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प्राचीन चरित्रकोश
सुपर्ण
एवं अमृत प्राप्त कराने का निर्देश मिलता है। इन सारी कथाओं का मूल स्रोत एक ही है, जहाँ सूर्य के द्वारा प्राप्त नवचैतन्य को अमृत अथवा सोम माना गया है ( श. बा. १०.२.२.४ ) 1
३. दुर्योधनपक्ष का एक राजा, जो कुपट नामक असुर
४. एक देवगंधर्व, जो कश्यप एवं प्राधा के पुत्रों में से अंश से उत्पन्न हुआ था (म. आ. ११.५५५०६
पछि २१) ।
एक था (म. आ. ५९.४५ ) ।
५. एक देवगंधर्व, ओ कश्यप एवं मुनि के पुत्रों में से एक ( म. आ. ५९.४१ ) 1
६. मयूर नामक असुर का छोटा भाई, जो कालकीर्ति राजा के रूप में पृथ्वी पर अवतीर्ण हुआ था। ।
७. (सं.इ. भविष्य ) एक राजा, जो अंतरिक्ष राजा का पुत्र, एवं अमित्रजित् राजा का पिता था ( वायु. ९९. २८६ ) ।
८. सुधामन् देवों में से एक।
सुपर्ण काण्व - एक वैदिक सूक्तद्रष्टा (८.५९) । सुपर्ण तार्क्ष्य - एक वैदिक सूक्तद्रष्टा (ऋ. १०.११४)। सुपर्णा- गरुड की माता विनता का नामान्तर मा. ६. ६.२२ ) । ब्रह्म में इसकी कथा 'शिवमाहात्म्य' कथन करने लिए पुनरुद्घृत की गयी है ( ब्रह्म. १०० ) ।
सुपर्णी- गरुड की माता विनता का नामांतर शतपथ ब्राह्मण के अनुसार, विनता एवं गरुड की सापत्न माता कद्रू इन दोनों का जन्म स्वर्ग से पृथ्वी पर सोम लाने के हेतु हुआ था। इन दोनों की आपसी ईर्ष्या आदि की 'बहुत सारी कथाएँ भी उस ग्रंथ में दी गयी है (श. ब्रा. ३.५.१.१-७; कट्ट देखिये) । इसी ग्रंथ में अन्यत्र 'सुपर्णी' शब्द की व्युत्पत्ति 'वाचा' इस अर्थ से की गयी है (रा. बा. उ. ३.२.२ ) ।
सुपन पांडव पक्ष का राश, जिसके कृतिपुत्र रुचिपर्व का वध किया था ( म. द्रो. २५.४५ ) ।
सुप्रतीक
२. (सृ. निमि.) एक राजा, जो विष्णु के अनुसार श्रुतायु राजा का पुत्र था ( विष्णु. ४.५.३१ ) । भागवत में इसे सुपार्श्वक कहा गया है।
२. ब्रह्मसावर्णि मन्वन्तर के मनु का एक पुत्र । ३. प्राग्ज्योतिषपुर के भगदत्त राजा का नामान्तर (म. प्रो. २५.४५) ।
४. एक लोकसमूह, जिनके क्रथ नामक राजा को भीमसेन ने अपने पूर्वदिग्विजय में जीता था।
सुपार्श्व - (सो. डिमीट ) एक राजा, जो मत्स्य एवं वायु के अनुसार रुक्मरथ का, तथा भागवत एवं विष्णु अनुसार दृढ़नेमि राजा का पुत्र था ( मत्स्य ४९.७३ भा. ९. २१. २७ ) । भागवत एवं विष्णु में दृढ़नेमि से लेकर सुपार्श्व तक की पीढ़ियों का निर्देश अप्राप्य है ।
५. रावण का एक अमात्य, जिसने रावण को सीतावध जैसे पापकर्म करने से परावृत्त किया था ( वा. रा.यु. ९२. ६०)।
६. पक्षिराज संपाति का पुत्र, जिसने सीताबध की वार्ता अपने पिता को सुनायी थी ( वा. रा. कि. ५९.८ ) । इसके सीता की मुक्तता के कार्य में कोई भी प्रयत्न न करने के कारण, इसका पिता इस पर अत्यंत फुद्ध हुआ । इसी कारण यह दर से दूरवर्ती प्रदेश में भाग गया (आ. रा. ७.८ ) ।
सुपार्श्वक निमिवंशीय सुपार्श्व राजा का नामान्तर (सुपार्श्व २. देखिये) ।
२. (सो. वृष्णि. ) एक यादव राजा, जो अक्रूर एवं अश्विनी का पुत्र था (मत्स्य. ४५.१२) ।
३. (सो. वसु. ) वसुदेव एवं रोहिणी का एक पुत्र ( वायु. ९६.१६८ ) ।
सुपुंजिक- एक संहिकेय असुर, जो विप्रचित्ति एवं सिंहिका का पुत्र था । परशुराम ने इसका वध किया ( ब्रह्माड. ३.६.१८ - २२ ) ।
सुप्रचेतस्तदेवों में से एक। सुप्रज्ञा- कोचरश राजा की पत्नी ।
सुप्रतीक - (सो. सह. ) एक राजा, जो दुर्जया मित्रकर्षण नामक राजा का उर्वशी से उत्पन्न पुत्र था। इसने एवं इसके भाइयों ने गंधर्व कन्याओं से विवाह किया था
सुपाटल - राम का एक वानर ( वा. रा. क. ३३ ) | ( कूर्म १.२६ ) । सुपार -- रुद्रसावर्णि मन्वन्तर का एक देवगण |
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२. (सू. इ. भविष्य . ) एक राजा, जो भागवत के अनुसार प्रतीकाच राजा का विष्णु के अनुसार प्रतीताच राजा का, एवं भविष्य के अनुसार भानुरत्न राजा का पुत्र था। इसके पुत्र का नाम मरुदेव था ( मा. ९.१२.१२ ) । वायु एवं मत्स्य में इसे क्रमशः 'सुप्रतीत' एवं 'सुप्रतीप' कहा गया है।
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