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अभिधानचिन्तामणिनाममाला . २४ .
शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ .. | शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ अलोक पुं. १३६५ लोक सिवायनो प्रदेश | 'अवग्राह' पुं. १२२६ हाथीनुं कपाळ अल्प न. १४२६ थोडं
अवघात पुं १०१७ धान्य वगेरेनें खांडवू अल्पतनु पुं ४५३ नाना शरीरवाळो अवचूल पुं ७५० ध्वजानी नीचेनो भाग अल्पमारिष पुं. ११८४ तांदळजो अवज्ञा स्त्री १४७९ अपमान, तिरस्कार
(खावा लायक शाक विशेष) | अवज्ञात न..१४७९ तिरस्कार करायेखें अल्पिष्ठ न. १४२८ घणुं थोडं : | अवट पुं. ९३१ मृगादिने पाडवा माटे अल्पीयस् न. १४२८ घणुं थोडं.
.. करेलो खाडो अल्लुका स्त्री ४१९ (शे. १०१) धाणा, कोथमीर | अवट पुं १३६४ भूमिनो खाडो अवकटिका स्त्री ३१४ (शे. ९०) आकार | 'अवटि' स्त्री १३६४ भूमिनो खाडो
. छुपाववो | अवटिन् स्त्री १६३ (शे. २७) आकाश अवकर पुं. १०१६ कचरो
अवटीट पुं ४५१ चपटा नाकवाळो, चीबो अवकीर्ण न. १४७६ विखरायेलुं । अवटु पुं स्त्री ५८६ डोक अने माथानी अवकीर्णिन् पुं ८५४ व्रतभंग करनार ।
संधिनो पाछलो भाग ब्रह्मचारी अवतंस पुं. न. ६५४ मस्तक उपर मुगटना अवकुटारिका स्त्री ३२४ (शे. ९०) आकार
आकारे नांखेली माळा __ छुपाववो | अवतंस पुं ६५४ काननुं आभूषण अवकृष्ट पुं ४४० बहार काढेल . अवतमस न. १४६ अंधकार (अवकेशिन्) (टी) पुं १११६ वांझीयुं वृक्ष | अवतार पुं १०८७ तीर्थ, घाट, पाणीनो आरो अवक्षेपणी स्त्री १२५२ लगाम, दोरी अवतोका स्त्री १२६७ वत्स मरी जतो होय अवगण पुं. १४५७ (शि. १३०) एकलो
तेवी गाय अवगणना स्त्री १४७९ (शि. १३३) अवदंश पुं ९०७ मदिरा पीवानी प्रीति तिरस्कार, अपमान
उत्पन्न करे तेवो भक्ष्य पदार्थ अवगणित न. १४७९ अपमान करायेखें | अवदात पुं १३९३ सफेद वर्ण अवगत न. १४९६ जाणेलु
अवदात न. १४३६ उज्ज्वळ, अवग्रह पुं १६६ वरसादनो अंतराय
स्वभावथी निर्मल 'अवग्रह' पुं १२२६ हाथीनुं कपाळ अवदान न. ८११ सारं आचरण अवग्राह पुं १६६ वरसादनो अंतराय | अवदारण न. ८९२ पावडो, कोदाळो वगेरे