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शब्दमाला . १७५
2014
शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ · शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ नासत्य पुं १८२ स्वर्गना बे वैद्य (आ शब्द | निःसरण न. ९८२ घरमा पेसवा नीकलवानुं द्विवचनमा ज वपराय छे)।
प्रथम द्वार नासत्यदत्र पुं १८२ (शे.३६) स्वर्गना बे | निःश्राव पुं ३९६ ओसामण, चोखानो मांड वैद्य (आ शब्द द्विवचनमा ज वपराय छे) | निःस्व पुं ३५८ निर्धन नासा स्त्री ५८० नासिका, नाक निःस्वन पुं १३९९ शब्द, ध्वनि नासा स्त्री १००८ बारशाखनी उपरनो भाग, निःस्वान पुं. १३९९ शब्द, ध्वनि ओतरंग .
निकट न. पुं १४५० समीप, पासे नासिका स्त्री ५८० नाक
निकर पुं १४११ समूह, समुदाय नासिक्य पुं १८२ स्वर्गना बे वैद्य (आ शब्द | निकष पुं ९०९ कसोटीनो पथ्थर
द्विवचनमां ज वपराय छे) निकषा (अ.) १५३४ समीप, पासे नासिक्य न. ५८१ (शे. १२१) नाक |निकसात्मज पुं १८७ राक्षस नासीर न. स्त्री ८०० मोखरा, लश्कर, निकामन. १५०५ इच्छा प्रमाणे, तृप्ति थतां सुधी
युद्धमा आगळ रहे ते | निकाय पुं १४१३ समान आचार नास्तिक पुं ४९० नास्तिक, परलोक
वाळानो समुदाय . आदिने न माननार निकाय्य पुं ९९० घर नास्तिक पुं ८६२ चार्वाक
निकार पुं ४४२ पराभव, तिरस्कार नाहल पुं ९३४ म्लेच्छजाति विशेष . . | निकुञ्ज पुं १११५ लतागृह, वेला वि. निःशलाक न. ७४२ एकांत
थी ढंकायेलुं स्थान निःशेष त्रि. १४३३ (शि. १२८) समस्त, | निकुरम्ब न. १४१२ समूह, समुदाय
. . बधुं | निकृत पुं ३७६ शठ, मायावी निःशोध्य न. १४३६ साफ करेलु, निकृत पुं ४४१ झांखो पडेलो
.. फोंतरा विनानुं शुद्ध करेलुं निकृति स्त्री ३७७ माया, लुच्चाई निःश्रेणि स्त्री १०१३ दादर, नीसरणी | निकृष्ट न. १४४२ अधम 'निःश्रेणी' स्त्री १०१३ निसरणी . निकेतन न. ९८९.घर निःश्रेयस न. ७४ मोक्ष . निवंग पुं १४०० शब्द, ध्वनि निःश्वास पुं १३६८ निःश्वास, बहारनो वास | निक्वाण पुं १४०० शब्द, ध्वनि निःसम्पात पुं १४५ (शि. ११) अर्धरात । निक्षेप पुं ८७० थापण