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शब्दमाला . २१५ . शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ प्रतियत्न पुं६५३ (शे. १३४) रचना, गूंथण, | (प्रतिसूर्यशयानक) पुं १२९९ काचींडो, पुष्पहारनी रचना
करचलो, काकीडो प्रतियातना स्त्री १४६३ प्रतिबिंब, प्रतिमा | प्रतिहत पुं ४३९ निराश, नाउमेद थयेलो प्रतिरूप न. १४६४ प्रतिबिंब, प्रतिमा 'प्रतिहास' पुं ११३७ कणेर । प्रतिरोधक पुं३८१ चोर
| प्रतीक पुं ५६६ शरीरना अवयव प्रतिलम्भ पुं १५२० प्राप्ति, लाभ, पुनःप्राप्ति | 'प्रतीकाश' वि. १४६२ तुल्य, समान. प्रतिलोभ न. १४६५ प्रतिकूल, विपरीत | प्रतीक्ष्य पुं ४४६ पूज्य प्रतिक्वस् न. २६३ उत्तर, जवाब | प्रतीची स्त्री १६७ पश्चिम दिशा प्रतिवसथ पुं ९६१ गाम
प्रतीचीन न. १६८ पश्चिम दिशामां उत्पन्न प्रतिशासन न. २७७ सेवकादिने बोलावी | . थयेल
आज्ञा करवी ते प्रतीचीश पुं १८८ (शे. ३९) वरुण देवता प्रतिशिष्ट न. १४९२ मोकलेलं प्रतीत पुं १४९३ विख्यात, प्रसिद्ध प्रतिश्याय पुं ४६८ सळेखम, नाकनो रोग | प्रतीप न. १४६५ विपरीत, प्रतिकूळ प्रतिश्रय पुं १००० हमेशनी दानशाला (प्रतीपदर्शिनी) स्त्री ५०७ विशिष्ट अंग प्रतिश्रव पुं २७८ अंगीकार, स्वीकार .
अने क्रियावाळी स्त्री प्रतिश्रुत स्त्री १४१० पडघो
प्रतीर न. १०७८ तीर, कांठो, किनारो प्रतिश्रुत न. १४८९ स्वीकारेलु | प्रतीहार पुं ७२१ द्वारपाळ प्रतिष्टम्भ पुं १४९८ रोकाण, अटकाव | प्रतीहार पुं.१००४ द्वार, बार| प्रतिष्ठ पुं ३६ श्री सुपार्श्वनाथ भगवानना | 'प्रतीहास' पुं ११३७ कणेर पिता ... .
| प्रतोद पुं ८९३ बळद वगेरे हांकवानो प्रतिसर त्रि. ६६३ हाथे बांधवानुं घरेणुं,
___परोणो, चाबुक - पोंची, वलय वि. . प्रतोली स्त्री ९८१ शेरी . . प्रतिसर्ग पुं २५२ प्रतिसर्ग (पुराण- एक | प्रत्न न. १४४९ जूनुं, पुरातन लक्षण).
प्रत्यक् अ. १५४२ (शे. २०७) पश्चिम प्रतिसीरा स्त्री ६८० पडदो, कनात
दिशा, देश अथवा काळ प्रतिसूर्य पुं १२९९ काचींडो, करचलो, | प्रत्यग्र न. १४४८ नवं
. काकीडो . । प्रत्यग्रंथ पुं ९६० (ब.व.) अहिच्छत्र देश