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________________ अभिधानचिन्तामणिनाममाला . १६६. . शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ धात पुं २१२ ब्रह्मा धारा स्त्री १०८७ प्रवाह 'धातृपुष्पिका' स्त्री ११५० धावडी धारा स्त्री १२४६ घोडानी पांच गतिओ धात्री स्त्री ५५८ धावमाता धारा स्त्री ५७४ (शे. १२०) काननो प्रान्त भाग धात्री स्त्री ९३५ पृथ्वी (धाराकदम्ब) पुं ११३८ कदंब वृक्ष धात्री स्त्री ११४५ आमळा धाराङ्ग पुं.७८२ (शे. १४६) तलवार धाना स्त्री ४०१ भुजेला जव, धाणी . | | धाराधर पुं ७८२ (शे. १४६) तलवार धानाचूर्ण न ४०१ धाणीनुं चूर्ण धाराधर पुं १६४ मेघ, वादळ . धानुष्क पुं ७७१ धनुर्धारी । धारासम्पात पुं १६५ (शे. २९) वेगवाळो धान्य न ११६८ अनाज . वरसाद धान्य न १९८३ मसळेलुं अनाज धारिका स्त्री १३७ घडी, छ क्षण प्रमाण धान्याक न ४१९ धाणा, कोथमीर धारिणी स्त्री ४५ १८मा श्री अमरनाथ वि. धान्यकणादान न ८६५ धान्यना दाणा. नी शासन देवता ___ एकठा करवा ते धार्तराष्ट्र पुं १३२६ हंस, धोळा शरीर तेमज धान्याक न ४१९ धाणा, कोथमीर काळा पग अने चांचवाळो हंस धान्याम्ल न ४१५ कांजी, राब धार्मपत्तन न. ४२० काळां मरी धाम न ९९२ (शि. ८६) घर धार्मिक पुं ७२४ धर्म रक्षामां निमायेल धामन् न ९९२ घर धावक पुं ९१४ (शि. ८०) धोबी धामन् न ९९ किरण घिकृत पुं ४४० धिक्कारायेलो घाय्या स्त्री ८२७ यज्ञना अग्निमां लाकडा | धिक्रिया स्त्री २७१ निंदा . नाखती वखते बोलाती ऋचा धियाङ्ग पुं न ७६७ (शि. ६६) केडे धार पुं २१९ (शे. ७१) विष्णु, नारायण बांधवानो कमरपटो धारण न ३१० भूलाय नहि तेम धारण करवू | धिषण पुं ११८ गुरु, बृहस्पति ते (बुद्धिना ८ गुणो पैकी ४थो गुण) | धिषणा स्त्रा ३०८ बुद्धि, मति धारणा स्त्री ८४ ध्येयमां चित्तने स्थिर |धिष्ण्य न. १०८ नक्षत्र, तारा करवू ते (अष्टांग योग पैकी ६ळू अंग) | धिष्ण्य पुं १२० शुक्राचार्य धारणा स्त्री ७४४ मर्यादा धिष्ण्य न९९१ घर धारा स्त्री ७५५ पैडानो गोळ फरतो भाग | धी स्त्री ३०८ बुद्धि
SR No.016120
Book TitleShabdamala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuktichandravijay, Munichandravijay
PublisherShantijin Aradhak Mandal
Publication Year2000
Total Pages474
LanguageGujarati
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size9 MB
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