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सुदास
प्राचीन चरित्रकोश
सुदेव
परिवार--इसकी पत्नी का नाम सुदेवी था, जो इसे था । हैहय राजा वीतहव्य ने इसे परास्त कर इसे राज्यअश्विनों की कृपा से प्राप्त हुई थी (ऋ.३.५३.९-११)। भ्रष्ट किया। पश्चात् इसके पुत्र दिवोदास ने अपने पुरोहित इसके पुत्र एवं वंशज 'सौदास' सामूहिक नाम से वसिष्ठ की मदद अपना राज्य पुनः प्राप्त कर दिया। सुविख्यात थे। वसिष्ठ ऋषि के पुत्र शक्ति वासिष्ठ के
८. अंबरीष का एक सेनापति, जो धर्मयुद्ध में मृत सौदासों के साथ किये संघर्ष का निर्देश वैदिक साहित्य में
हुआ था। एक बार अंबरीष राजा की आज्ञा से यह राक्षसों प्राप्त है।
के साथ लड़ने गया था, जहाँ वियम नामक राक्षस के उत्तरकालीन वैदिक साहित्य में, अयोध्या के मित्रसह | द्वारा यह मारा गया। कल्माषपाद राजा के पिता सुदास, एवं सुदास पैजवन
धर्मयुद्ध में मृत होने के कारण, अंबरीष राजा के इन दोनों को एक ही राजा मानने की भूल अनेक बार
पूर्व ही इसे स्वर्गलोक प्राप्त हुआ। विना यज्ञ-याग की गयी है । विशेष कर शक्ति वासिष्ठ के संबंधित कथाओं
किये बगैर इसे स्वर्गप्राप्ति हुई, यह देख कर अंबरीष में, यह भूल विशेष कर प्रतीत होती है। किन्तु ये दोनो |
राजा को अत्यंत आश्चर्य हुआ, एवं इस संबंध में इसने सर्वतः विभिन्न राजा थे ( सुदास सार्वकाम देखिये)।
इंद्र से पूछा । फिर इंद्र ने जवाब दिया 'धर्मयुद्ध में सुदास सार्वकाम--(सू. इ.) अयोध्या का एक
मृत्यु प्राप्त होने का पुण्य यज्ञयागों के पुण्य से कहीं राजा, जो भागवत एवं विष्णु के अनुसार सर्वकाम राजा |
अधिक है (म. शां. ९९.१०-१३)। का पुत्र, एवं मित्रसह कल्माषपाद राजा का पिता था
९. (सो. कुकुर.) एक राजा, जो भागवत, विष्णु, (मा. ९.९.१८; विष्णु. ४.४.३०; कल्माषपाद देखिये)।
मत्स्य, वायु एवं पद्म के अनुसार देवक राजा का पुत्र था सुदिवा तण्डि-एक वानप्रस्थाश्रमी ऋषि, जो वानप्रस्थ
(भा. ९.२४.२२)। धर्म का पालन करता हुआ स्वर्गलोक को प्राप्त हुआ
। १०. एक वैश्य, जो सर्वस्वी अनाथ था। इसके मरने .(म. शां. २३६.१७)।
पर, इसका अंत्य संस्कार करने के लिए इसका कोई सम्बन्धी सदीति आंगिरस-एक वैदिक सूक्तद्रष्टा (ऋ.८. न था। इस कारण इसकी मृतात्मा बभ्रुवाहन राजा क' ७१)।
पास सपने में गयी, एवं इसने उससे कार्तिक पौर्णिमा के । सदेव-एक वैदिक यज्ञकर्ता (ऋ. ८.५.६ )। दिन 'वृषोत्सर्ग' करने की प्रार्थना की (गरुड. २.९)। २. एक ब्राह्मण, जो विदर्भनरेश भीम के द्वारा दमयंती की खोज में नियुक्त किये गये ब्राह्मणों में से एक था (म.
११. एक राजा, जिसकी कन्या का नाम गौरी था। .
उसका विवाह करंधमपुत्र आविक्षित राजा से हुआ था दो, ६५.६)। यह दमयंती के दम नामक भाई का मित्र था। इसने चेदिराज के महल में सैरन्ध्री नामक दासी
(मार्क. ११९.१६)। के नाते रहनेवाले दमयंती को पहचान लिया (म. व.
१२. एक सुविख्यात राजा, जिसकी कन्या का नाम ६८.२) । पश्चात् इसके द्वारा ही दमयंती ने अयोध्या- | सुप्रभा था । सुविख्यात राजा नाभाग का यह श्वशुर था। नरेश ऋतुपर्ण राजा को स्वयंवर का संदेश भेज | यह राजा प्रारंभ में क्षत्रिय था, किन्तु कालोपरांत च्यवनदिया था।
पुत्र प्रमति ऋषि के शाप के कारण यह वैश्य बन गया। ३. स्वारोचिष मन्वन्तर का एक देवगण ।
इस संबंध में सविस्तृत कथा मार्कंडेय में प्राप्त है। एक ४. (सू . इ.) एक राजा, जो भागवत के अनुसार बार धूम्राक्षबंध नल नामक इसके मित्र ने शराब के नशे चंप राजा का पुत्र था । विष्णु एवं वायु में इसे में प्रमति ऋषि की पत्नी पर बलात्कार करना चाहा। इस चंचु राजा का पुत्र कहा गया है (वायु. ८८. १२०)। समय यह बाजूमें ही खड़ा रह कर, यह सारा पाशवी
५. विदर्भ देश का एक राजा,जो राम दाशरथि का सम- दृश्य देखता रहा। कालीन था। इसके पुत्रों के नाम श्वेत एवं सुरथ थे (वा. उस समय प्रमति ऋषि ने अपनी पत्नी का रक्षण रा. उ. ७८.४)।
करने के लिए इसकी बार बार प्रार्थना की । तब इसने बड़ी ६. तुषित देवों में से एक ।
व्यंग्योक्ति से जवाब दिया, "क्षतों की रक्षा करनेवाला ७. (सो. काश्य.) एक राजा, जो काशिराज हर्यश्व का | एक क्षत्रिय ही केवल तुम्हारी पत्नी की रक्षा कर सकता पुत्र था। यह देवता के समान तेजस्वी एवं न्यायप्रिय हैं। मैं क्षत्रिय कहाँ ? मैं तो पैश्य हूँ।
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