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अभिधानचिन्तामणिनाममाला .३५४ -
शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ सून न. ११२५ पुष्प सूना स्त्री ९३० पशुने हणवावें स्थान . सूनु पुं ५४२ पुत्र (सूनु) स्त्री ५४२ पुत्री सूनृत न. ८१ सत्य वचन सूनृत न. २६४ सत्य अने प्रिय वचन सून्त न. ८६ (शे. २) कल्याण, शुभ सूप पुं ३९७ दाळ . सूप पुं ७२३ रसोईयो सूपकार पुं ७२३ रसोईयो . सूर पुं ३८ श्री कुंथुनाथ
भगवानना पिता . सूर पुं ९६ सूर्य . सूरण पुं ११८९ सूरणकंद सूरत पुं ३६९ दयालु सूरसूत पुं १०२ अरुण (सूर्यसारथि) : सूरि पुं ३४१ पंडित, विद्वान 'सूर्प' न. १०१८ सूपडं
सूर्पकर्ण पुं १२१८ (शे. १७६) हाथी (सूर्मी) स्त्री १४६४ लोढानी प्रतिमा सूर्य पुं ९५ सूरज, सूर्य सूर्यकान्त पुं १०६७ सूर्यकांत मणि सूर्यजा स्त्री १०८३ यमुना नदी (सूर्यप्रज्ञप्ति) स्त्री २४५ ७९ उपांग सूर्यमणि पुं १०६७ सूर्यकांत मणि सूर्याश्मन् पुं १०६७ सूर्यकांत मणि सूर्येन्दुसङ्गम पुं १५० अमास
|शब्द /लिंग / श्लोक / अर्थ | सूर्योढ पुं ५०० सूर्यास्त बाद
आवेलो महेमान | 'सक्क' न. (द्वि.व.) ५८१ मोंनो खूणो | सक्कणी स्त्री (द्वि.व.) ५८१ मोंनो खूणो,
.. . होठना छेडानो भाग | सृक्कन् न. (द्वि.व.) ५८१ मोंनों खूणो,
____होंठना छेडानो भाग | 'सृक्ति' स्त्री (द्वि.व.) ५८१ मोंनो खूणो | सृक्किणी स्त्री (द्वि.व.) ५८१ (शि. ४६) मोंनो खूणो | 'सृक्कणी' स्त्री (द्वि.व.) ५८१ मोंनो खूणो | 'सृक्कन्' न. (द्वि.व.) ५८१ मोंनो खूणो 'सृक्छन्' न. (द्वि.व.) ५८१ मोंनो खूणो सृग पुं ७८५ गोफण सृगाल पुं १२८९ शियाळ सृज् पुं ५ (प.) जनक वाचक शब्द
.. बनावनार शब्द उदा. विश्वसृक् ‘सृजिकाक्षार' पुं ९४५ साजीक्षार सृणि पुं स्त्री १२३० अंकुश सृणिका स्त्री ६३३ (शि. ४९) लाळ सृणीका स्त्री ६३३ लाळ - सृति स्त्री ९८३ मार्ग, रस्तो सृपाटिका स्त्री १३१७ पक्षीनी चांच (सपाटी) स्त्री १३१७ पक्षीनी चांच सुप्र पुं १०५ (शे. १२) चंद्रमा समर पुं ११०७ (शे. १७३) पवन सेक पु ८३७ घी वगेरेथी अग्निनु सिंचन
कर ते