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अभिधानचिन्तामणिनाममाला . ३१६
शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ | शब्द/ लिंग / श्लोक / अर्थ 'शरणि' स्त्री ९८३ रस्तो
शर्मन् न. १३७० सुख 'शरणी' स्त्री ९८३ रस्तो
| शर्व पुं १९५ शंकर शरत् स्त्री १५९ वर्ष
शर्वरी स्त्री १४१ रात्रि शरद स्त्री १५८ शरद ऋतु
शर्वाणी स्त्री २०४ पार्वती शरधि पुं ७८२ बाण राखवा- भा | शल पुं १२५३ ऊंट. शरभ पुं १२८६ अष्टापद, सिंहने हणनार पशु शल न. १२९६ साहुडीनी रोममय शळी, शरभू पुं २०९ कार्तिकेय, शंकरनो पुत्र __· शिशोळियु (शरयन्त्रिक)न. ११६६ कमळ वगेरेनुं मूल | शलभ पुं १२१३ पतंगियु शरव्यक न. ७७७ निशान, बाण, लक्ष्य | शलल पुं १२९६ साहुडी 'शराटि' स्त्री १३३८ शरारी-पक्षि विशेष शलल न. पुंस्त्री १२९६ साहुडीनी रोममय 'शराडि' स्त्री १३३८ शरारी-पक्षि विशेष
. शळी 'शराति' स्त्री १३३८ शरारी-पक्षि विशेष | 'शलली' स्त्री १२९६. साहुडीनी रोममय शरारि स्त्री १३३८ एक जातनुं पक्षी
शळी, शीशोळीयुं शरारु पुं ३६९ हिंसक, घातक शलाकापुरुष पुं ७०० २४ तीर्थंकर, १२ 'शरालि' स्त्री १३३८ शरारी-पक्षि विशेष | चक्री, ९ बळदेव, ९ वासुदेव, ९ प्रतिवासुदेव 'शराली' स्त्री १३३८ शरारी-पक्षि विशेष | कुल ६३ शालाका पुरुष छे शराव पुं न. १०२४ कोडियुं, शकोरं शलाट पुं ८८५ वीस तुला प्रमाण शराभ्यास पुं ७८८ (शे. १५२) शस्त्र- |शलादु त्रि ११३० काचुं फळ
कळानो अभ्यास शलिक पुं २१९ (शे. ६९) विष्णु, नारायण शरासन न. ७७५ (शि. ६७) धनुष्य शल्क न. १४३४ टुकडो, ककडो शराश्रय पुं ७८१ बाण राखवार्नु भाथु | शल्किन् पुं १३४४ मत्स्य, माछलुं शरीर पुं न. ५६४ शरीर, देह
शल्य न. पुं. ७८७ बाणनो अग्रभाग (शरीरिन्) पुं १३६६ देहधारी आत्मा शल्य पुं १२९६ साहुडी शरु पुं २१९ (शे. ७५) विष्णु, नारायण शल्यक पुं न. १२९६ साहुडी शर्करा स्त्री ४०२ साकर
शल्यारि पु ७०७ युधिष्ठिर शर्कराप्रभा स्त्री १३६० नरकनी बीजी पृथ्वी | 'शल्लकी' स्त्री ११५२ शरु शर्म न. १३७० (शि. १२५) सुख ।शव पुं न. ५६४ मडहूँ, मृत शरीर