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पुडलो
' शब्दमाला • १९९ . शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ |शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ पारश्चधिक पुं ७७०. कुहाडीवाळो पारियात्रिक पुं १०३१ कुलाचल पर्वत पारसीक पुं १२३५ पारस-इरान देशनो घोडो | पारियानिक पुं ७५२ मुसाफरीनो रथ पारौणेय पुं ५४७ परस्त्रीनो पुत्र पारिरक्षक पुं ८१० संन्यास आश्रम पारापत पुं १३३९ कबूतर
पारिशोल पुं ३९८ (शे. ९६) मालपूडा, पारायण न. ८३९ ग्रंथनी आदिथी अन्त
_ सुधी आवृत्ति करवी ते (पारिषद) पुं २०१ शंकरनो गण पारावत पुं १३३९ (शि. १२१) कबूतर | पारिषद्य पुं ४८० (शि. १५) सभाजन पारावार पुं १०७३ समुद्र
पारिहार्य पुं ६६३ कडु, वलय, बंगडी पाराशरिन् पुं ८१० संन्यास आश्रम पारी स्त्री १०२४ घ्यालो पाराशर्य पुं.८४७ व्यास ऋषि पारीन्द्र पुं १३०५ अजगर पारिकर्मिक पुं ७२६ (शे. १४२) नाना | पारीन्द्र पुं १२८५ (शि. ११४) सिंह
उपकरणोनो अधिकारी | पार्थ पुं ७०८ अर्जुन पारिकाङ्क्षिन् पुं ८१० संन्यास आश्रम | पार्थिव पुं ६९० राजा पारिजात १७९ इन्द्रनुं वृक्ष, (कल्पवृक्ष) (पार्वतिक) न. १४१८ पर्वतोनो समूह 'पारिजातक' पुं ११४१ कल्पवृक्ष, .. | पार्वती स्त्री. २०३ पार्वती.
मीठो लीमडो, | पार्वती स्त्री १०५५ फटकडी, सौराष्ट्र देशनी पारितथ्या स्त्री ६५५ माथे सेंथा उपर . ।
माटी : राखवानुं घरेणुं | (पार्वतीनन्दन) पुं २०८ कार्तिकेय पारिन्द्र पुं १२८४ सिंह . पार्श्व पुं २८ २३मां तीर्थंकर पार्श्वनाथ पारिपन्थिक पुं ३८१ चोर
भगवान पारिपार्थिक पुं ३३० पडखे रहेनार पार्श्व पुं ४३ श्री पार्श्वनाथ भ.ना शासनदेव पारिप्लव न. १४५५ चल, अस्थिर, अनित्य | पार्श्व पुं न. ५८९ कांखनी नीचेनो भाग, (पारिभद्र) न. १२०० अग्रबीज वनस्पति
पडद्म पारिभद्रक पुं ११४१ कल्पवृक्ष, मीठो पार्श्व न. १४२० कुहाडीनो समूह
लींबडो . पार्श्व न. १४५० निकट, पासे पारिमित पुं ४७५ (शेः १०७) सत्कारपूर्वक | पार्श्वक पुं ४७५ लांच लेनार, अलंकृत कन्या आपनार |
दलाली करनार