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________________ प्राचीन चरित्रकोश सुवर्ण ७. एक देवगंधर्व, जो अर्जुन के जन्मोत्सव में उपस्थित था । सुवर्णचूड -- गरुड का एक पुत्र । सुवर्णरेतस्-- विश्वामित्रकुलोत्पन्न एक ऋषि । सुवर्णवर्मन् काशिराज- काशी देश का राजा, जो जनमेजय पारिक्षित (अंतिम) की पत्नी वपुष्टमा का पिता था। तक्षक नाग के द्वारा परिक्षित् का वध होने के बाद, मंत्रियों ने बालराजा जनमेजय को हस्तिनापुर के राजगद्दी पर बिठाया, एवं उसका विवाह इसकी कन्या वपुष्टम्ग से किया । इसके शतानीक एवं शंख नामक अन्य दो पुत्र भी थे (म. आ. ४०.८- ९; ९०.९५ ) । सुवर्णशिरस् - एक महर्षि, जो पश्चिम दिशा में रह कर अज्ञात-अवस्था में सामगान करता है ( म.उ. १०८.१२ ) । सुवर्णष्ठीविन - एक राजा, जो संजय शैव्य ( चैत्य ) राजा का पुत्र था। इसका धर्म, मल, मूत्र, आदि सारा मलोत्सर्ग सुवर्णमय रहता था। इसी कारण, चोरों ने इसका अपहरण किया, एवं इसका वध किया. ( म. द्रो. परि. १.८.३१०-३२५ ) । आगे चल कर नारद ने इसे पुनः जीवित किया (म. द्रो. ७१.८-९) । महाभारत में अन्यत्र प्राप्त कथा के अनुसार, इसे हिरण्यनाभ नामान्तर प्राप्त था, एवं यह गुणों में साक्षात् इंद्रतुल्य था । अपने गुणों के कारण, भविष्य में यह कहीं इंद्रपद प्राप्त न कर ले, इस आशंका से इंद्र ने व्याघ्र के द्वारा इसका वध किया | मृत्यु के समय इसकी आयु पंद्रह वर्षों की थी। आगे चल कर इसके पिता संजय के द्वारा प्रार्थना किये जाने पर नारद ने इसे पुनः जीवित किया । सुवीर सुवर्णाभ - एक दिक्पाल, जी स्वारोचिप मनु का पौत्र एवं शंखपद का पुत्र था। इसे पिता ने सात्यत धर्म का उपदेश दिया था ( म. शां. ३३६.२५) । पाठभेद ( भांडारकर संहिता ) -- ' सुधर्मन् '। सुवर्णा -- एक इक्ष्वाकुवंशीय राजकन्या, जो पूरुवंशीय सुहोत्र राजा की पत्नी, एवं हस्तिन् राजा की माता थी म. आ. १०.३६ ) । सुवर्मन् -- (सो. कुरु. ) धृतराष्ट्र का पुत्र, जो भीम के द्वारा मारा गया ( म. द्रो. १०२.९८ ) । २. द्विमीढवंशीय सुवर्मन् राजा का नामान्तर (सुधर्मन ८. देखिये) । सुवर्मन् त्रैगर्त - त्रिगर्तराज सुशर्मन् का एक भाई ( म. वि. ३२.४ ) । सुवाच् - एक ऋषि, जो पाण्डवों के वनवास काल में द्वैतवन में उनके साथ निवास करता था (म. व. २७.२४) । २. (सो. कुरु. ) धृतराष्ट्र का एक पुत्र । सुवासन - ब्रह्मसावर्णि मन्वन्तरं का एक देवगण | सुवास्तुक-पाण्डवपक्ष का एक राजा (म. उ. ४.१३ ) । सुवाह - स्कंद का एक सैनिक ( म. श. ४५ ) । सुवित्त- -- एक ऋषिक। सुवित्ति -- अंगिराकुलोत्पन्न एक मंत्रकार । पाठभेद'सुचित्ति' । ' सुविभु - (सो. क्षत्र. ) एक राजा, जो विष्णु एवं वायु के अनुसार विभु राजा का पुत्र, एवं सुकुमार राजा का पिता था ( वायु. ९२.७१ ) । इसकी सुकुमारी नामक एक बहन थी, जो नारद की पत्नी थी। इसकी अकाल मृत्यु के पश्चात् पुत्रशोक से व्याकुल हुए संजय राजा को, नारद ने सोलह श्रेष्ठ प्राचीन राजाओं के जीवनचरित्र (पोडश राजकीय), एवं उनकी मृत्यु की कथाएँ सुनाई, एवं हर एक श्रेष्ठ व्यक्ति के जीवन में मृत्यु अटल बता कर उसे सांत्वना दी । नारद के द्वारा वर्णित यही 'षोडश राजकीय' आख्यान अभिमन्यु वध के पश्चात् व्यास के द्वारा युधिष्ठिर को कथन किया गया था ( म. शां. परि. १ ) । | | सुवीर - सोमवंशीय तोंड्मान् राजा का नामांतर | २. एक राजा, जो सौवीरी नामक राजकन्या का पिता, एवं मरुत्त राजा की श्वशुर था ( मार्क. १२८ ) । ३. (सो. द्विमी. ) द्विमीढवंशीय सुनीथ राजा का नामान्तर ( सुनीथ २. देखिये) । १०७६ ४. (सो. कोटु. ) एक राजा, जो देवश्रवस एवं कंसावती ज्येष्ठ पुत्र था ( भा. ९.२४.४१ ) । ५. (सु. इ. ) एक राजा, जो द्युतिमत् राजा का पुत्र, एवं दुर्जय राजा का पिता था ( म. अनु. २.१० ) । पौराणिक वंशावलियों में इसका नाम अप्राप्य है। का ६. एक क्षत्रियवंश, जिसमें अजविंदु नामक एक कुलांगार राजा उत्पन्न हुआ था (म. उ. ७२.१३ ) । ७. एक राजा, जो क्रोधवश संज्ञक दैत्य के अंश से उत्पन्न हुआ था ( म. आ. ६१.५५)। ८. वाराणसी में रहनेवाला एक वर्णक, जिसकी पत्नी का नाम चित्रा था ( चित्रा ४. देखिये) ।
SR No.016121
Book TitleBharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSiddheshwar Shastri Chitrav
PublisherBharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
Publication Year1964
Total Pages1228
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
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