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सुवीर
प्राचीन चरित्रकोश
सुशमन्
९. एक गोप, जिसकी कन्या के रूप में सुवर्ण ऋषि ने सुव्रता-दक्ष एवं वीरिणी की एक कन्या, जिसे जन्म लिया था (सुवर्ण ५. देखिये)।
दक्ष, धर्म, ब्रह्मा एवं रुद्र से क्रमशः दक्षसावर्णि, धर्मसुवीर शैब्य-(सो. अनु.) सौवीर देश का एक | सावर्णि, ब्रह्मसावर्णि एवं रुद्रसावर्णि नामक पुत्र उत्पन्न राजा, जो विष्णु, मत्स्य एवं भागवत के अनुसार शिबि | हुए थे (ब्रह्मांड, ४.१.३९-५१)। राजा का पुत्र था। इसीके ही कारण इसके राज्य को | सुशंख-एक गंधर्व, जिसके शाप के कारण सुनीथा 'सौवीर' नाम प्राप्त हुआ था।
रानी को वेन नामक दुष्ट पुत्र उत्पन्न हुआ था। सुवेधन--पांडव पक्ष का एक राजा (म. द्रो. १३३. सुशर्मन्- कर्ण का एक पुत्र, जो भारतीय युद्ध में ३७)।
| नकुल के द्वारा मारा गया। पाठभेद (भांडारकर संहिता)सुवेधस् शैरिषि--एक वैदिक सूक्तद्रष्टा (ऋ. १०. 'सुषेण'। १४७)।
२. (कण्व. भविष्य.) कण्ववंश का अंतिम राजा, जो सवेषा-कुरुवंशीय परिक्षित राजा की बाहुदा सुयशा | अपने बलि नामक अमात्य के द्वारा मारा गया (भा. १२. नामक पत्नी का नामान्तर (परिक्षित ३. देखिये)। १.२२)।
२. दशरथ राजा की पत्नी, जो पद्म के अनुसार शत्रुघ्न । ३. धर्मसावर्णि मनु का एक पुत्र । की माता थी।
४. एक दुराचारी ब्राह्मण, जिसकी कथा भगवद्गीता के . सुव्रत-पुलह एवं श्वता का एक पुत्र ।
प्रथम अध्याय का माहात्म्य कथन करने के लिए पद्म में २. (सो. उशी.) एक राजा, जो मत्स्य एवं वायु के | दी गयी है ( पद्म. उ. १७५)। अनुसार उशीनर राजा का पुत्र था (वायु. ९९.२०)। ५. एक ब्राहाण, जो विशाल नामक ब्राह्मण का पुत्र था।
३. एक आचार्य, जिसे पराशर ऋषि ने 'पराशर स्मृति' | बलाक नामक राक्षस ने इसकी पत्नी का हरण किया, कथन की थी।
| जिसे आगे चल कर उत्तम नामक राजा ने छुड़ा कर इसे ४. (सो. मगध. भविष्य ) एक राजा, जो भागवत वापस दे दिया (मार्क. ६६.६७)। एवं ब्रांड के अनुसार क्षेम राजा का, एवं विष्णु के सुशर्मन त्रैगर्त प्रस्थलाधिपति--त्रिगत देश का • अनुसार क्षेम्य राजा का पुत्र था । वायु एवं मत्स्य में इसे सुविख्यात राजा, जो वृद्धक्षेम राजा का पुत्र था। इसी क्रमशः 'भुव्रत' एवं 'अनुव्रत' कहा गया है। इसके | कारण, इसे 'वार्धक्षेमि' पैतृक नाम प्राप्त था । यह एवं इसके पुत्र का नाम धर्मसूत्र था । इसने ६४ वर्षों तक राज्य सत्यरथ, सत्यधर्मन् , सत्यवर्मन् , सत्येषु एवं सत्यकर्मन् क्रिया (भा. ९.२२.४८)।
नामक पाँच भाई अत्यंत पराक्रमी थे, एवं स्वयं को ...(सो. मगध, भविष्य.) एक राजा, जो वायु के 'संशप्तक' योद्धा कहलाते थे। महाभारत में अन्यत्र इसे अनुसार नृपति राजा का पुत्र था।
'त्रिगर्त' एवं 'प्रस्थलाधिपति' भी कहा गया है (म. द्रो. ६. रौच्य मनु का एक पुत्र, जो मृत्यु के पश्चात् षष्ठी १६.१९)। नामक देवी की कृपा से पुनः जीवित हुआ (ब्रह्मवे. २. विराट से युद्ध --यह शुरु से ही दुर्योधन का पक्षपाती
था, एवं पाण्डवों से द्वेष करता था। पाण्डवों के अज्ञात७. एक ऋषि, जिसने विदूरथ राजा को कुजभ राक्षस वास में, इसने दुर्योधन के लिए विराट की गायों का हरण की जानकारी बतायी थी (मार्क. ११३)।
किया था, एवं विराट को कैद कर दुर्योधन के सम्मुख ८. मित्र के द्वारा स्कंद को दिये गये दो पार्षदों में पकड़ कर लाया। किन्तु पश्चात् भीम ने इस पर हमला से एक । दूसरे पार्षद का नाम सत्यसंध था (म. श. कर इसे कैदी बनाया, एवं इसे युधिष्ठिर के सामने लाया। ४४.७)।
उस समय युधिष्ठिर ने इसे बिना किसी शर्त के मुक्त किया ९. विधात के द्वारा स्कंद को दिये गये दो पार्षदों में (म. वि. २९-३२)। से एक । दूसरे पार्षद का नाम सुकर्मन् था।
___ भारतीय युद्ध में--इस युद्ध में यह कौरवपक्ष में १०. एक राजा, जो पूर्वजन्म में विदिशा के रुक्मभूषण | शामिल था, एवं इसने एवं इसके भाइयों ने अर्जुन का राजा का पुत्र था (पन. भू. २०-२२)।
वध करने की प्रतिज्ञा की थी। किन्तु यह एवं इसके सारे १०७७