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श्रीमानिन्
प्राचीन चरित्रकोश
श्रुतदेवा
श्रीमानि-भोत्य मनु के पुत्रों में से एक । २. (स्त्री) कुशध्वज जनक राजा की कन्या, जो राम
श्रीवह--कश्यपकुलोत्पन्न एक नाग (म. आ. | दाशरथि के कनिष्ठ भाई शत्रघ्न की पत्नी थी (वा. रा ३१.१३)।
| बा. ७३.३३)। श्रुत-(स. निमि.) एक राजा, जो विष्णु के अनुसार ३. (स्त्री) केव.य देश के धृष्टकेतु शारदण्डाय नि की उपगु राजा का, भागवत के अनुसार सुभाषण राजा का, पत्नी, जो शूर राजा की कन्या, एवं वसुदेव की बहन थी। एवं वायु के अनुसार, सुवर्चस् राजा का पुत्र था। इसकी कन्या का नाम भद्रा था, जो कृष्ण की पत्नी थी ।
२. ( सू. इ.) एक राजा, जो भागवत, विष्णु एवं वायु | इसके कुल चार पुत्र थे, जिनमें अनबत प्रमुख था (भा. के अनुसार भगीरथ राजा का पुत्र था। इसके पुत्र का नाम | ९.२४.३०)। नाभाग था।
ध्रुतंजय--(सो. पुरूरवस् .) एक राजा, जो भागवत ३.(सो. अज.) एक राजकुमार, जो पांचालराज द्रुपद | के अनुसार सत्यायु राजा का पुत्र था (भा. ९.१५.२)। के पुत्रों में से एक था । भारतीय युद्ध के रात्रि युद्ध में | २. एक राजा, जो त्रिगर्तराज सुशर्मन् का भाई था। अश्वत्थामन् ने इसका वध किया।
यह भारतीय युद्ध में कौरवपक्ष में शामिल था, अर्जुन ने ४. कृष्ण एवं कालिंदी के पुत्रों में से एक (भा. १०. | इसका वध किया (म. क. २७.१० पाठ.)। ६१.१४)।
३. (मगध. भविष्य.) एक राजा, जो मत्स्य, वायु, ५. वसुदेव एवं शांतिदेवा के पुत्रों में से एक (भा.९. | एवं ब्रह्मांड के अनुसार सेनाजित् राजा का, एवं विष्णु के
अनुसार सेनजित राजा का पुत्र था। भागवत में इसे श्रुतकक्ष्य आंगिरस--एक वैदिक सूक्तद्रष्टा; जिसके | 'सृतंजय' कहा गया है । वायु, मत्स्य, एवं ब्रह्माड के द्वारा विरचित सूक्त में विपुल पशुधन देने के लिए इंद्र | अनुसार इसने चालीस वर्षों तक राज्य किया था । की प्रार्थना की गयी है (ऋ. ८. ९२.२५)। एक साम | श्रतदेव-एक विरागी कृष्णभक्त ब्राह्मण, जो के प्रणयन का श्रेय भी इसे दिया गया है (पं. बा. ९.
बहुलाश्व जनक के काल में मिथिला नगरी में रहता था।
एक बार कृष्ण जब मिथिला नगरी में आया था, उस . श्रुतकर्मन्--(सो. कुरु.) तराष्ट्र के सौ पुत्रों में से | समय बहुलाश्व राजा ने, एवं इस ब्राह्मण ने एक साथ ही एक । इसने शतानीक के साथ युद्ध किया था (म. क. |
उसे अपने घर बुला लिया। उस समय इन दोनों की १८.१२-१३)।
भक्तिभावना एक समान ही उत्कट देख कर, कृष्ण ने दो ...२. अर्जुनपुत्र श्रुतकीर्ति का नामांतर।
रूप धारण किये, एवं एक समय ही वह इन दोनों ३. (सो. कुरु.) एक राजकुमार, जो सहदेव एवं | के घर जा पहुँचे । पश्चात् उसने इन दोनों को उपदेश द्रोपदी के पुत्रों में से एक था। भारतीय युद्ध में यह | प्रदान किया ( भा. १०.८६)। अश्वत्थामन् के द्वारा मारा गया (म. आ. ९०.८४ | २. कृष्ण के महारथी पुत्रों में से एक (भा. १०. ५७.१०३)। श्रुतिकीर्ति--(सो. कुरु.) एक राजकुमार, जो |
३. एक यादव, जो कृष्ण का अनुयायी था (भा. १. अर्जुन एवं द्रौपदी के पुत्रों में से एक था (म. आ. ९०. | १४.३२)। ८२, ५७.१०२, द्रो. २२.२५, भा. ९.२२.२९)। यह ४. विष्णु का एक पार्षद, जिसने बलि वैरोचन के विश्वेदेव के अंश से उत्पन्न हुआ था।
असुर अनुगामियों पर हमला किया था (भा. ८. इसे श्रुतकर्मन् नामांतर भी प्राप्त था (म. आ. २१३. | २१.१७)। ७६ )। इसके रथ के अश्व चास पक्षो के पंखों के वर्ण के | श्रुतदेवा अथवा श्रुतदेवी-करूपदेशीय वृद्धशर्मन् ये (म. द्रो. २२.२५)।
(वृद्धधर्मन् ) राजा की पत्नी, जो शूर राजा की कन्या • भारतीय युद्ध में शल्य के साथ इसका युद्ध हुआ, | एवं वसुदेव की बहन थी (म. भा. ४.२४.३०) । इसे जिसमें यह पराजित हुआ था । अश्वत्थामन् के द्वारा किये | पृथुकीर्ति नामांतर भी प्राप्त था। सुविख्यात असुर दंतवक्र गये रात्रियुद्ध में यह मारा गया (म. सौ. ८.५८)। | इसका ही पुत्र था (ब्रह्म. १४)।
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