्मरण किया था (म. व. ३८.१४९* ) । | के चांद्रसेनीय कायस्थ प्रभु ज्ञाति का आद्य पुरुष चंद्रसेन हैहयवंशीय ही था ( कायस्थ धर्मप्रदीप ) | किन्तु हैहय वंशावलि में उसका नाम अप्राप्य है । ह्रीनिषेध -- एक दैत्यराज, जो एक समय इस पृथ्वी का शासक था ( म. शां. २२०.५० ) । ह्रीमत् -- एक सनातन विश्वेदेव (म. अनु. ९१.३१)। हेमांगद मांगद -- (सो. वसु. ) बसुदेव एवं रोचना का एक पुत्र २. (सू. इ. ) एक राजा ( स्कंद. २.६ ) । हेमांगी - - द्रविड देश के वीरवर्मन् राजा की पत्नी, जिसकी कथा पद्म में प्रयागक्षेत्र का माहात्म्य कथन करने के लिए दी गयी है (पद्म. उ. २२१-१२२ ) । हेरंब -- शिवकांची का एक शिवभक्त, जिसकी कथा शिव एवं विष्णु का विरोध चित्रित करने के लिए पद्म में दी गयी है (पद्म. उ. २२२ ) । हैतनामन आहत - - एक आचार्य (मै. सं. ३.४.६) । हैमवत--एक यक्ष, जो मणिवर एवं पुण्यजनी के पुत्रों में से एक था। हैमवती -- पार्वती का पैतृक नाम । २. विश्वामित्र ऋषि की पत्नी ( म. उ. ११५.१३ ) । ३. कृष्ण की एक पत्नी, जो उसकी मृत्यु के पश्चात् उसके साथ सती हो गयी (म. मौ. ८.७१ ) । हैमिनी -- विक्रान्त राजा की पत्नी, जिससे इसे चैत्र नामक पुत्र उत्पन्न हुआ था । जातहरिणी ने इसके पुत्र का हरण किया था, किन्तु आगे चल कर इसके पति विक्रान्त ने अपने पुत्र को पुनः प्राप्त कराया ( मार्के. ७३)। १११५
SR No.016121
Book TitleBharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSiddheshwar Shastri Chitrav
PublisherBharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
Publication Year1964
Total Pages1228
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy