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अभिधानचिन्तामणिनाममाला . २९२ - शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ - शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ वासयोग पुं६३७ अबील, पटवासादि चूर्ण | वासौकस् न. ९९५ घरनो मध्यखंड वासर पुं न. १३८ दिवस
| बास्तु पुं. न. ९८९ घर माटेनी भूमि वासरकन्यका स्त्री १४३ (शे. १९) रात्रि | वास्तुक न. ११८६ बथवो, (वासरकृत्) पुं ९७ सूर्य
.: चीलनी भाजी वासव पुं १७१ इन्द्र
'वास्तूक' न. ११८६ चीलनी भाजी (वासवावरज) पुं २१४ विष्णु . वास्तोष्यति पुं १७२ इन्द्र वासवावास पुं ८७ (शे. १०३) स्वर्ग वास्त्र पुं ७५४ वस्त्रथी ढंकायेलो रथ वासवी स्त्री ८४७ व्यास ऋषिनी माता | वाह पुं १२३३ घोडो वासस् न. ६६६ वस्त्र, कपडु
वाहा स्त्री ५८९ भुजा, हाथ वासा स्त्री ११४० अरडुशी
| वाहन न. ७५९ सर्व जातना वाहन, हार्थ वासित न. ४१४ धूप पुष्पादि वडे वासित करेलं |
घोडा रथ वि. 'वासित' न. १४०७ तिर्यंच पशुओनो शब्द | वाहरिपु पुं १२८२ पाडो वासिता स्त्री १२१८ (शे. १७७) हाथणी, | वाहस पुं १३०५ अजगर वासिन् न. १० (प.) आश्रयवाचक शब्द | वाहित्थ न. १२२७ हाथीना कुंभ स्थल अने साथे आ शब्द लगाडवाथी आश्रयी शब्द
ललाटनी नीचेनो भाग बने छे. दा.त. धुवासिन्
वाहिनी स्त्री ७४५ सेना वासिष्ठी स्त्री १०८५ गोमती नदी वाहिनी स्त्री ७४८ गुल्मथी त्रण गणी (सेना) वासी स्त्री ९१८ वांसळो, कुहाडो वाहिनी स्त्री १०८० नदी वासुकि पुं १३०८ वासुकी (नागराज) वाहीक पुं९५९ वाहीक देश वासुदेव पुं २१५ विष्णु, कृष्ण | वाह्य न. ७५९ सर्व जातना वाहन, हाथी, वासुदेव पुं ६९७ वासुदेव नव होय छे ते | | घोडा रथ वि. वासुदेव पुं १२३३ (शे. १७९) घोडो वाहिक पुं ९५९ अरबस्तान वासुपूज्य पुं २७ बारमा तीर्थंकर भगवान | वाहिक न. ६४५ (शि. ५१) केसर वासुभद्र पुं २१९ (शे. ७१) विष्णु वाहिक पुं १२३५ वाह्रिक देशना घोडा वासुरा स्त्री १४३ (शे. २०) रात्रि |वाहीक न. ४२२ हींग वासू स्त्री ३३३ कन्या, कुमारी | वाहीक न. ६४५ केशर
(नाटकनी भाषामां) |वाहीक पुं ९५९ ते नामे एक देश