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. शब्दमाला • १६५ . शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ- शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ धरणीधर पुं २१७ विष्णु
धर्मसंहिता स्त्री २५१ स्मृति, धर्मशास्त्र धरणीप्लव पुं १०७४ (शे. १६७) समुद्र धर्मात्मन् पुं ७१३ कुमारपाळ राजा (धरणीसुत) पुं ११७ मंगळग्रह धर्माधिकरणिन् पुं७२५ धर्मरक्षामां निमायेल धरणीसुता स्त्री ७०३ सीता
धर्माध्यक्ष पुं ७२४ धर्मरक्षामां निमायेल धरा स्त्री ९३५ पृथ्वी
धर्मार्थप्रतिबद्धता स्त्री ६९ धर्म अने अर्थना धरित्री स्त्री ९३५ पृथ्वी
___ संबंधवाळी प्रभुनी वाणीनो २४मो गुण धर्म पुं २८-१५मा श्री धर्मनाथ भगवान | धर्मीपुत्र पुं ३२८ नट धर्म पुं न १३७६ स्वरूप, स्वभाव धर्मोपदेशक पुं ७७ गुरु, धर्म पुं १३७९ धर्म, पुण्य, सुकृत
धर्मनो उपदेश आपनार धर्मक्षेत्र न ९५० कुरुक्षेत्रनो १२ धर्षणी स्त्री ५२९ (शे. ११२) कुलटा, ___ योजनसुधीनो भाग
असती स्त्री धर्मचक्रन६१ आकाशमांचक्रचाले तेअरिहंतनो | धव पुं ५१७ पति १६मो अतिशय (देवकृत १ लो अतिशय) धवल पुं १३९३ सफेद वर्ण धर्मचिन्तन न १३८१ धर्मनो विचार (धवला) स्त्री १२६६ धोळी गाय धर्मधातु पुं २३२. सुगत, बुद्ध धवित्र न ६८७ मृगचर्मनो बनावेलो पंखो धर्मध्वजिन् पुं ८५६ पाखंडी
धाटि स्त्री ८०० धाड पाडवी, कूडकपटथी धर्मनाभ पुं २१९ (शे. ७३) विष्णु, कृष्ण . छापो मारवो ते धर्मनेमि पुं २१९ (शे. ६८) विष्णु, कृष्ण | (घाटी) स्त्री ८०० धाड पाडवी, कूडकपटथी धर्मपाल पुं ७८२ (शे. १४५) तलवार . . छापो मारवो ते धर्मपुत्र पुं ७०७ युधिष्ठिर
धातकी स्त्री ११५० धावडी (वनस्पति विशेष) धर्मप्रचार पुं ७८२ (शे. १४६) तलवार धातु (ब.व.) पुं ६१९ धातु-रस वगेरे . धर्मराज पुं १८४ यमराजा
शरीरनी ७ धातु धर्मराज पुं २३५ बुद्ध, सुगत धातु पुं १०३६ गेरु धर्मवाहन पुं २०० (शे. ४५) शंकर । धातुकासीस न १०५६ राती हीराकसी धर्मशास्त्र न २५१ स्मृति, धर्मशास्त्र धातुज न ४१६ कांजी, राब धर्मशास्त्र न २५३ १४ विद्या पैकी धातुपुष्पिका स्त्री ११५० धावडी
१३मी विद्या धातुशेखर न १०५६ राती हीराकसी