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HANA
शब्दमाला .३३७
शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ · · शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ सन्देशवाच् स्त्री २७६ संदेशो
सन्निभ त्रि १४६१ तुल्य, समान संदेशहारक पुं ७३४ दूत
सनिवेश पुं १५१६ आकार, सन्देह पुं १३७५ संदेह, संशय
अवयवोनी रचना सन्दोह पुं १४११ समूह, समुदाय सपन पुं ७२९ शत्रु सन्द्राव पुं८०३ पलायन, नासी जq | सपत्राकृति पुं १३७२ अत्यन्त पीडा सन्या स्त्री २७८ अंगीकार, प्रतिज्ञा .. | सपदि अ. १५३२ तत्काळ, तरत ज सन्धानी स्त्री ९९६ टंकशाळ
"सपदि' अ. १५३० जलदी सन्धि पुं ७३५ सुलेह, समाधान सपर्या स्त्री ४४७ पूजा, सत्कार सन्धि पुं ९८५ (शि. ८६) सुरंग सपिण्ड पुं५६२ सात पेढी सुधीना कुटुम्बी सन्धिजीवक ४७५ लांच लेनार | संपीति स्त्री ९०७ साथे दारु पीवो सन्धिनीस्त्री १२६७ सांढना संयोगथी गर्भवती | सप्तकी स्त्री ६६४ मेखला, थयेली गाय, अकाळे दूध आपनारी गाय .
स्त्रीनी केडनो कन्दोरो सन्धिबन्धन न. ६३१ (शे. १३०) सन्धिना | सप्तच्छद पुं १६ (प.) सप्तपर्ण, बन्धनरूप स्नायु
सातपुडानुं झाड . सन्धिला स्त्री ९८५ सुरंग
सप्तजिह्व पुं १०९९ अग्नि सन्ध्या स्त्री १४० सन्ध्याकाळ, दिवस अने | सप्ततन्तु पुं ८२० यज्ञ .
रातनो मध्यवर्ती समय . | सप्तपलाश पुं १६ (प.) सप्तपर्ण सन्ध्यानाटिन् पुं २०० (शे. ४७) शंकर | सप्तपर्ण पुं १९३३ सातपुडानुं झाड सन्ध्याबल पुं १८८ (शे. ३९) राक्षस | | सप्तर्षि पुं १२४. मरिचि आदि सात ऋषि 'सन्नकद्रु' पुं ११४२ चारोलीनुं झाड सप्तर्षिज पुं ११९ (शे. १०) गुरु (बृहस्पति) सन्नद्ध पुं ७६५ बख्तर पहरेलो, तैयार | सप्तर्षिपूता स्त्री १५ (प.) उत्तर दिशा . सत्रह पुं ७६६ बख्तर, कवच
सप्तला स्त्री ११४८ बट मोगरो सन्नाह्य पुं. १२२२ लडाईने योग्य हाथी | सप्तसप्ति पुं ९६ सूर्य सन्निकर्ष पुं १४५० समीप, निकट, पासे | सप्ताचिष् पुं १२० शनिग्रह सनिकृष्ट न. १४५१ समीप, निकट, पासे | सप्ताचिष् पुं ११०० अग्नि सन्निधान न. १४५० समीप, निकट, पासे | सप्ति पुं १२३३ घोडो सन्निधि पुं १४५१ समीप, निकट, पासे । सबलि पुं १४० सायंकाळ