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अभिधानचिन्तामणिनाममाला . २६४
शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ |शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ यक्षेशपुं ४३ श्री अरनाथ भगवानना शासनदेव | (यज्ञाशन.) पुं ८८ देवता (यक्षेश) पुं ४१ श्री अभिनंदन स्वामीना | यज्ञिय ८३० यज्ञने योग्य कार्य शासनदेव
(यज्ञोपवीत) न. ८४५ जनोई यक्षेश्वर पुं १९० कुबेरदेव
यज्वन् पुं ८१८ सोमरस खेंची यज्ञ करनार यक्ष्मन् पुं ४६३ क्षयरोग
यत् अ. १५३७ हेतु, कारण के. यजत पुं १०५ (शे. १२) चन्द्रमा यत न. १२३१ हाथीने चलाववामां महावतना यजमान पुं ८१७ यज्ञमां व्रतवाळो यजमान | पगनी संज्ञा यजुर्विद् पुं ८१९ यजुर्वेद जाणनार, ऋत्विज | यतस् अ. १५३७ हेतु, कारणके, जेथी (यजुर्वेद) पुं २४९ त्रण वेद पैकी । यति पुं ७५ साधु, मुनि । बीजो वेद
यति पुं ८०९ भिक्षु, संन्यास आश्रम यजुष् न. २४९ त्रण वेद पैकी बीजो वेद | यतिन् पुं ७६ साधु, मुनि . यज्ञ पुं ८२० यज्ञ
यत्रकामावसायित्व न. . २०२ विषने यज्ञकाल पुं (द्वि.व.) १४८ पूनम-अमास बन्ने | अमृतरूपे परिणमाववानी शक्ति, आठ यज्ञकीलक पुं ८२४ पशुनी हिंसा माटे । सिद्धि पैकी सातमी सिद्धि
यज्ञस्तंभ . यथा अ. १५४२ (शे. २०४) जेम, जेवी रीते यज्ञघर पुं २१९ (शे. ६८) विष्णु, नारायण, यथाकामिन् पुं. ३५५ स्वतंत्र, स्वच्छंदी कृष्ण
यथाजात पुं ३५२ मूर्ख, जड यज्ञनेमि पुं २१९ (शे. ७५) विष्णु, | यथातथ न. २६४ सत्य, साचु
नारायण, कृष्ण | यथार्हवर्ण पुं ७३३ चर पुरुष, गुप्त पुरुष यज्ञपुरुष पुं २१४ विष्णु, नारायण, कृष्ण यथास्थित न. २६५ सत्य, साचुं यज्ञराज् १०५ (शे. १२) चन्द्रमा यथेप्सित न. १५०५ इच्छा प्रमाणे यज्ञवह १८२ (शे. ३६) स्वर्गना वैद्य यथोद्गत पुं ३५३ (शि. २३) मूर्ख यज्ञशेष पुं ८३४ यज्ञ करतां वधेलुं द्रव्य | यदा अ. १५४२ (शे. २०४) ज्यारे . यज्ञसूत्र न. ८४५ जनोई
यदि अ. १५४२ जो 'यज्ञाङ्ग' पुं ११३२ उंबरानुं झाड यदुनाथ पुं २१९ विष्णु, नारायण, यज्ञान्त पुं ८३४ यज्ञान्ते स्नान करवू ते,
यज्ञनुं अंतिम कृत्य । यदृच्छा स्त्री ३५६ स्वेच्छा
. कृष्ण