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शब्दमाला
शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ - व्यापादन न. ३७० हिंसा
व्याप्त पुं ७१९ अमात्य सिवायना काम उपर नीमेल मंत्रीओ
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शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ व्यूहपाणि पुं ७४७ युद्धनी पाछळनो भाग व्योकार पुं ९२० लुहार व्योमकेश पुं १९८ शंकर
व्योमधूम पुं १६४ ( शे. २८) मेघ, वादळ
व्याप्त न. १४७३ पूर्ण, भरेलुं
व्याम पुं ६०० वांभ, बंने हाथ आडा लांबा व्योमन् न. १६२ आकाश
करे तेटली लंबाई
व्यायाम पुं ३२० थाक, परिश्रम, कसरत व्यायाम पुं ६०० वांभ, बंने हाथ आडा लांबा करे तेटली लंबाई व्यायोग पुं २८४ नाट्य प्रबंधनो एक प्रकार व्याल पुं १२१६ हिंसक पशु व्याल पुं १२२२ खराब हाथी व्याल पुं १३०३ सर्प, नाग व्यालग्राहिन् पुं ४८८ गारुडी, सर्प पकडनार 'व्यावृत्त' पुं १४८४ ढंकायेलुं
व्यास पुं ८४७ व्यास ऋषि, महाभारतकार व्यास पुं १४३२ विस्तार, फेलावो व्याहार पुं २४१ वाणी, वचन व्युत्क्रम पुं १५११ क्रम विनानुं, उलटये क्रम व्युत्पन्न - पुं ३४५ शास्त्रादि तत्त्वोनो संस्कारी व्युष्ट न. १३९ सवार, प्रातःकाल, प्रभात व्यष्टि पुं १४४६ फल, परिणाम, प्रयोजन व्यूड न. १४३० विशाल, मोटुं व्यूडकङ्कट पुं ७६५ बख्तरधारी व्यूति स्त्री ९१३ वणवं
व्यूह पुं ७४७ युद्धमां सैन्यनी गोठवणी व्यूह पुं १४१२ समूह, समुदाय
व्योमयान न. ८९ (शे. ७) देवोनुं विमान (व्योमस्त्र ) पुं न. ९५ सूर्य व्योमोल्मुक पुं ११७ (शे. ११४) मंगल ग्रह व्योष न. ४२२ सूंठ, मरी, पीपर त्रणे भेगा (त्रिकटु)
व्रज पुं न. १२७३ गायोनो समूह व्रज पुं १४११ समूह, समुदाय व्रज्या स्त्री ७८९ फरवु, गमन, प्रयाण व्रज्या स्त्री १५०१ पर्यटन, फरवु व्रण पुं न. ४६४ घा, त्रण व्रत त्रि. ७ (प.) भोज्य वाचकथी आ शब्द लगाडतां भोजक वाचक शब्द बने छे. उदा. अमृतव्रत
व्रत पुं ८४३ व्रत, नियम व्रतति स्त्री १११७ लता, वेल
व्रतसङ्ग्रह पुं ८२३ दीक्षा शास्त्रमां कहेल नियमोनो संग्रह व्रतादान न. ८१ दीक्षा प्रवज्या व्रतिन् पुं ८१७ त्याग करनार, यजमान व्रश्चन पुं ९२० छीणी, धातु के पांदडां कापवानी छीणी व्राज पुं १३२५ (शे. १९३) कुकडो