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________________ सुकला . प्राचीन चरित्रकोश सुकेतु करने का माहात्म्य कथन करने के लिए पद्म में दी गयी २. (सो. पूरु.) एक राजा, जो विष्णु एक मत्स्य के है ( पन. स. ४१-६१)। अनुसार पृथु राजा का पुत्र था (मत्स्य. ४९.५५ )। सुकाल-सुमूर्तिमत् नामक पितरों का नामांतर । | वायु में इसे सुकृति कहा गया है । सुकीर्ति-उत्तम मन्वंतर का इन्द्र । सुकृति-ब्रह्मसावर्णि मन्वन्तर के सप्तर्षियों में से एक । २. ब्रह्मसावर्णि मन्वंतर के सप्तर्षियों में से एक। २. स्वारोचिष मनु का एक पुत्र । सुकीर्ति काक्षीवत--एक वैदिक सूक्तद्रष्टा (ऋ. ३. पूरुवंशीय सुकृत राजा का नामांतर । १०.२३१) । ऋग्वेद के ब्राह्मण ग्रंथों में इसे इस सूक्त के सुकृत्त--(सो. मगध. भविष्य.) एक राजा, जो वायु प्रणयन का श्रेय इसे दिया गया है (ऐ. ब्रा. ५.१५.४, के अनुसार निरामित्र राजा का पुत्र था। ब्रह्मांड, विष्णु, ६.२९.१; सां. ब्रा. ३०.५)। भागवत एवं मत्स्य में इसे क्रमशः 'सुक्षत्र', 'सुनक्षत्र' सुकुट्ट--एक लोकसमूह (म.स. १३.२५.)। | एवं 'सुरक्ष' कहा गया है। सुकुंडल-(सो. कुरु.) धृतराष्ट्र के शतपुत्रों में से सुकृष-एक ऋषि, जो विपुलस्वत् ऋषि का पुत्र था। इसकी जीवनकथा शिबि औशीनर राजा से काफी मिलती सुकुमार--(सो. काश्य.) एक राजा, जो धृष्टकेतु जुलती है। इसके कुल चार पुत्र थे। राजा का पुत्र, एवं वीतहोत्र राजा का पिता था ( भा. ९. ___ एक बार इसकी सत्त्वपरीक्षा लेने के लिए इंद्र पक्षीरूप १७.९)। विष्णु एवं वायु में इसे सुविभु राजा का पुत्र कहा से इस के पास आया, एवं नरमांस का भोजन माँगने लगा। गया है। इसने उसकी इच्छा पूर्ण करने का आश्वासन दिया, एवं २. पुलिंद देश का एक राजकुमार, जो सुमित्र राजा अपने पुत्रों को माँस निकाल देने की आज्ञा दी। इसकी का पुत्र था । सहदेव ने अपने दक्षिणदिग्विजय में, एवं यह प्रार्थना इसके पुत्रों ने अस्वीकार कर दी। इस पर ऋद्ध भीम ने अपने पूर्व दिग्विजय में इसे जीता था (म. स. हो कर इसने उन्हें 'तिर्यग्' (पक्षी) योनि में जन्म प्राप्त २६.१०)। भारतीय युद्ध में यह पांडव पक्ष में शामिल होने का शाप दिया। तदनुसार इसके पुत्र गरुडवंश में था। द्रोणपुत्र, पिंगाक्ष, विबोध, सुपुत्र एवं सुमुख नामक पक्षी बन . ३. एक राजा, जो मत्स्य देश के समीप स्थित प्रदेश गये (मार्क. ३.) इसके पुत्रों के द्वारा निदान माँगे जाने का अधिपति था । द्रौपदी स्वयंवर में यह उपस्थित था | पर, इसने उन्हें पक्षीयोनि में रह कर भी ज्ञानी बनने • (म. आ. १७७.९)। सहदेव ने अपने दक्षिण दिग्वि | का उःशाप दिया। जय में इसे जीता था (म. स. २८.४)। इंद्र को दिये गये अभिवचन की पूर्ति के लिए यह ...४. तक्षककुलोत्पन्न एक नाग, जो जनमेजय के सर्पसत्र में दग्ध हुआ था (म. आ. ५२.८)। अपना स्वयं का माँस निकालने लगा। इस पर इद्र अपने ५. एक राजकुमार, जो शाकद्वीपाधिपति भव्य राजा सही रूप में प्रकट हुआ, एवं उसने इसे महाज्ञानी बनने का पुत्र था । इसीके ही नाम से इसका जलधारागिरि के का, एवं तपस्या में कहीं भी विन्न न उत्पन्न होने का समीप स्थित देश को 'सुकुमारवर्ष' नाम प्राप्त हुआ था आशीर्वाद प्रदान किया। (मार्क. ५०.२२; म. भी. १२.२३)। वायु एवं ब्रह्मांड सुकेतन--(सो. क्षत्र.) एक राजा, जो भागवत के में इसके पिता का नाम 'हव्य' दिया गया है। अनुसार सुनीथ राजा का पुत्र, एवं धर्मकेतु राजा का पिता सुकुमारी--परिक्षितपुत्र भीमसेन राजा की पत्नी था (भा. ९.१७.८)। विष्णु एवं वायु में इसे सुकेतु कहा गया है। (म. आ. ९०.४५)। २. संजय राजा की कन्या, जो नारद की पत्नी थी सुकेतु--(सू. निमि.) एक धर्मप्रवृत्त राजा, जो वायु (म. शां. ३०.१२, नारद २. देखिये)। एवं भागवत के अनुसार नंदिवर्धन राजा का पुत्र, एवं सुकुसुमा--स्कन्द की अनुचरी एक मातृका (म. देवरात राजा का पिता था (भा. ९.१३.१४)। श. ४५)। २.क्षत्रवंशीय सुकेतन राजा का नामान्तर। - सुकृत-स्वारोचिष मन्क्न्त र का एक प्रजापति, जो ३. एक दानव, जो ताटका राक्षसी का पिता था (वायु. वसिष्ठ ऋषि का पुत्र था (पद्म. स. ७)। ६८.६)। १०४७
SR No.016121
Book TitleBharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSiddheshwar Shastri Chitrav
PublisherBharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
Publication Year1964
Total Pages1228
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
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