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अभिधानचिन्तामणिनाममाला . २९४ .
शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ | शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ विचकिल पुं ११४८ मोगरो विजया स्त्री ३९ श्री वासुपूज्य स्वामीनी माता विचक्षण पुं ३४१ विद्वान, पंडित विजया स्त्री २०५ (शे. ५४) पार्वती विचिका स्त्री ४६४ खस (रोग) विजया स्त्री २०५ पार्वतीनी सखी विचारणा स्त्री २५१ विचारणा, मीमांसाशास्त्र | विजयिन् पुं ७९३ (शे. १५३) जीत विचारणा स्त्री १३७३ चर्चा, विचारणा, . मेळवनार
प्रमाणयुक्त विचार | विजाता स्त्री. ५३९ सुवावडी स्त्री ' विचारित न. १४७५ विचारेलुं. विजपिलन. ४१४ (शि. २९) अत्यंत चीकj विचाल न. १४६० वच्चेर्नु; अंदरनुं | विजिल न. ४१४ अत्यंत चीकगुं, तरवाळु विचिकित्सा स्त्री १३७५ संदेह, संशय ,
दहीभोजन, मठो विचेतस् पुं ४३५ दुष्ट चित्तवाळो विज़िविल न. ४१४ अत्यंत चीकj, विच्छन्द पुं १०१५ विशेष प्रकारनी रचना | तरवाळु दहीन भोजन, मठो विच्छित्ति पुं ५०७ स्त्रीओना दश स्वाभाविक | विजृम्भित न. ११२८ खीलेलं (पुष्प)
अलंकार पैकी एक अलंकार विज्जल न. ४१४ मठो विजन न. ७४२ एकांत; निर्जन विज्ञ पुं ३४३ प्रवीण, निपुण, होशीयार विजनन न. ५४१ प्रसव, जन्म "विज्ञात' पुं १४९३ विख्यात विजय पुं ३८ श्री नेमिनाथ भगवानना पिता | विज्ञान न. ३१० शिल्पादिनुं ज्ञान विजय पुं ४२ श्री चन्द्रप्रभ स्वामी विज्ञान न. ९०० कला, कारीगरी
भगवानना शासनदेव विज्ञानदेशन पुं २३५ (शे. ८१) सुगत, बुद्ध विजय पुं ५६ आवती चोवीसीना | विज्ञानमातृक पुं २३५ सुगत, बुद्ध
२०मा तीर्थंकर विट न. पुं ३३१ व्यभिचारी, धूतारो विजय पुं ६९८ बीजा बलदेव विटङ्क पुं न. १०१० पक्षीओने विश्राम माटे विजय पुं ८०३ विजय, जीत । बनावेल लाकडानुं स्थान (कबूतरखानु) विजय पुं ७१० (शे. १३८) अर्जुन (पांडव) | विटप न. ६१३ अंडमूल विजय पुं ७८२ (शे. १४४) तलवार |विटप पुं न. ११२०. थड तथा (विजय) पुं ९४ पहेलुं अनुत्तर विमान | ___ शाखा वगेरेनुं वृक्ष विजयच्छन्द पुं ६५९ पांचसो चार सेरनो हार | विटप पुन. ११२४ वृक्षनो विस्तार विजयनन्दन पुं ६९४ अगियारमा चक्रवर्ती | विटपिन् पुं १११४ वृक्ष