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श्रुतसेना.
प्राचीन चरित्रकोश
श्रुष
श्रुतसेना--कुन्ती की बहन, जो केकय राजा धृष्टकेतु इसके दीर्घायु एवं नियतायु नामक दो पुत्र थे। अपने शारदाण्डाय नि की पत्नी थी (म. आ. १११.११८३४)। पिता की मृत्यु का बदला लेने के लिए, उन्होंने अर्जुन पर विष्णु, वायु, एवं भागवत में इसे श्रुतकीर्ति कहा गया | आक्रमण किया था, किन्तु अर्जुन ने उन दोनों का भी है (श्रुतकीर्ति ३. देखिये)।
| वध किया (म. द्रो. ६८. २७.२९)। परिवार-महाभारत के अनुसार, नियोगविधि से इसे ६.(सू. निमि.) विदेह देश का एक राजा, जो दुर्जयादि तीन पुत्र उत्पन्न हुए थे। पौराणिक साहित्य में | भागवत एवं विष्णु के अनुसार अरिष्टनेमि राजा का पुत्र, इसके पुत्रों की नामावलि निम्नप्रकार दी गयी है :-१. एवं सुपार्श्वक राजा का पिता था (भा. ९.१३.२३; मत्स्य में-अनुव्रत, २. वायु में--संतर्दन, चेकितान, विष्णु. ४.५.३१)। बृहत्क्षत्र, विंद, एवं अनुविंद।
श्रुतायुध--कलिंग देश का एक राजा, जो वरुण एवं श्रुतानीक--विराट का भाई, जो भारतीय युद्ध में
शीततोया (पर्णाशा) का पुत्र था (म. स. ४.२३; भी. पांडवों का सहायक था (म. द्रो. १३३.३९)।
१६.३४)। इसके पिता वरुण ने इसे एक गदा अभिमंत्रित श्रुतांत--(सो. कुरु.) धृतराष्ट्र के शतपुत्रों में से
कर दी थी, एवं कहा था, 'इस गदा के कारण तुम युद्धएक, जो भारतीय युद्ध में भीमसेन के द्वारा मारा गया
| भूमि में सदैव अजेय रहोंगे। किन्तु युद्ध न करनेवाले (म. श. २५.८)।
किसी भी व्यक्ति पर इस गदा का प्रहार तुम नहीं करना, श्रुतायु--(सू. इ.) एक इक्ष्वाकुवंशीय राजा, जो अन्यथा तुम मारे जाओंगे। मत्स्य के अनुसार भानुचंद्र राजा का पुत्र था। भारतीय
___ भारतीय युद्ध में यह कौरव पक्ष में शामिल था, एवं युद्ध में यह मारा गया (मत्स्य. १२.५५)। २. (सो. पुरूरवस् ) एक राजा, जो. भागवत एवं
एक अक्षौहिणी सेना ले कर यह युद्धभूमि में उपस्थित
हुआ था (म. भी. १६.३४-३५) । युद्ध के प्रारंभ में ही, विष्णु के अनुसार पुरूरवस् एवं उर्वशी के पुत्रों में से
इसका भीम के साथ युद्ध हुआ, जिसमें इसके सत्य एवं एक था। इसके पुत्र का नाम वसुमत् था।
सत्यदेव नामक दो चक्ररक्षक मारे गये (म. भी. ५०. ३. (सो. कुरु.) धृतराष्ट्र के शतपुत्रों में से एक, जो
जा ६९)। अन्त में वरुण के द्वारा प्रदान की गयी गदा इसने भारतीय युद्ध में भीमसेन के द्वारा मारा गया था (म. |
युद्ध न करनेवाले श्रीकृष्ण पर फेंकी, जिस कारण अपनी कं. ३५.३७.११)।
ही गदा से इसकी मृत्यु हो गयी (म. द्रो. ६७.४३-५८)। ४. अंबष्ठ देश का ए. राजा, जो क्रोधवश नामक
श्रुतावती--एक तपस्विनी जो भरद्वाज ऋषि एवं दैत्य के अंश से उत्पन्न हुआ था (म. आ. ६१.५९)।
घृताची अप्सरा की कन्या थी । इसने घोर तपस्या कर द्रौपदी के स्वयंवर में, एवं युधिष्ठिर के राजसूय यज्ञ में यह
के, इन्द्र को पतिरूप में प्राप्त किया था (म. श. ४७.२)। उपस्थित था (म. आ. १७७.१९; स. ४.२४)।
' श्रुति--कश्यपकुलोत्पन्न एक गोत्रकार । भारतीय युद्ध में यह कौरव पक्ष में शामिल था एवं |
२. एक प्राचीन राजा (म. आ. १.२३८)। इसका निम्नलिखित योद्धाओं से युद्ध हुआ था:-१. अर्जुनपुत्र इरावत् (म. भी. ४३.६८); २. युधिष्ठिर (म. भी
श्रुति आत्रेयी--स्वायंभुव मन्वंतर के अत्रि ऋषि की ४३.६६ )। भीष्म के द्वारा निर्माण किये गये कौंचव्यूह के
कन्या । पुलहपुत्र कर्दम प्रजापति से इसका विवाह हुआ जघनभाग में खड़ा था (म. भी. ७१.२२)। अन्त में
| था (पुलह १. देखिये)। अर्जुन ने इसका वध किया (म. द्रो. ६८.६४)। श्रुतिविद्ध--(सो. कुरु.) एक राजा, जो वायु के
५. कलिंग देश का एक क्षत्रिय राजा, जिसके भाई का अनुसार धर्म राजा का पुत्र था। नाम अयुतायु था (म. क. ५०-५२)। भारतीय युद्ध में श्रुतशृण--स्वायंभुव मन्वंतर के जिताजित् देवों में यह कौरवपक्ष में शामिल था, एवं भीम के साथ इसका से एक। युद्ध हुआ था (म. भी. ५०.६)। अपने भाई अयुतायु श्रुष वाह्नेय काश्यप--एक आचार्य, जो देवतरस् के साथ, यह कौरवसेना के दक्षिण भाग का संरक्षण करता श्यावसायन नामक आचार्य का शिष्य, एवं इंद्रोत दैवाप था (म. भी. ४७.१८)। अन्त में ये दोनों भाई अर्जुन शौनक नामक आचार्य का गुरु था (जै. उ.बा. ३.४०. के द्वारा मारे गये (म. द्रो. ६८.७-२५)। | २)। 'वह्नि' एवं 'कश्यप' का वंशज होने के कारण, इसे प्रा. च १२५]
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