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________________ सती प्राचीन चरित्रकोश सत्यकर्मन अंगिरस् को पुत्र के रूप में स्वीकार किया (भा. ६.६. ८. तामस मन्वन्तर का एक देवविशेष । १९)। ९. दक्षसावर्णि मन्वंतर के सप्तर्षियों में से एक। २. दक्ष एवं प्रसूति की कन्या, जो देवी का एक प्रमुख | १०. उत्तम मन्वन्तर का एक अवतार, जो सत्या का अवतार मानी जाती है (देवी तथा शक्ति देखिये) । विष्णु पुत्र माना जाता है । के अंश से यह उत्पन्न हुई (पन. स. १९)। नारी सृष्टि | ११. अट्ठाईस व्यासों में से एक, जो दुसरे द्वापर में का निर्माण करना देवी के इस अवतार का प्रमुख उद्देश्य | उत्पन्न हुआ था। था (शिव. शत. ३; दे. भा. ७)। १२. उच्छवृत्ति नामक ब्राह्मण का अवतार (उच्छइसके पति शिव का अपमान किये जाने के कारण, | वृत्ति देखिये)। यह विदर्भदेश में रहता था, एवं इसने इसके दक्षयज्ञ के अग्निकुण्ड में आत्माहुति देने की कथा | एक अहिंसापूर्ण यज्ञ आयोजित किया था (म. शां. सभी पुराणों में प्राप्त है (भा. ४; वायु. १०.२७; मत्स्य | २६४)। १३.१४-१६; पद्म. सु. ५कालि. १८)। किन्तु शिव १३. सुधामन् देवों में से एक । के द्वारा इसका त्याग किये जाने के कारण, इसके देहत्याग १४. अमिताभ देवों में से एक । करने की चमत्कृतिपूर्ण कथा भी कई पुराणों में प्राप्त है १५. आभूतरजस् देवों में से एक । (शिव. रुद्र. स. २५)। १६. एक आचार्य, जो व्यास की सामशिष्यपरंपरा ३. विश्वामित्रऋषि की पत्नियों में से एक । | में से हिरण्यनाम नामक आचार्य का शिष्य था।' सत्कर्मन् -(सो. अनु.) एक राजा, जो धृतवत | १७. तामस मन्वन्तर का एक देवगण, जिसमें निम्नराजा का पुत्र, एवं अधिरथ राजा का पिता था ( भा. ९. लिखित देव शामिल थे:-१. अश्व; २. आनंद; ३. क्षेम; ४. दिक्पति '.. दिवि; ६. बृहदपु; ७. वचाधामन्; २३.१२)। ८. वाक्यति; ९. विश्व; १०. शंभु; ११. सदश्व; १२. विष्णु एवं वाय में इसे सत्यवर्मन् कहा गया है। यह स्वमृडिक (ब्रह्मांड. २.३४-३५)। स्वयं 'सूतवृत्ति' से रहता था। किन्तु एक ब्राह्मणकन्या १८. युधिष्ठिर की सभा में उपस्थित एक ऋषि (म. स. से इसने विवाह किया था। ४.८)। सत्कृत--पृथक् देवों में से एक। १९. निष्कृति नामक अग्नि का नामान्तर (निष्कृति सत्कृति--संकृति राजा की पत्नी, जो रंतिदेव राजा देखियो । की माता थी। मत्स्य में इसे संकृति राजा के पुत्र महा सत्यक-(सो. वृष्णि.) एक यादव राजा, जो शिनि यशस की कन्या कहा गया है (मत्स्य. ४९.३७ )। राजा का पुत्र, एवं युयुधान (सात्यकि) राजा का पिता सत्य--कलिंग देश का एक योद्धा, जो कलिंगराजा था (म. आ. ५७.८८; भा. ९.२४.१३-१४)। श्रीकृष्ण श्रुतायु का चक्ररक्षक था। भीम ने इसका वध किया के द्वारा रैवतक पर्वत पर आयोजित किये गये उत्सव में (म. भी. ५०.६९)। यह उपस्थित था (म. आ. २११.११)। अभिमन्यु की २. (स्वा. उत्तान.) एक राजा, जो हविर्धान एवं मृत्यु पश्चात् , उसका श्राद्धकर्म इसीके द्वारा किया हविर्धानी के पुत्रों में से एक था। गया था (म. आश्व. ६१.६)। मत्स्य में इसे 'सत्यवत्' ३. उत्तम मन्वन्तर का एक देव विशेष (भा. ८.१०. कहा गया है (मत्स्य. ४५.२२)। २४)। इसका विवाह काशिराज की कन्या से हुआ था, ४. ब्रह्मसावर्णि मन्वन्तर के सप्तर्षियों में से एक (भा. जिससे इसे ककुद, भजमान, शमी एवं कंबलबहिष नामक ८.१३.२२)। पुत्र उत्पन्न हुए थे (वायु, ९६.११५)। ५. दस विश्वेदेवों में से एक (वायु. ६६.५१)। २. रैवत मनु के पुत्रों में से एक। ६. एक राजा, जो वीतहव्यवंशीय वितत्य राजा के ३. कृष्ण एवं भद्रा के पुत्रों में से एक (भा.१०.६१.१७)। पुत्रों में से एक था। इसके पुत्र का नाम संत था (म. ४. तामस मन्वंतर का एक देवगण । अनु. ३०.६२)। सत्यकर्मन्-(सो. अनु.) एक राजा, जो विष्णु ७. एक देव, जो अंगिरस् एवं सुरूपा के पुत्रों में से एवं वायु के अनुसार धृतवत राजा का पुत्र, एवं अतिरंथ एक था (मत्स्य. १९६.२)। राजा का पिता था (वायु. ९९.११७)। १००६
SR No.016121
Book TitleBharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSiddheshwar Shastri Chitrav
PublisherBharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
Publication Year1964
Total Pages1228
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
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