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- अभिधानचिन्तामणिनाममाला . २५६ शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ | शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ माल्य न. ६५१ पुष्प वगेरेनी माला मित्रयु : ४८९ मित्र उपर प्रेम राखनार माल्यवत् पुं १०२९ माल्यवान् पर्वत मित्रवत्सल पुं ४८९ मित्र उपर प्रेम राखनार मांध न. पुं ११७१ अडद
मिथःसाकाङ्क्षता स्त्री ६७ परस्पर पद माषक पुं न. ८८३ पांच रति प्रमाण, मासो | वाक्यनी अपेक्षा राखनारी प्रभुनी वाणीनो माषाशिन् पुं १२३३ (शे. १७९) घोडो | १०मो गुण माषीण न. ९६७ अडदनुं खेतर | मिथस् अ. १५३५ परस्पर . माष्य न. ९६७ अडदनुं खेतर . | मिथिला स्त्री ९७५ मिथिला नगरी मास् पुं १०५ (शे. ११) चन्द्रमा. | मिथुन न. ५३८ स्त्री-पुरुषनुं जोडलं मास न. पुं १५२ महिनो
(मिथुन) न. ११६ बार राशि पैकी मासमल पुं १५९ (शे. २६) वरस
- त्रीजी राशि मासर पुं ३९६ चोखानो मंड, ओसामण | मिथ्या अ. १५३४ असत्य मासुरी स्त्री ५८३ दाढी, मूछ (मिथ्या) अ. २६५ असत्य वचन मास्म अ. १५३९ निषेध, नहि मिथ्यात्व न. ७३ तीर्थंकरमा न होय ते १८ माहा स्त्री १२६५ गाय
दोष पैकी १६मो दोष माहाराजिक पुं ८९ (शे. ७) गणदेवता| मिथ्याभियोग पुं २६८ असत्य आक्षेप माहिष्य पुं ८९६ क्षत्रिय पुरुष अने वैश्य | मिथ्यामति पुं १३७४ भ्रम, विपरीत ज्ञान
स्त्रीथी उत्पन्न थयेल मिश्र पुं १२१८ हाथीनी एक जात माहेन्द्रज पुं ९३ चोथा वैमानिक | मिश्र १४६९ पुं मिश्रित, भेगुं
देवलोकना देव मिष न. ३७८ छळ, कपट (माहेय) पुं ११७ मंगल ग्रह मिहिका स्त्री १०७२ हिम, झाकळ माहेयी स्त्री १२६५ गाय
मिहिर पुं ९७ सूर्य (माहेश्वरी ) स्त्री २०१ शंकरनी माता, शक्ति | मिहिर पुं १७४ (शे. ३३) इन्द्र मितद्रु पुं १०७३ समुद्र
| मिहिराण पुं २०० (शे. ४२) शंकर मितम्पच पुं ३६७ कृपण, कंजुस मीढ न. १४९५ पेशाब करेलु मित्र पुं ९६ सूर्य
मीन पुं २२९.कामनुं चिह्न मित्र न. ७३० मित्र, भाईबंध, दोस्तार । | मीन पुं १३४३ मच्छ, माछलुं मित्र पुं ७३२ मित्र राजा
I (मीन) पुं ११६ बार राशि पैकी बारमी राशि