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सुबाहु
प्राचीन चरित्रकोश
सुभाषण
शत्रुघ्न के साथ हुए युद्ध में हनुमत् ने इसे मूछित | का सारथ्य किया था (म. आ. परि. १.२०)। आगे किया। हनुमत् के स्पर्श के कारण इसका उद्धार हुआ। चल कर अर्जुन की सलाह से एक गोपी का वेश धारण पश्चात् अपने पुत्र दमन को राज्य प्रदान कर, यह स्वयं | कर यह द्रौपदी से मिलने गयी, एवं अपने विवाह के लिए अश्वरक्षा के लिए सेना में शामिल हुआ।
इसने उसकी संमति प्राप्त की (म. आ. परि. १.१४. सुबुद्धि--बभ्रुवाहन राजा का अमात्य ।
२१२-२१४)। सुभग सौबल-गांधारराज सुबल का एक पुत्र, जो द्वारा में कृष्ण ने भी क्रोधित हुए बलराम का मन कनिका छोटा भाई था। भीमसेन ने रात्रियुद्ध में | इस विवाह के लिए अनुकूल बनाया । पश्चात् कुता इसका वध किया ( म. द्रो. १३२.११३६* )। विदुर, युधिष्ठिर आदि ज्येष्ठ लोगों की संमति कृष्ण
सुभगा--कश्यर एवं प्राधा (अरिष्टा) की एक ने ही प्राप्त कर ली । इस प्रकार सभी लोगों के आशीर्वाद कन्या ।
| के साथ इसका एवं अर्जुन का विवाह द्वारका नगरी में २. स्कंद की अनुचरी एक मातृका (म. श.४५.१७)। | संपन्न हुआ (म. आ. २१३.१२)।
सुभद्र-(स्वा. प्रिय.) लक्षद्वीप का एक राजा, जो | अर्जुन से विवाह-इसके विवाह के समय कृष्ण ने इध्मजिह्व राजा के पुत्रों में से एक था (भा. ५.२०.३)। अर्जुन को निम्नलिखित वस्तु दहेज के रूप में प्रदान की २. (सो. वस.) वस देव एवं पौरवी के पुत्रों में एक।
थी:-एक हजार सुवर्णरथ, दस हजार दुधालु गायें,
श्री_ नार , ३. कृष्ण एवं भद्रा का एक पुत्र |
एक हजार सुवर्णालंकृत अश्व, पाँच सौ तट्ट, एक हेज़ार ४. एक गोप । इसकी कन्या का नाम भद्रा था, जो दासी, एक लाख बाह्रीकदेशीय अश्व, दस मन सोना, पूर्वजन्म में सत्यतपस् नामक ऋषि थी ( पन. पा. ७२)। एक हज़ार उन्मत्त हाथी (म. आ. २०७८-२०८५०)। ५. एक यक्ष, जो मणिभद्र एवं पुण्यजनी के पुत्रों में
___ परिवार-इसके पुत्र का नाम अभिमन्यु था, जिसका से एक था।
विवाह उपप्लव्य नगरी में संपन्न हुआ था (म. आ. ९०. सुभद्रक-रुद्रगणों में से एक ।
८५; वि. ६७.२१)। पाण्डवों के वनवास के समय यह सुभद्रा--वसुदेव एवं देवकी की एक कन्या, जो
अभिमन्यु के साथ द्वारका नगरी में रही थी (म. व. २३. . कृष्ण एवं बलराम की छोटी बहन थी (म.आ. २११.
४४)। अभिमन्यु की मृत्यु के पश्चात् उसके मृतपुत्रं १४) । स्कंद में इसकी माता का नाम सुप्रभा दिया
परिक्षित् को जिलाने के लिए श्रीकृष्ण से प्रार्थना की थी गया है।
(म. आश्व. ६७.१३-२४)। नाम--इसे सुभद्रा नाम क्यों प्राप्त हुआ, इस संबंध |
अभिमन्यु की मृत्यु के पश्चात् यह सदैव अप्रसन्न एवं में एक चमत्कृतिपूर्ण कथा स्कंद में प्राप्त है। पूर्व
हर्षशून्य रहती थी, केवल परिक्षित् को देख कर ही जन्म में यह गालव ऋषि की कन्या माधवी थी। एक बार
जीवन धारणा करती थी - (म. आश्र. २८.१५-१६ )। गालव ऋषि इसे विष्णु के पास ले गये, जहाँ यह बाल
अपने महाप्रस्थान के पूर्व, परिक्षित एवं वज्र को युधिष्ठिर सुलभता से गद्दी पर बैठ गयी । इस कारण क्रुद्ध हो कर
ने इसीके ही हाथों सौंपा दिया था। लक्ष्मी ने इसे अगले जन्म में 'अश्वमुखी' कन्या बनने का
| २. सुरभि की एक धेनरूपा कन्या, जो पश्चिम दिशा शाप दिया। इसका जन्म होते ही कृष्ण एवं बलराम ने
को धारण करती है (म. उ. १००.९)। ब्रह्म की प्रार्थना कर इसे भद्रमुखी बनाया, जिस कारण
३. दध्यच आथर्वण ऋषि की दासी। इसे 'सुभद्रा' नाम प्राप्त हुआ (स्कंद ६.८१.८४)। |
सभटाहरण-बलराम इसका विवाद टर्योधन से सुभव--सुपुष्पित नामक राजा का पिता । करना चाहता था । किन्तु एक बार अर्जुन ने इसे देखा,
सुभा--अंगिरस् ऋपि की पत्नी, जिसे बृहत्कीर्ति आदि एवं श्रीकृष्ण के समक्ष इसे अपनी रानी बनाने का अपना |
रे मातीनी बनाने का अपना | सात पुत्र उत्पन्न हुए थे (म. व. २०८.१)। मनोदय प्रकट किया (म. आ. २११.२०) । पश्चात् सुभानु-कृष्ण एवं सत्यभामा का एक पुत्र । श्रीकृष्ण की सलाह से रैवतक पर्वत में हुए महोत्सव के | सुभाल-वीरवमन् राजा का एक पुत्र । समय अर्जुन ने यतिवेष में इसका हरण किया (म. सुभाषण--(सू. निमि.) एक राजा, जो भागवंत के आ. २१२)। रैवतक पर्वत से भागते समय इसने अर्जुन | अनुसार युयुध राजा का पुत्र, एवं श्रुत राजा का पिता था
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