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शब्दमाला
शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ 'गवेडु' स्त्री ११७९ बरंटी गवेधु स्त्री १९७९ बरंटी, बंटी | गवेधुका स्त्री ११७९ बरंटी, बंटी गवेश्वर पुं ८८८ (शि. ७८) गायवाळो गाय मालिक
गवेषित न. १४९१ शोधेलुं ( गवोद्ध) पुं १४४१ उत्तम गाय, बळद गव्य न. १२७३ दूध, दहीं वगेरे गव्य न. ४०४ (शे. १०० ) दूध गव्या स्त्री न. ७७६ धनुष्यनी दोरी, पणछ गव्या स्त्री ८८८ बे कोश, बे गाउ गव्या स्त्री १४२१ गायनो समूह गव्यूत न. ८८७ एक गाउ, बे हजार दंड प्रमाण गव्यूत न. ८८८ बे गाउ गव्यूति पुं स्त्री ८८८ बे गाउ गहन न. १११० जंगल, वन गहन न. १४७२ दुःखे प्रवेश करी शकाय ते गह्वर पुं न. १०३३ स्वाभाविक गुफा गह्वर. पुं १४०२ आंतर हृदयनुं रुदन, गद्गद् कंठे रुदन
गाङ्गेय न. १०४३ सोनुं
( गाङ्गेय) पुं २०८ शंकर पुत्र गाढ न. १४४७ निरन्तर गाढ नं. १५०५ अतिशय, घणुं गाणिक्य न. १४२० गणिकानो समूह गाण्डिव पुं ७१० अर्जुननुं धनुष्य गाण्डीव पुं नं. ७१० अर्जुननुं धनुष्य
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शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ गात्र न. ५६३ शरीर
गात्र स्त्री न. १२२८ हाथीना पग जंघा वगेरे गात्र न. ५६६ ( शे. ११८) शरीरना अवयव गात्रसंकोचिन् पुं १३०२ एक जातनो बिलाडो गात्रसंप्लव पुं १३४० प्लव पक्षी, जलमां डुबकी मारनार पक्षी गात्रानुलेपनी स्त्री ६३९ वाटेली वस्तुनो लेप ( गाधिनन्दन ) पुं ८५० विश्वामित्र गाधिपुर न. ९७४ कान्यकुब्ज, कनोज गाधेय पुं ८५० विश्वामित्र गान न. २८० गीत, गायन गान्धर्व न. २८० गीत, गायन गान्धर्व (ब.व.) पुं १८३ देवोना गवैया (हा हा वगेरे गन्धर्वो) (शे: ५५ ) पार्वती वीणा के कंठमांथी बोलता स्वर
गान्धारी स्त्री ४६ श्री नमिनाथ
गान्धर्वी स्त्री २०५ गान्धार पुं १४०१
भगवाननी शासनदेवी
गान्धारी स्त्री २४० १० मी विद्यादेवी गामिन् पुं ९ (प.) आ शब्द लगाव थ वाहक वाचक शब्द बने छे जेम वृषगामी गारुड न. १०४४ सोनुं
गारुत्मत् न. १०६४ मरकतमणि, पन्ना ( गार्गक ) पुं १४१६ गर्ग ऋषिना वंशज गार्गी स्त्री २०५ (शे. ५५ ) पार्वती गार्धपक्ष पुं ७७८ बाण