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. शब्दमाला . २०९
शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ पूषन् पुं. ९५ सूर्य .
पृश्नि पुं स्त्री ९९ किरण पूषासुहृद् पुं २०० शंकर
पृश्नि पुं ४५३ नाना शरीरवाळो पृक्थ न. १९२ धन
पृश्निगर्भ पुं २०७ (शे. ६२) गणेश, पृच्छा स्त्री २६३ प्रश्न
विनायक पृतना स्त्री ७४५ सेना, लश्कर पृश्निगर्भ पुं २१९ (शे. ६७) विष्णु, पृतना स्त्री ७४८ वाहिनीथी त्रण गणी सेना
नारायण पृतनाषाह पुं १७४ इन्द्र
पृश्निशृङ्ग पुं २१७ विष्णु, नारायण पृथक् अ. १५२७ विना, सिवाय पृश्निशृङ्ग पुं २०७ (शे. ६२) गणेश, पृथगात्मता स्त्री ७९ विवेक, जड अने
विनायक चेतन, भेद-ज्ञान | पृषत् न. १०८९ जळबिंदु पृथगात्मिका स्त्री १५१५ भिन्न भिन्न स्वरूप | पृषत पुं १०८९ जळबिंदु पृथग्जन पुं ९३२ पामर, नीच, असंस्कारी | पृषत् पुं १२९४ हरणनो एक प्रकार पृथग्रूपत्रि. १४६९ (शि. १३१) घणा प्रकारचें | पृषत्क पुं ७७८ बाण पृथग्विघ त्रि. १४६९ घणां प्रकार- पृषदश्व पुं ११०७ पवन, वायु पृथिवी स्त्री ९३५ पृथ्वी
पृषदाज्य न. ८३२ दहींथी मिश्रित घी पृथिवीशक्र पुं ६८९ राजा
पृषातक पुं ८३२ दहींथी मिश्रित घी पृथु पुं ७०० पृथुराजा ।
पृष्ठ न. ६०१ पीठ, वांसो पृथु न. १४३० विशाळ, मोटुं | पृष्ठ पुं ११०० (शे. १७०) अग्नि पृथु पुं ११०० (शे. १६९) अग्नि पृष्ठग्रन्थि पुं ४६६ खुंध, पीठमां थयेली गांठ पृथुक पुं ३३८ बाळक
| पृष्ठमांसादन न. २६८ परोक्षमा कोइना पृथुक पुं ४०१ पौआ.
दोषो कहेवा ते पृथुरोमन् पुं १३४३ माछखें, मच्छ | पृष्ठवंश पुं ६०१ पीठ- हाडकुं, पांसळी पृथुल न. १४३० विशाळ, मोटुं | पृष्ठवाह्य पुं १२६३ पीठ उपर भार उपाडनार पृथ्वी स्त्री ३९७मा सुविधिनाथ भगवाननी माता
बळद पृथ्वी स्त्री ९३५ -पृथ्वी, भूमि | पृष्ठशङ्ग पुं १२७८ जंगली बकरो . पृदाकु पुं १३०३ साप, नाग
पृष्ठ्य पुं १२६३ पीठ उपर भार उपाडनार पृदाकु पुं.११०० (शे. १७०) अग्नि ।
बळद