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SAHAR
अभिधानचिन्तामणिनाममाला . ८२ शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ . शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ किंपाक पुं ११४१ ते नाम, झेरी वृक्ष किलिज पुं १०१७ सादडी, चटाई किम्पुरुष पुं ९१ व्यंतर देव
किल्बिष न. १३८१ अशुभ, पाप, दुष्कृत्य किम्पुरुष पुं १९४ किन्नर देव 'किशलय' न. ११२३ कुंपळ किम्पुरुषेश्वर पुं १९० कुबेर |किशोर पुं १२३३ नानी उमरनो घोडो, कियदेतिका स्त्री ३०० उत्साह, वीर रसनो
वछेरो स्थायी भाव किसल न. ११२३ कुंपळ, झीणा पान किर पुं १२८७ भंड
किसलय न. ११२३ कुंपळ, झीणा पान किरण पुं ९५ सूर्य
कीकट पुं ३५८ निर्धन, दीन किरण पुं १०० किरण
कीकट पुं (ब.व.) ९६० मगध देश, किरात पुं ४५३ (शे. १०५) नाना शरीरवाळो | कीकस न. ६२६ हाडकुं किरात पुं ९३४ भील
| कीकस पुं १२०२ नाना करमियां किराती स्त्री २०५ (शे. ५६) पार्वती । | कीकसमुख पुं १३१७ (शे. १८७) पक्षी किरि पु १२८७ भंड
| कीचक पुं ११५३ जे वांसमां पवन किरिकिच्चिका स्त्री २९४ (शे. ८८) सारंगीनो
भरवाथी शब्द थाय ते वांस गज, वीणा वगाडवा धनुष्याकार, एक.साधन | कीचकनिषूदन पुं ७०८ भीम, भीमसेन किरीट पुं. न. ६५१ मुगट | कीटमणि पुं १२१३ (शे. १७४) खद्योत, किरीटिन् पुं ७०९ अर्जुन
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आगीयो, जीवडो किर्मीर पुं १३९८ काबर चीतरो रंग कीन न. ६२३ मांस किर्मीरनिषूदन पुं ७०८ भीम, भीमसेन | कीनाश पुं १८४ यम, यमराज (किर्मीरारि) पुं ७०८ भीम, भीमसेन | कीनाश पुं १८७ राक्षस किल पुं ५५६ (शे. ११७) क्रीडा रमत | | कीनास पुं ३६८ कंजूस माणस किलाटी स्त्री पुं ४०५ दूधनो विकार, मावो | कीर पुं १३३५ पोपट किलास न. ४६७ चामडीनो रोग, कोढ रोग | कीर्ण न. १४७३ खीचोखीच, भरपूर किलासन पुं ११९० कंकोडी, तमाल पत्र | कीर्ति २७२ यश, कीर्ति, वखाण किलासिन पुं ४६१ श्वेत, कोढना रोगवाळो कील पुंस्त्री १२७४ गाय बांधवानो खीलो किलिकिञ्चित न. ५०७ स्त्रीओना | कीला स्त्री पुं ११०२ अग्निनी ज्वाळा स्वाभाविक. अलंकार पैकी एक अलंकार | कीलाल न. १०६९ पाणी
Minilliiilihin