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सुभाषण
प्राचीन चरित्रकोश
सुमति
(भा. ९.१३.२५) । विष्णु में इसे 'सुभास' कहा गया है, ५.(सो. द्विमीढ.) एक राजा, जो सुपार्श्व राजा का एवं इसके पिता का नाम सुधन्वन् दिया गया है। पुत्र, एवं सन्नतिमत् राजा का पिता था (भा. ९.
सुभीम--पांचजन्य नामक अग्नि का एक पुत्र, जो यज्ञ | २१.२८)। में विघ्न डालनेवाले पंद्रह 'विनायकों' में से एक माना | ६. (सो. मगध. भविष्य.) एक राजा, जी भागवत के जाता है (म. व. २१०.११ पाठ.)।
अनुसार द्युमत्सेन राजा का पुत्र, एवं सुबल राजा का पिता सुभीमा--कृष्ण की एक पत्नी।
था (भा. ९.२२.४८)। मत्स्य में इसे 'महिनेत्र' कहा सुभुजा--एक अप्सरा, जो कश्यप एवं मुनि की | गया है। कन्याओं में से एक थी।
। ७. एक ऋषि, जो सोमदत्त ऋषि का पुत्र, एवं जनमेजय सुभ्राज--वैवस्वत मनु का पुत्र (म. आ. १.४१)।।
ऋषि का पिता था। यह युधिष्ठिर के राजसूय यज्ञ में उपस्थित सुभ्राज--सूर्य के द्वारा स्कंद को दिये गये दो पार्षदों | था (भा. १०.७४.८)। में से एक । दूसरे पार्षद का नाम भास्वर था (म. श.४४. | ८. राम दाशरथि के पुत्र लव की पत्नी। २८)।
९. चंपक नगरी के हंसध्वज राजा का मुख्य प्रधान । सुभ्र--(सो. वसु.) वसुदेव एवं रोहिणी का एक पुत्र ।
१०. बभ्रुवाहन राजा का सेनापति ।
११. सावर्णि मनु के पुत्रों में से एक । सुमंगल--अत्रिकुलोत्पन्न एक ऋषि ।
१२. वरुणसभा का एक असुर (म. स. ९.१३)। सुमंजस--शिव देवों में से एक।
१३. (स्वा. प्रिय.) एक राजा, जो भागवत के अनुसार सुमति--(स्वा. प्रिय.) एक राजा, जो भरत एवं
गय राजा का पुत्र था। पंचजनी के पुत्रों में से एक था । यह स्वयं जैनधर्मीय
१४. नल राजा का पुरोहित (परा. मा. प्रस्तावना)। था, एवं ऋषभदेव का अनन्य उपासक था.। इसी कारण
१५. भृगुकुलोत्पन्न एक ब्राह्मण, जिसे अपने दस • जैन लोग इसे देवता मानते है। .
हजार जन्मों का स्मरण था। इसने अपने पिता को इसकी वृद्धसेना एवं आसुरी नामक दो पत्नियाँ थी, |
आत्मज्ञान सिखाया था (मार्क. १०.१०-१८)। जिनसे इसे क्रमशः देवताजित् एवं देवद्युम्न नामक दो पुत्र उत्पन्न हुए (भा. ५.१५.१-३)। इसके तेजस् नामक
१६. अमिताभ देवों में से एक। अन्य एक पुत्र का निर्देश भी प्राप्त है (ब्रह्मांड. २.१४.
१७. आभूतरजस् देवों में से एक।
१८. सुबाहु राजा का एक प्रधान (पन. पा. २६)। ६२)।
१९. एक दुष्ट महाराष्ट्रीय ब्राह्मण, जो वेंकटाचल में . २. (सू. इ.) एक राजा, जो भागवत के अनुसार |
स्थित पुष्करिणी तीर्थ में स्नान करने के कारण मुक्त हुआ नृग रोजा का पुत्र, एवं भूतज्योतिस् नामक राजा का पिता
(स्कंद. २.१.१४)। था (भा. ९.२.१७)।
२०. एक दुष्ट ब्राह्मण, जो पापविनाशन तीर्थ में स्नान ३. (सू. दिष्ट.) विशाल नगरी का एक राजा, जो | करने के कारण मुक्त हुआ (स्कंद. २.१.१४)।। दशरथ राजा का समकालीन था। यह सोमदत्त राजा का | २१. एक ऋषि, जो शरशय्या पर पड़े हुए भीष्म से पुत्र, एवं जनमेजय राजा का पिता था। विष्णु एवं वायु | मिलने उपस्थित हुआ था (म. अनु. २६.४) में इसे क्रमशः 'स्वमति ' एवं 'प्रमाति' कहा गया है,एवं २२. वरुणसभा में उपस्थित एक राक्षस (म. स. इसे जनमेजय राजा कर पुत्र कहा गया है।
| ९.१३)। राम एवं लक्ष्मण जब विश्वामित्र के साथ मिथिला नगरी
२३. वालिन् वानर की भगिनी।। में जा रहे थे, उस समय वे कुछ काल तक इसके राज्य में
सुमति आत्रेय--एक आचार्य, जो विष्णु एवं ब्रह्मांड ठहरे थे ( वा. रा. बा. ४८)।
| के अनुसार, व्यास की पुराणशिष्यपरंपरा में से रोमहर्षण ४. (सो. पूरु.) एक राजा, जो भागवत के अनुसार नामक आचार्य का शिष्य था ( वायु. ६१.५६ )। रतिभार राजा का पुत्र, एवं रैभ्य राजा का पिता था (भा. सुमति शैब्या--सगर राजा की पत्नी, जो अरिष्टनेमि ९.२०.६)।
| राजा की कन्या थी। सगर राजा से इसे साठ हज़ार पुत्र १८६७