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. अभिधानचिन्तामणिनाममाला . २१४
शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ प्रतिकूल न. १४६५ प्रतिकूळ, विपरीत प्रतिज्ञा २७८ स्वीकार, अंगीकार प्रतिकृति स्त्री १४६४ प्रतिबिंब, प्रतिमा प्रतिज्ञात न. १४८८ स्वीकारेलु प्रतिकष्ट वि. १४४२ अधम, हलकुं प्रतिताली स्त्री १००६ ताळू उघाडवानुं यंत्र, प्रतिक्षिप्त पुं ४४० तिरस्कार पामेलो
कुंची प्रतिक्षिप्त न. १४७४ निषेध करायेलुं . | प्रतिदान न. ८७० थापण पछी आपवी ते प्रतिग्रह पुं ७४७ सैन्यनी पाछळनो भाग | प्रतिध्वनि पुं १४१० पडघो प्रतिग्रह पुं६८४ (शि. ५७) धुंकवानुं पात्र, | प्रतिनत पुं ५४४ पौत्रनो पुत्र
पिकदानी प्रतिनादविधायिता स्त्री ६५ पडघा पडे तेवी प्रतिग्राह पुं६८४ धुंकवानु पात्र, पिकदानी | प्रभुनी वाणीनो पांचमो गुण प्रतिष पुं २९९ क्रोध, रौद्ररसनो स्थायी भाव | प्रतिनिधि पुं १४६३ प्रतिबिंब, प्रतिमा प्रतिलोम न. १४६५ विपरीत, प्रतिकूळ | | प्रतिपक्ष पुं ७२८ शत्रु प्रतिवचस् न. २६३ उत्तर, जवाब प्रतिपद् स्त्री १४७ पडवो प्रतिवसथ पुं ९६१ गाम
प्रतिपद् स्त्री ३०९ मति, बुद्धि प्रतिशासन न. २७७ आज्ञा करवी ते, । | प्रतिपन्न न. १४९६ जाणेलं
बोलावीने मोकलq ते | | प्रतिपादन न. ३८६ दान, त्याग प्रतिशिष्ट न. १४९२ मोकलेलं प्रतिबद्ध पुं ४३९ निराश, नाउमेद थयेलो प्रतिश्याय पुं ४६८ नाकनो रोग, सळेखम | प्रतिबन्ध पु १४९८ रोकाण, अटकाव प्रतिभ्रय पुं १००० हमेशनी दानशाळा प्रतिबिम्ब न. .१४६४ प्रतिबिंब, प्रतिमा प्रतिभव पुं २७८ स्वीकार, अंगीकार प्रतिभय त्रि. ३०२ भयानक प्रतिभुत् स्त्री १४१० पडघो | प्रतिभा स्त्री ३०९ मति, बुद्धि प्रतिघातन न. ३७० हिंसा
प्रतिभान्वित पुं ३४३ प्रौढ, प्रतिभाशाळी प्रतिचर पुं ३६१ (शि. २४) चाकर प्रतिभू पुं ८८२ प्रतिनिधि, जामीन प्रतिच्छन्द पुं १४६४ प्रतिबिंब, प्रतिमा प्रतिम पुं १४६२ तुल्य, सरखें प्रतिच्छाया स्त्री १४६४ प्रतिबिंब, प्रतिमा | प्रतिमा स्त्री १४६३ प्रतिबिंब, पडछायो प्रतिजङ्घा ली ६१५ जंघानो अग्रभाग | प्रतिमान- न. १२२७ बे दांत वच्चेनो लाग प्रतिजागर पुं १५१८ अवधान, देखरेख, | प्रतिमान न. १४६४ प्रतिबिंब, प्रतिमा
तपास
| प्रतिमुक्त पुं ७६५ कंचुक धारण करलो