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. शब्दमाला . १६१. शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ | शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ छूतकृत् पुं ४८५ लुच्चो
द्रुण न ७७५ धनुष्य यो स्त्री ८७ स्वर्ग
द्रुण पुं १२११ वींछी छो स्त्री १६३ आकाश
द्रुणा स्त्री ७७६ धनुष्यनी दोरी योत पुं १०० (शि. ८) सूर्यादिना किरणो द्रुत न २९२ शीघ्र गतिवाळु संगीत (घोत) पुं १०१ प्रकाश
द्रुत न वाच्य १४७० शीघ्र, जल्दी घोतन न ५७७ जोवू ते
द्रुत पुं १४८७ पीगळी गयेलो
द्रुत पुं १२११ (शि. १०९) वींछी कट पुं २९४ (शे. ८६) शयन अने द्रुम पुं १११४ वृक्ष
जगाडवा माटेनी नोबत | दुमानति स्त्री ६२ वृक्षो अत्यंत नमी जाय द्रगड पुं २९४ (शे. ८६) शयन अने। | . ते तीर्थकरनो २६ मो अतिशय
__जगाडवा माटेनी नोबत | द्रुमामय पुं ६८५ लाख द्रङ्ग पुं ९७१ नगर
द्रुमोत्पल पुं ११४५ पीळी कणेर, करेण द्रप्स न ४०६ छास, पातळु दही दुवय न ८८३ एक प्रकारचें माप द्रप्स्य न ४०६ (शि. २९) छास, पातळु दहीं | द्रुह पुं. १० आ शब्द लगाडवाथी द्रव पुं ५५५ क्रीडा, रमत.
वधक वाचक शब्द बने छे. द्रव पुं८०२ पलायन, नासी जq द्रुहिण पुं.२११ ब्रह्मा द्रविण न १९२ धन
द्रोण पुं. न. ८८६ चार आढकनुं मान, एक माप द्रविण न ७९६ .(शि. ७०) पराक्रम द्रोण पुं १३२३ (शि. ११८) हिंसक कागडो द्रव्य न १९२ धन
'द्रोण' पुं १२११ वींछी द्रह पुं १०९१ ऊंडो द्रह . . द्रोणकाक पुं १३२३ हिंसक कागडो द्राक् अ १५३० जल्दी
'द्रोणक्षीरा' स्त्री १२६९ ३२ शेर प्रमाण दूध द्राक्षा स्त्री ११५५ द्राक्ष, दराख
__ आपनारी गाय द्राढिका स्त्री ५८३ (शि. ४६) दाढी द्रोणदुग्धा स्त्री १२६९ ३२ शेर प्रमाण दूध द्रामिल पुं ८५४ वात्स्यायन मुनि ।
आपनार गाय द्रु पु १११४ वृक्ष ।
द्रोणदुधा स्त्री १२३९ ३२ शेर प्रमाण दूध द्रुघण पुं २११ ब्रह्मा.
आपनारी गाय द्रुघण पुं ७८५ मगदळ, घण, मोगरी । 'द्रोणमुख' न ९७२ ४०० परगणामां सुंदर नगर