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_ . शब्दमाला . ३३. शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ आचित न. १४७३ पूर्ण, भरेलु | आडम्बर पुं. न. ७९९ युद्धनो पडह, ढोल आच्छाद पुं ६६६ वस्त्र
'आडी' स्त्री १३३८ एक प्रकारचं पक्षी, आच्छादन न. ६६६ (शि. ५४) वस्त्र
शरारी आच्छुरितक न. २९८ क्रोध थाय तेवू हास्य | आढक त्रि ८८६ चार प्रस्थ प्रमाण आच्छोदन न. ९२७ शिकार
आढकवाप पुं ९३९ एक आढक धान्य आच्छोदन न. ३९६ (शे. ९६) उकाळेला
वावी शकाय तेवू खेतर अनाजनुं धोवाण, ओसामण | आढकिक पुं९६९ एक आढक धान्य वावी आज पुं १३३५ (शे. १९५) गीध पक्षी
शकाय तेवं खेतर आजक १४१७ बकरानो समूह | आढकी स्त्री ११७५ तुवेर आजगव न. २०१ शंकरर्नु धनुष्य (आढकी स्त्री १०५६ साराष्ट्र-कच्छनी माटी, आजानेय पुं. १२३४ कुलीन घोडो
फटकडी आजि स्त्री ७९७ लडाई
| आढ्य पुं ३५७ धनवान, धनाढ्य आजिभीष्मभू पुं ८०१ भयंकर युद्धभूमि | आणवीन न. ९६६ कांग, खेतर आजीव पुं ८६५ आजीविका
आणि पुं. स्त्री ७५६ धरीनो खीलो आजू १३५८ बळात्कारे नरकमां नांखq | आण्ड पुं ६१२ (शि. ४७) अंडकोश आज्ञा स्त्री २७७ हुकम, आज्ञा आतङ्क पुं ३०१ भयानक रसनो आज्य न. ४०७ घी
स्थायी भाव, भय आज्यवारि पुं. १०७५ घीनो दरियो आतङ्क.पुं ४६२ रोग आज्योद पुं. १०७५ घीनो दरियो । आततायिन् पुं ३७२ वध करवाने आञ्जनेय पुं.७०५ हनुमान.
तैयार थयेलो (आटरुष) पुं. ११४० अरडुशी
आतप पुं १०१ तडको ... (वनस्पति विशेष) (आतपत्र) ७१७ छत्री आटरुषक नं. ११४० अरडुशी . आतपवारण न. ७१७ छत्री
(वनस्पति विशेष) | आतर पुं. ८७९ वहाण, भाडं आटि स्त्री १३३८'एक प्रकारनुं पक्षी, शरारी | आतापिन् पुं १३३४ समडी 'आटी' स्त्री १३३८ शरारी, एंक जात, पक्षी | 'आतायिन्' पुं १३३६ समडी आटोप. पुं. १४९९ आवेश, अहंकार, आडंबर | आति स्त्री १३३८ शरारी, एक प्रकारनुं पक्षी