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'शब्दमाला
शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ
मूत्रपुट न. ६०६ मूत्राशय मूत्राशय पुं ६०६ मूत्राशय मूत्रित न. १४९५ मूतरेलुं मूर्ख पुं ३५२ जड, अज्ञानी मूर्च्छ स्त्री ८०१ बेभान दशा
(मूर्च्छा) स्त्री ३०७ आठ सात्त्विक भाव पैकी आठमो भाव
मूलक पुं न. ११९० मूळो मूलक पुं ११९८ विष
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शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ मूलकर्मन् न. १४९८ कामण, औषधि,
जडीबुट्टी वगेरेथी वशीकरण करवुं ते मूलज (ब.व.) पुं १२०० मूलकंदमांथी उत्पन्न थनार
मूलद्रव्य न. ८६९ मूलधन
मूलधातु पुं ६२० रस धातु मूल्य न. ३६२ पगार
मूल्य न. ८६८ मूल्य, कींमत मूषक पुं १३०० उंदर
मूषा (स्त्री) ९०८ धातु गाळवानी कूलडी, मूषा मूषातुत्थ न. १०५२ मोरथुथु, नील अंजन मूषिक पुं १३०० उंदर
( मूषिकरथ ) पुं २०७ गणेश, विनायक मूषित न. १४८३ चोरायेलुं मृग पुं ४८ श्री शांतिनाथ भगवाननुं लांछन हरण
मूर्च्छाल पुं ४६१ बेभान थयेलो मूर्छित पुं ४६१ बेभान थयेलो मूर्त पुं ४६१ बेभान थयेलो मूर्त न. १४४९ रूपी, आकारवाळु 'मूर्त' न. १३८७ कठोर स्पर्श मूर्ति पुं ५६३ शरीर, आकृति मूर्तिमत् पुं ५६३ शरीर, आकृति मूर्तिमत् न. १४४९ रूपी, आकारवाळु 'मूर्तिमत्' न. १३८७ कठोर स्पर्श मूर्धन् पुं ५६६ मस्तक मूर्धवेष्टन न. ६६७ पाघडी, फेंटो मूर्धाभिषिक्त पुं ६९० राजा मूर्धावसिक्त पुं ८९५ ब्राह्मण पुरुष अने
क्षत्रिय स्त्रीथी उत्पन्न थयेल होय ते मूर्धावसिक पुं ६९० (शि. ५९ ) राजा मूल पुं न. ११३ मूल नक्षत्र
मूल पुं नं. ११२१ वृक्षनुं मूळ
मूल न. ११८३ मूला, बिस वगेरेनुं मूळ 'मृगदृष्टि' पुं १२८५ सिंह
'मृगद्विष्' पुं १२८५ सिंह मृगधूर्तक पुं १२९० शियाळ
मृग पुं १०९ मृगशिर नक्षत्र मृग पुं १२१८ हाथीनी एक जाति मृग पुं १२९३ हरण
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( मृगकुल) न. १४१३ मृगनो समुदाय मृगजालिका स्त्री ९२८ हरणने पकडवानी जाळ मृगतृष्णा स्त्री १०१ झांझवाना जळ मृगदंश पुं १२८० कूतरो