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________________ हृदिक प्राचीन चरित्रकोश हेमांग हदिक अथवा हृदीक--(सो. क्रोष्टु.) एक भोजवंशीय हेमकृट-वरुणपुत्र एक वानर, जिसकी जानकारी यादव, जो कृतवर्मन् का पिता था (म. आ. ५७.५२५४)। रावण के शार्दूल नामक गुप्तचर ने उसे कथन की थी भागवत, विष्णु एवं वायु में इसे स्वयंभोज राजा का पुत्र | (वा. रा. यु. ३०)। कहा गया है। कृतवर्मन् के अतिरिक्त इसके देवबाहु, हेमगुह-कश्यपकुलोत्पन्न एक नाग (म. आ. ३१.९)। शतधनु एवं देवमीद नामक अन्य पुत्र भी थे (भा. ९. हेमचंद्र-(म, दिष्ट.) एक राजा, जो विशाल राजा २४.२६)। का पुत्र एवं सुचंद्र राजा का पिता था (भा. ९.२.३४)। मत्स्य एवं पद्म में इसे विदूरथपुत्र राज्याधिदेव राजा | हेमधन्वन्--धर्मसावर्णि मनु का एक पुत्र । का पुत्र कहा गया (पन्न. सू. १३)। हेमधर्म-अविक्षित् राजा की पत्नी बरा का पिता हृद्य-इंद्रसभा में उपस्थित एक ऋषि (म. स. ७. | (मार्क. ११९.१६ )। ११)। हेमनत्र--कुवेरसभा का एक यक्ष (म. स. १०. हृषीक--सुतार नामक शिवावतार का एक शिष्य। | १६)। हृषीकेत--कपिल ऋषि के कोप से बचे हुए चार हेमप्रभा-कांचनपुर के वल्लभ नामक ब्राह्मण की म्री, तगरपुत्रों में से एक (पद्म. उ. २०)। जिसकी कथा 'परिवर्तिनी एकादशी का माहात्म्य कथन हेति अथवा हेतृ--एक असुर, जो प्रहेति नामक असुर | करने के लिए पद्म में दी गयी है (पा. ७.१६)। का भाई था। इसकी पत्नी का नाम कालकन्या भया था, हेभप्रभावती-त्रेतायुग के श्रीधर नामक ब्राह्मण की जिससे इसे विद्युत्केश नामक पुत्र उत्पन्न हुआ था (भा. | स्त्री, जिसकी कथा 'बालवत' का माहात्म्य वर्णन करने के ६.१०.२० वा. रा. उ. ४.१४)। यह वृत्रानुयायी असुरों | लिए पद्म में दी गयी है ( पद्म. व्र.२.५)। . में से एक था। । हेमालिन्-कुबेर का एक यक्ष, जिसकी कथा इसकी कन्या का नाम सुकेशी, एवं इसके भाई योगिनी एकादशी' के व्रत का माहात्म्य कथन करने के प्रहेति की कन्या का नाम मित्रकेशी था। इन दोनों | लिए पद्म में दी गयी है (पा. उ.५२)। कन्याओं का विवाह दुर्जय नामक असुर से हुआ था, २. खर राक्षस का एक अमात्य (बा. रा. अर. जिनसे उसे क्रमशः प्रभव एवं सुदर्शन नामक पुत्र उत्पन्न | २३.३२)। ' हुए थे (वराह. १०)। ३. द्रुपद का एक पुत्र, जो भारतीय युद्ध में अश्वत्थामन् चैत्र माह के साथ भ्रमण करनेवाले असुरों की नामावलि | के द्वारा मारा गया था (म. द्रो. १३१.२८)। पाठभेद में इसका निर्देश प्राप्त है। (भांडारकर संहिता)-रुक्ममालिन् । . हेम--(सो. अनु.) एक राजा, जो भागवत, विष्णु हेमवर्ण-गरुड का एक पुत्र एवं वायु के अनुसार, उपद्रथ राजा का पुत्र, एवं सुतपस् २. रोचमान राजा का पुत्र, जो भारतीय युद्ध में राजा का पिता था (भा. ९.२३.४)। मत्स्य में इसे | पाण्डवपक्ष में शामिल था। इसके अश्व कमल के 'सेन' कहा गया है। रंग के थे। __ हेमकंपन-एक राजा, जो भारतीय युद्ध में दुर्योधन के हेमवर्मन् -दशार्णाधिपति हिरण्यवर्मन् का नामान्तर। पक्ष में शामिल था (म. द्रो. १३१.८५)। पाठभेद । हेमसदन -एकादश रुद्रों में से एक। (भांडारकर संहिता)-'सेमपंकज'। २. मगध देश का राजा, जिसके पुत्र का नाम बुध था हेमकान्त-वंगाधिपति कुशकेतु राजा का पुत्र । इसने | (कंद. १.२.४०)। शतर्ची नामक ऋषि का वध करने के कारण इसे ब्रह्महत्त्या हेमा-एक अप्सरा, जो मयासुर की पत्नी थी। मय का पातक लग गया था। आगे चल कर त्रित नामक ब्राह्मण | के निवासस्थान में से इंद्र के द्वारा भगाया दिये जाने को पानी पिलाने के कारण, यह ब्रह्महत्त्या के पातक से | पर, इसने वह स्थान अपनी सखी स्वयंप्रभा को दे दिया मुक्त हुआ (कंद २.७.१२)। (वा. रा. कि ५०-५२, उ. १२. मय १ देखिये)। हेमकुण्डल--निषधपुर का एक व्यापारी, जिसकी हेमांग--(सू. इ.) एक राजा, जिसकी कथा विद्वत कथा 'दानमाहात्म्य' कथन करने के लिए पद्म में दी गयी है परामर्प माहात्म्य कथन करने के लिए स्कंद में दी गयी है (पम. स्व.३०)। | (स्कंद. १.१६)।
SR No.016121
Book TitleBharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSiddheshwar Shastri Chitrav
PublisherBharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
Publication Year1964
Total Pages1228
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
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