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________________ सुप्रतीक प्राचीन चरित्रकोश सुबल ३. एक ऋषि, जो विभावसु नामक अपने भाई के शाप ४. कृशाश्व प्रजापति से उत्पन्न दो कन्याओं में से के कारण हाथी बन गया। पश्चात् इसने उसे कछुआ एक, जिसकी बहन का नाम जया था। इन दो बहनों से बनने का शाप दिया (विभावसु ५. देखिये)। आगे चल कर सौ संहारअस्त्रों का निर्माण हुआ, जिन्हें ४. एक दिग्गज, जो ऐरावत के पुत्रों में से एक था विश्वामित्र ऋषि ने प्राप्त किया ( वा. रा. बा. २१.१५)। (म. भी. १३.३३ )। यह हारितवर्णीय था, एवं वरुण ५. आर्टिषेण राजा की स्नुषा, जो उसके भर नामक का अत्यंत प्रिय वाहन था। इसके वंश में नागराज ऐरावत पुत्र की स्त्री थी। वामन, कुमुद, अंजन आदि हाथियों की उत्पत्ति हुई थी। ६. श्रीकृष्ण की एक पत्नी, जिसके द्वारका में स्थित (म. उ. ९५.१५)। इसकी पत्नी का नाम चित्ति था. प्रासाद का नाम सूर्यप्रभ था (म. स.परि.१.२१.१२५४), जिससे इसे प्रहारिन् , संपति एवं पृथु नामक पुत्र उत्पन्न सुप्रवृद्ध-सौवीर देश का एक राजकुमार, जो जयद्रथ हुए ( वायु. ६९.२२५)। | राजा का छोटा भाई था। 'द्रौपदीहरणयुद्ध ' में अर्जुन के ५. (नाग. भविष्य ) एक राजा, जो वायु के अनुसार द्वारा यह मारा गया (म. व. १२१४५% पाठ.)। मथुरा नगरी में राज्य करनेवाले भूमिनंद राजा का सुप्लन् साञ्जय--सहदेव साञ्जय नामक राजा का पुत्र था। नामान्तर। ६. कृतयुग का एक राजा, जिसकी विद्युत्प्रभा एवं सुबंधु गौपायन ( लौपायन)--एक आचार्य, जो कांतिमती नामक दो पत्नियाँ थी। आत्रेय ऋषि की कृपा असमाति राथप्रोष्ठि नामक राजा का पुरोहित था (ऋ. १०. से इसकी पत्नी विद्युत्प्रभा के गर्भ में स्वयं इंद्र ने जन्म ५९.८)। आगे चल कर असमाति राजा ने इसे पौरोहित्यलिया, जो दुर्जय नाम से प्रसिद्ध हुआ। पद से दूर कर, किरात एवं आकुलि नामक आचाया को सुप्रतीक औलुण्ड्य --एक आचार्य, जो बृहस्पति- अपने पुरोहित नियुक्त किये (बृह दे. ७.८३ ) । गुप्त शायस्थि नामक आचार्य का शिष्य, एवं मित्रवर्चस पश्चात् इन नये पुरोहितों ने राजा की प्रेरणा से इसका स्थैयकायण नामक आचार्य का गुरु था (वं. ब्रा. १.)। वध करवाया । किंतु इसके अन्य तीन भाइयों ने कुछ सूक्तों सुप्रतीत एवं सुप्रतीप--इक्ष्वाकुवंशीय सुप्रतीक का उच्चारण कर इसे पुनः जीवित किया (ऋ. १०.५७ ६०; असमाति राथप्रोष्ठि देखिये )। एक वैदिक सूक्तद्रष्टा : राजा का नामान्तर । के नाते भी इसका निर्देश प्राप्त है (ऋ. ५.२४ )। सुप्रभ-एक राजा, जिसे महातेजस् ऋषि ने विष्णू सुबल-गांधार देश का एक सुविख्यात राजा, जो पासना का आदेश दिया था। धृतराष्ट्रपत्नी गांधारी एवं शकुनि का पिता था। यह प्रह्लादसप्रभा--स्वर्भानु (राहू) की एक कन्या, जो | शिष्य नग्नजित् के अंश से उत्पन्न आ था। इस कारण, नमुचि की पत्नी थी (भा. ६.६.३२ )। इसकी सारी संतति धर्मविरोधी एवं धर्मनाशी उत्पन्न हुई। २, वदान्य ऋषि की एक कन्या, जो अष्टावक्र ऋषि | गांधारी का विवाह-इसकी संतानों में से शकुनि एवं की पत्नी थी। गांधारी राज्यशास्त्र में प्रवीण थे (म. आ. ५७.९३३. सुरथ राजा की कन्या, जो नाभाग राजा की पत्नी | ९४)। भीष्म ने हस्तिनापुर के राजा धृतराष्ट्र के लिए थी। इसे कृपावती नामान्तर भी प्राप्त था । एक बार | इसकी कन्या गांधारी की मांग की। धृतराष्ट्र राजा अंधा इसने अगस्य ऋषि को त्रस्त किया, जिस कारण उसने होने के कारण इसके मन में संदेह उत्पन्न हुआ। किन्तु इसे वैश्ययोनि में अधःपतित होने का शाप दिया।| पश्चात् उसका उच्चकुल एवं राज्याधिकार का विचार तदनुसार यह एवं इसका पुत्र भलंदन वैश्य बन गये। कर इसने विवाह के इस प्रस्ताव को मान्यता दी पश्चात् इसका पुत्र बड़ा होने पर इसने उसे क्षत्रियो- (म. आ. १०३.१०-११)। गांधारी के विवाह के चित राजधर्म पर उपदेश किया, जिस कारण सद्गति | साथ, अपनी निम्नलिखित कन्याओं का विवाह भी इसने पा कर- वह पुनः एक बार क्षत्रिय बन गया (मार्क. / धृतराष्ट्र से कराया था:-१. सत्यव्रता; २. सत्यसेना; ११२) । इसकी कथा मार्कडेय में निर्दिष्ट सुदेव राजा | ३. सुदेष्णा; ४. सुसंहिता; ५. तेजश्रवाः ६. सश्रवा; की कथा से काफी मिलतीजुलती प्रतीत होती है | ७. विकृति; ८. शुभा; ९. शंभुवा; १०. दशार्णा (म. आ. (सुदेव १०. देखिये)। २०६४
SR No.016121
Book TitleBharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSiddheshwar Shastri Chitrav
PublisherBharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
Publication Year1964
Total Pages1228
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
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