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शब्दमाला • ३१५ .. शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ श / लिंग / श्लोक / अर्थ (शमभूत्) पुं ७६ शमने धारण करनार | 'शम्याक' पुं ११४० गरमाळो मुनि
| (शम्बर) पुं २२८ कामदेवनो शत्रु शमल न. ६३४ विष्ठा, मळ । (शम्बर) पुं १३४४ मच्छ शमान्तक पुं २२८ (शे. ७९) कामदेव | (शम्बरारि) न. २२८ कामदेव शमी स्त्री ११३० बीजनो कोश, शींग शय पुं१० (प.) आश्रय वाचकने आ शब्द शमीगर्भ पुं ८१३ ब्राह्मण
जोडवाथी आश्रयि-वाचक शब्द बने छे. शमीगर्भ पुं १०९८ अग्नि
दा.त. युशय शमीधान्य न. ११८१ अडद, मग शय पुं ५९१ हाथनो पंजो वगेरे धान्य
शयत पुं १०५ (शे. १२) चन्द्र सम्पा स्त्री ११०४ विजळी
शयन न. ३१३ निद्रा, सूर्बु ते 'शम्याक' पुं ११४० गरमाळो शयन न. पुं. ६८२ शय्या, तळाई 'शम्बर' न. १०६९ पाणी
|शयनास्पद न. ९५ शयन, गृह 'शम्बर' पुं १२९३ एक प्रकारचें हरण. शयनीय न. ६८२ शय्या, तळाई (शम्बरारि) पुं २२८ कामदेव शयानक पुं १२९९ काचंडो, सरडो शम्बल न. पुं ४९३ भातुं
(शयानक) पुं ७५८ हीचको, डोळी शम्बाकृत न. ९६८ बे वार खेडेलु खेतर |शयालु पुं. ४४२ ऊंघणशी 'शम्बु' पुं १२०५ छीप, शंखला शयित पुं ४४३ सूतेलो शम्बुक पुं १२०५ (शि. १०९) छीप, शयु पुं १३०५ अजगर
. शंखला शय्यम्भव पुं ३३ बीजा श्रुतकेवली शम्बूक पुं १२०५ छीप, शंखला शय्या स्त्री ६८२ तळाई, पथारी शम्भली स्त्री ५३३ कुहणी, परस्त्री-पुरुष- |शर पुं न. ७७८ बाण
संयोग माटे दलाली करनार स्त्री | शर पुं ११९२ मुंज, तृण शम्भव पुं २६ त्रीजा संभवनाथ भगवान | शरज न. ४०७ माखण शम्भु पुं २४ अरिहंत, जिनेश्वर । (शरजन्मन्) पुं २०९ कार्तिकेय, शम्भु पुं १९५ शंकर
शंकरनो पुत्र शम्भु पु २१३ ब्रह्मा.
शरण न. ९९१ घर शम्या स्त्री. ७५७ धूसरीनो खीलो | शरणार्थिन् ४७९ शरणे आवेल