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अभिधानचिन्तामणिनाममाला . १५८
शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ दृढमुष्टि पुं ३६८ कंजुस
| देवखात न १०९४ कुदरती कुंड. दृढरथ पुं ३७ १०मा शीतलनाथजी | (देवगणिका) स्त्री १८३ उर्वशी आदि . भगवानना पिता -
अप्सराओ दृढसन्धि पुं १४७२ मजबूत बांधो, देवगायन पुं १८३ गन्धर्व, देवोना गवैया दृढ संघयण
| ( देवगुरु) पुं ११८. बृहस्पति दृति पुं १०२५ मशक
देवच्छन्द पुं ६५८ सो सेरनो हार दृश् स्त्री ५७५ आंख, नेत्र । देवजग्ध न ११९१ रोहिष घास, रोहिडो, दृशान पुं ९८ (शे. ९) सूर्य
एक जात, सुगंधी घास दृषद् स्त्री १०३५ पत्थर
देवता स्त्री (ब.व). ८८ देव । दृषद्वती स्त्री २०५ (श. ५१) पार्वती | देवताप्रणिधान न ८२. पांच पैकी दृष्ट न ३०२ स्वदेश अने परदेशथी थतो भय
पांचमो नियम दृष्टरजस् स्त्री ५११ युवान स्त्री, देवत्व न ८४१ देवपणुं
ऋतु प्राप्त स्त्री | देवदत्ताप्रज पुं २३७ बुद्धनुं एक नाम दृष्टि स्त्री ३०९ मति, बुद्धि
| देवदीप पुं ५७५ (शे. १२१) इन्द्र दृष्टि स्त्री ५७५ आंख
देवदुन्दुभि पुं १७४ (शे. ३२) इन्द्र दृष्टिपात पुं २४५ (शि. १७) दृष्टिवाद,' | देवध्यञ्च पुं ४४४ देव पूजक
१२मुं अंग | देवधान्य न ११७८ जुवार . दृष्टिवाद पुं २४५ दृष्टिवाद १२ मुं अंग | देवन् पुं ५५३ दीयर, पतिनो नानो भाई देव पुं ८८ देवता
देवन पुं ४८६ जुगार रमवाना पासा देव पुं ३३३ राजा (नाटकमां राजा माटे | देवन न ५५६ क्रीडा, रमत
वपरातो शब्द) | देवनन्दिन् पुं १७६ इन्द्रनो द्वारपाळ देव पुं ३३६ पूज्यवाचक नाम पछी (देवनिकाय) पुं १४१३ देवनो समुदाय
लगाडातो शब्द. जेम के गुरुदेव | देवनैवेद्यबलिभोजन ८५७ देवने धरायेखें देव पुं ७८२ (शे. १४५) तलवार
नैवेद्य अने बॅलि खानार (ब्राह्मण) देवकीसूनु पुं २१८ विष्णु, नारायण, कृष्ण | देवपति पुं १७३ इन्द्र (देवकुरु) पुं ९४६ देवकुरु क्षेत्र देवप्रश्न पुं २६३ प्रश्नफळ जाणवा माटे देवकुसुम न ६४६ लविंग
ज्योतिषीने कहेलुं प्रथम वचन