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शब्दमाला • ३०३
शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ .. |शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ विहनन न. ९१२ पीजवू, पीजवानुं यन्त्र | वीतदम्भ पुं ४९० सरल, दंभ विनानो विहसित न. २९७ कोईक आवाज थाय | वीतन पुं (द्वि.व.) ५८७ डोकनी बन्ने तेवू हास्य
बाजुना पडखा विहस्त पुं ३६६ व्याकुळ, गभरायेलो | वीतराग पुं २५ अरिहंत, जिनेश्वर विहायस् न. १६३ आकाश
वीति पुं १२३३ घोडो विहायस् पुं १३१६ पक्षी
वीतिहोत्र पुं १०९८ अग्नि विहायसा अ. १५२६ आकाश (वीथि) स्त्री १४२३ श्रेणि, ओळी (विहायसा) अ. १६३ आकाश।
| वीथी स्त्री २८४ नाट्य प्रबंधनो एक प्रकार विहायित न. ३८६ दान, त्याग - वीथी स्त्री १४२३ श्रेणि, ओळी विहार पुं ९९४ जिनालय, जिन मंदिर | वीध्र न. १४३६ उज्ज्वल, विहार पुं १५०० विहार, पगे चालवू
स्वभावथी निर्मल विहृत न. ५०८ स्त्रीओना १० स्वाभाविक | वीनाह पुं न. १०९२ कूवामां मुख- इंटो अलंकारो पैकी एक
- वडे चणेलुं ढांकण विह्वल पुं ४४८ भयभीत, मुंझायेलो | वीर पुं २८ चोवीसमा तीर्थंकर भगवान वीक्षापन्न पुं ४३३ विस्मय पामेल, विलखो | वीर पुं ३० चोवीसमा तीर्थंकर भगवान वीक्ष्य न. ३०४ (शे. ८९) आश्चर्य, अद्भुत वीर पुं २९४ वीर रस, ___ रसनो स्थायी भाव .
नव रस पैकीनो एक रस वीङ्खा स्त्री १५०० विहार, पगे चालवू ते | वीर पुं ३६५ वीर (सुभट) वीचि स्त्री १०७५ पाणीना मोजा, तरंग | वीरजयन्तिका स्त्री २८१ समरांगणमां वीचिमालिन् न. १०७३ समुद्र
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करातुं नृत्य वीजन पुं ६८७ (शि. ५८) पंखो | 'वीरण' न. ११५८ काळो वाळो वीणा स्त्री २८७ वीणा, तंबुरो
वीरणीमूल न. ११५८ काळा वालानुं मूळ वीणावाद पुं ९२४ वीणा वगाडनार । 'वीरतर' न. ११५८ काळो वाळो वीत न. १२३१ अंकुशथी हाथीने रोकवो | 'वीरतरु' पुं ११३५ अर्जुन वृक्ष अने हाथीने चलाववा महावतनी संज्ञा | वीरपत्नी स्त्री ५१५ वीर पुरुषनी पत्नी वीत न. १२५२ नकामा हाथी, घोडा (वीरपाण) न. ८०२ चालु अथवा भावि वीतंस पुं न. ९३१ पाश, जाळ
युद्धमां थतु मदिरापान