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अभिधानचिन्तामणिनाममाला . १५०
शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ | शब्द / लिंग / श्लोक./ अर्थ (दण्डकटक) पुं १०२३ रवैया बांधवानो | दधिप्राज्य ८३२ (शि. ७२) दही मिश्रित घी
खीलो, थांभलो वगेरे | दधिफल पुं ११५१ कोतुं दण्डकरोटक न. १०२३ रवैया बांधवानो | दधिवारि पुं १०७५ दधि समुद्र (लौकिक
खीलो, थांभलो वगेरे मते ७ समुद्रमांनो ३ जो समुद्र) दण्डधर पुं १८४ यमराजा
दधिसक्तु पुं. ३९९ करंबो, दण्डनायक पुं ७२५ सेनापति
. दहीं छांटेलो साथवो दण्डपारुष्य न ७३९ आकरो दंड दभिसार न ४०८ माखण दण्डभृत् पुं ९१६ कुंभार
(दभाज्य) न ८३२ दही मिश्रित घी (दण्डासन) ७८० बाणनो एक प्रकार | दध्याह्न पुं६४८ (शे. १३४) गूगळनो घूप दण्डाहत न ४०८ छास
| (दध्युद) पुं १०७५ दधि समुद्र (लौकिक दण्डित पुं ४४६ दंडायेलो
७ समुद्र पैकी ३ जो समुद्र) दण्डिन् पुं ७२१ द्वारपाळ
| दनुज पुं (ब.व.) २३८ दानव (दण्डिपुरुष) पुं १०३ सूर्यनी पासे | ( दनुजधि) पुं ८९ देव
रहेनार देव दन्त पुं ५८४ दांत दत्त पुं ६९६ ७ मो वासुदेव . दन्तक पुं १०११ खींटी, टोल्लो दत्ततीर्थकृत् पुं ५१ गत उत्सर्पिणीना | | दन्तक पुं १०३४ पर्वतमाथी दांत जेवा ८मा तीर्थंकर
नीकळता भागो दद्रुत पुं ११५८ कुंवाडीआ, दन्तभाग पुं १२२८ हाथीनो आगळनो भाग
कुंवाडीआनुं वृक्ष दन्तवस्त्र न ५८१ होठ 'दद्रुण' पुं ४५९ दादरवाळो
दन्तशठ पुं.१३८८ खाटो रस 'दद्रुरोगिन्' पुं ४५९ दादरवाळो 'दन्तशठ' पुं ११४९ लीबु 'दद्र्धन' ११५८ फुवाडीयो
'दन्तशठ' पुं ११५१ को दधि न. ४०६ दहीं
दन्तालय पुं ५७२ (शे. १२०) मुख दधिज पुं ३९६ मठो, दहींनी तर दन्तावल पुं १२१७ हाथी (दधिजल) न. १०७५ ७ समुद्र पैकी | दन्तिन् पुं १२१७ हाथी
पांचमो समुद्र (मतांतरे) | दन्तुर पुं ४५७ बहार नीकळेला दांतवाळो 'दधिस्थ' पुं ११५१ कोठं | दन्दशूक पुं १३०३ सर्प, नाग