________________
अभिधानचिन्तामणिनाममाला . ३२
शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ आक्रम पुं १५११ आक्रमण
आग्नीधी स्त्री ८१४ (शि. ७१) हविष वगेरे आक्रीड पुं १११२ बाग, गार्डन | आपी अग्नि सळगाववो ते, अग्निहोमनुं स्थान आक्रोश पुं २७२ निंदा
आग्नेय पुं १२३ अगस्य ऋषि आक्षपाटलिक पुं ४७९ (शि. ३५) परीक्षा | आग्नेय न. ६२१ लोही
करनार | (आग्नेयी) स्त्री १६९ अग्नि खूणो आक्षपाद पुं ८६२ नैयायिक
आग्रहायणिक पुं १५२ मागसर मांस आक्षारणा स्त्री २७२ (शि. १७) मैथुन | आग्रहायणी स्त्री १५० मागशर पूनम
विषयक आक्षेप मूकवो ते | आघाट पुं ९६२ मर्यादा, हद, सीमा आक्षारित पुं ४३६ (शि. ३१) ठपका | आधार पुं ४०७ घी
लायक, लोको वड़े वगोवायेलो | आङ्गिक पुं २८३ अंगथी करायेल अभिनय आक्षेप पुं २७२ निंदा
आङ्गिरस पुं ११९ गुरु, बृहस्पति आखण्डल पुं २ (परि.) इन्द्र (रूढ शब्द) आचमन न. ८३७ वेदोक्त मंत्रपूर्वक आखण्डल पुं १७१ इन्द्र .
. पाणीथी मुख वगेरेनो स्पर्श करवो आखनिक पुं १२८८ मुंड
आचाम पुं ३९६ उकाळेला अनाजनुं आखु पुं स्त्री १३०० उंदर
धोवण, ओसामण आखुग पुं २०७ गणपति
आचार पुं ८४३ शुद्धाचार, शियल, चारित्र आखुभुज् पुं १३०१ बिलाडो आचारवेदी पुं ९४८ तीर्थंकरादि ६३ शलाका आखेट पुं ९२७ शिकार
| पुरुषोनी जन्मभूमि, आर्यावर्त आखोर पुं १५७ (शे. २६) उनाळो आचाराङ्ग न. २४३ एक जैन आगम, आख्या स्त्री २६० नाम
. प्रथम अंग आगन्तु पुं ४९९ महेमान
आचार्य पुं ७८ आचार्य, व्याख्याकार आगम पुं २४२ आगम, शास्त्र आचार्या स्त्री ५२४ स्त्री आचार्य, आगस् न. ७४४ अपराध
व्याख्यात्री स्त्री आगू स्त्री २७८ स्वीकार
आचार्यानी स्त्री ५२३ आचार्यनी स्त्री आग्निमारुत पुं १२३ अगस्त्य ऋषि | आचार्टी स्त्री ५२३ आचार्यनी स्त्री आग्नीधा स्त्री ८१४ हविष वगेरे आपी |आचित पुं८८५ वीस तुला प्रमाण वस्तु अग्नि सळगाववो ते, अग्निहोमनुं स्थान | आचित पुं.न. ८८५ दश भार प्रमाण सोनुं