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. . शब्दमाला . २७ शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ । अवेक्षा स्त्री १५१८ देखरेख, तपास अशोका स्त्री ४५ शीतलनाथ भगवाननी 'अव्यण्डा' स्त्री ११५१ कौवच
. शासन देवी 'अव्यथा' स्त्री ११४६ हरडे | अश्मगर्भ न. १०६४ मरतकमणि, पन्ना, अव्यय पुं २१९ (शे. ७०) विष्णु, नारायण |
लीलोमणि अव्यवहित न. १४५१ संलग्न, आंतरा रहित | अश्मज न. १०६२ शिलाजीत अव्याहतत्व न. ६६ पूर्वापर विरोध रहित | अश्मन् पुं १०३५ पत्थर . अर्थ, प्रभुनी वाणीनो नवमो गुण | अश्मन्तक न. १०१८ चुलो अव्युच्छित्ति स्त्री ७१ अर्थसिद्धि सुधी रहेनारी, I (अश्मयोनि) पुं १०६४ मरकत मणि
प्रभुनी वाणीनो ३४मो गुण | अश्मरी स्त्री ४७० मूत्राशयमां पथरीनो रोग (अश) पुं ७ (परि) भोज्यभोजक भाव | अश्रान्त न. १४७१ निरंतर
संबंधमां भोज्यथी लगाड़ातो शब्द | अश्रि स्त्री १०१३ खूणो (अशन) पुं ७ (परि) भोज्य भोजकभाव | 'अश्री' स्त्री १०१३ खूणो . संबंधमां भोज्यथी लगाड़ातो शब्द | अश्रु न. ३०७ आंसु अशन पुं न. ३९५ भोजन
(अस्तु) न. ३०७ आंसु अशन न. ४२३ खावं, भोजन करवू ते | अश्लील न. २६६ बीभत्स वचन अशनाया स्त्री ३९३ भूख
अश्लेषा पुं स्त्री १११ अश्लेषा नक्षत्र अशनायित पुं ३९२ भूख्यो
अश्लेषाभू पुं १२२ केतु ग्रह अशनि पुं स्त्री १८० वज्र
अश्व पुं ४७ घोडो, श्री संभवनाथ भगवाननुं अशनि पुं स्त्री ११०५ वीजळी
लंछन मशिरस् पुं १८८ शे. राक्षस | अश्व पुं १२३२ घोडो अशिश्वी स्त्री ५.२९ पुत्र विनानी स्त्री 'अश्वकर्णक' पुं ११३८ शाल, डामरनुं झाड़ अशुचि स्त्री ६३४ (शि. ५०) विष्ठा, मळ | अश्वकिनी स्त्री १०८ अश्विनी नक्षत्र अशुभ न. १३८० पाप, दुष्कृत्य (अश्वगोयुग) न. १४२४ (टी) घोडाओनुं अशेष न. १४३३ बधुं, समस्त
युगल अशोक पुं. ११३५ अशोकवृक्ष, अश्वग्रीव पुं ६९९ पहेला प्रतिवासुदेवनुं नाम
. आसोपालव- झाड | अश्वतर पुं १२५३ खच्चर (अशोक) न. २२९ (टी) कामदेव- बाण | अश्वतर पुं १३११ नागनी जाति
अश्व पु