________________
शब्दमाला . १७९
शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ निर्मन्थदारु न. ८२५ अरणिकाष्ठ जेने (निर्वापण) न. ३८७ दान
घसवाथी अग्नि उत्पन्न थाय ते | निर्वासन न ३७१ हिंसा निर्मम पुं ५५ आवती चोवीशीना १५मा | निर्विष पुं १३१२ झेर विनाना अजगर तीर्थ कर
| निर्वीरा स्त्री ५३० पुत्र विनानी विधवा स्त्री निर्मुक्त पुं १३१२ ऊतरेली कांचळी वाळो साप | निवृति स्त्री ७४ मोक्ष निर्मोक पुं १३१५ सापनी कांचळी निर्वृति स्त्री १३७० सुख निर्याण न. ७५ मोक्ष
निर्वृत्त न. १४८७ सिद्ध थयेनु निर्याण न. १२२५ हाथीनी आंखनो खूणो | निर्वेद पुं ३२१ पश्चात्ताप, वैराग्य निर्यातन न. ३७१ हिंसा
निर्वेश पुं ३६२ पगार, मूल्य, मजूरी निर्याम पुं८७६ वहाण चलाववाने शक्तिमान | निवेश पुं ६३८ स्त्री वगेरेनो उपभोग निर्लक्षण पुं ४३७ निर्गुणी
नियंथन न. १३६३ छिद्र, बिल मिलयनी स्त्री १३१५ (शि. ११६) सापनी | निहारिन् पुं १३९० सुगन्ध
__कांचळी | निहदि पुं १३९९ शब्द, ध्वनि नियनी स्त्री १३१५ सांपनी कांचळी. निलय पुं ९९० घर निर्वपण न. ३८७ दान ।
| निलिम्प पुं ८९ (शे. ४) देव निवर्णन न. ५७७ जोवू ते
| निलिम्पिका पुं १२६६ गाय निर्वहण न. १५१४ समाप्ति. निवसथ पुं ९६१ गाम निर्वाण न. ७४ मोक्ष .
| निवसन नं. ६७३ नीचे पहेरवानुं वस्त्र निर्वाण त्रि. १४९४ मुक्त थर्बु, शान्त थर्बु | निवसन न. ६६७ (शे. १३७) वस्त्र
... (अग्न आदि) | निवह पुं १४१२ समूह, समुदाय निर्वाणिन् पुं ५० गइ चोवीशीना निवाप पुं ३७५ तर्पण, पितृओ माटे आपेखें बीजा तीर्थंकर
- जलादि दान निर्वाणी स्त्री ४५ १६मा तीर्थकरना . | निवास पुं ९९१ घर
शासन देवी | निवीत न. ८४५ कंठमां पहेरेली जनोई निर्वात पुं. १४९४ पवन विनानो . . निवृत न. १४७४ घेरायेखें निर्वाद पुं २७१ निंदा
| निवृत्ति स्त्री १५२२ निवृत्ति, अटकवं ते निर्वापण न. ३७१ हिंसा
| निवेश पुं १४९९ रचना